पटना: बिहार पर्यटन विभाग (Bihar Tourism Department) की ओर से पुनपुन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय खरमास मेला का विधिवत समापन हो गया है. इस मेला के समापन के बाद लोग अपने अपने शुभ कार्यों को कर सकते हैं. मेले में कुल 4400 पिंडदानियों ने अपने पूर्वजों के लिए पिंड का तर्पण किया. इस मौके पर विभिन्न राज्यों के लोगों ने पुनपुन में पिंड का तर्पण किया. विदेशों से भी कई लोग यहां पहुंचे थे.
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पुनपुन में खरमास मेले का समापन: दरअसल पिंडदान करने के लिए पौष और कार्तिक महीने में अंतर्राष्ट्रीय पितृपक्ष मेला का आयोजन किया जाता है. जो पूरे एक महीने तक चलता है. पितृपक्ष मेले के मौके पर सबसे ज्यादा लोग गया जाकर पिंडदान करने से पहले पुनपुन में आकर अपना तर्पण करते हैं, क्योंकि ऐतिहासिक वर्णन है कि सबसे पहले भगवान श्रीराम ने पुनपुन में जाकर अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति देने के लिए अपना पहला तर्पण किया था. इसलिए पुनपुन को पिंडदान का प्रथम द्वार माना जाता है. यहीं कारण है कि पुनपुन में पर्यटन विभाग द्वारा जिला प्रशासन की देखरेख में अंतराष्ट्रीय पितृपक्ष मेला का आयोजन किया जाता है.
पुनपुन के विकास पर जोर: पुनपुन में हुए अंतर्राष्ट्रीय खरमास मेले के समापन पर एसडीएम अनिल कुमार सिन्हा के नेतृत्व में प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचलाधिकारी, समेकित बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, मनरेगा पदाधिकारी, भूमि उप समाहर्ता, थानाध्यक्ष पुनपुन, नगर पंचायत पुनपुन के कार्यपालक पदाधिकारी, मुख्य पार्षद के साथ सभी नवनिर्वाचित पार्षदों को सम्मानित किया गया. वहीं पर्यटन के क्षेत्र में पुनपुन को और विकसित करने पर जोर दिया गया.
"पिंडदान के प्रथम द्वार से प्रसिद्ध पुनपुन के पावन तट पर अंतरराष्ट्रीय माघ मेला का समापन हो गया है. यहां पिछले 1 महीने से पितृपक्ष मेला चला रहा था. ऐसे में और घाट पर पर्यटन को देखते हुए लक्ष्मण झूला का भी काम चल रहा है. वही तीर्थ यात्रियों के लिए सुविधा के लिए आश्रय स्थल बनाया जाएगा- गोपाल रविदास, विधायक, फुलवारीशरीफ
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