पटनाः बिहार में हो रही जातीय जनगणना पर पटना हाईकोर्ट ने बीते 4 मई को रोक लगा दी. यह नीतीश सरकार के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि इस सर्वे का काफी विरोध हो रहा था. हालांकि कई लोग सहमति भी जता रहे थे. ऐसे में हाईकोर्ट ने फिलहाल तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया है. इसको लेकर आम लोगों की मिलीजुली राय है. कई लोगों ने जातीय जनगणना को उचित बताया और कई लोगों ने कहा कि कोर्ट की तरफ से जो फैसला लिया गया है, यह काफी अच्छा फैसला है.
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'राजनीतिक लाभ के लिए हो रही जातीय जनगणना': पटना के रहने वाले पंकज कुमार ने कहा कि कोर्ट की तरफ से जातीय जनगणना पर रोक लगाया गया है. यह काफी अच्छा फैसला है और कोर्ट का फैसला सर्वोपरि है. राज्य सरकार जनता के पैसा से जातीय जनगणना कराकर राजनीति कर रही है. किसी अन्य राज्यों में जातीय जनगणना नहीं हो रही है. केंद्र सरकार जातीय जनगणना कराती तो उचित था लेकिन राज्य सरकार अपने स्वार्थ के लिए राजनीतिक लाभ के लिए जातीय जनगणना करा रही थी.
"राज्य सरकार जातीय जनगणना के बजाए लॉ एंड ऑर्डर और बिहार में उद्योग धंधे पर काम करती तो लोगों को फायदा होता जातीय जनगणना कराकर जात में बांटने की कोशिश कर रही है"- पंकज कुमार, स्थानीय
'जातीय जनगणना होती तो अच्छा होता': वहीं, अजय कुमार साहू ने कहा कि जातीय जनगणना होना चाहिए. नगर निकाय चुनाव के समय में सरकार ने जातीय जनगणना नहीं होने के कारण रोक भी लगाई थी. लेकिन सरकार जातीय जनगणना कराकर किस जाति की कितनी हिस्सेदारी है ये जानना चाहती है. जिससे कि जिस जाति की जितनी हिस्सेदारी उसके हिसाब से उनको राज्य सरकार के द्वारा लाभ मिलता तो यह काफी अच्छा फैसला था.
"जातीय जनगणना होने से समाज में कितने वंचित जो आज भी पिछड़े हुए हैं सुविधाओं से वंचित हैं, उनके आंकड़े को देखते हुए सरकार नया देने का प्रयास करती, मेरी समझ से जातीय जनगणना होनी चाहिए"- अजय कुमार साहू, स्थानीय
"कोर्ट के द्वारा यह फैसला सर्वोपरि है" : वहीं, अरुण कुमार सिंह ने कहा कि कोर्ट के द्वारा जातीय जनगणना पर जो हस्तक्षेप किया गया है यह सराहनीय कदम है. जातीय जनगणना बिहार में नहीं होनी चाहिए. जातीय जनगणना होने से समाज में दूरियां बढ़ेगी. हम बड़े हम बड़े के करण जात में ही लोग उलझ कर रह जाएंगे. कोर्ट के द्वारा यह फैसला सर्वोपरि है.
'जातीय जनगणना बिल्कुल होनी चाहिए': वहीं, कृष्ण मुरारी यादव से जातीय जनगणना को लेकर सवाल पूछे जाने को लेकर उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना बिल्कुल होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना से राज्य की जनता को फायदा होता, ने कहा कि सरकार किस समुदाय की कितनी संख्या है उसको उसके हिसाब से फायदा देने का काम करती. कृष्ण मुरारी ने कहा कि बिहार में लोग अपनी-अपनी हिस्सेदारी बताकर आरक्षण मांगते हैं, लेकिन जब जातीय जनगणना हो जाती तो क्लियर हो जाता है कि किस जाति की कितनी हिस्सेदारी है उसके बाद आरक्षण मिलता.
सरकार के जातीय जनगणना पर ग्रहण ः बता दें कि पटना हाईकोर्ट की तरफ से जातीय जनगणना पर रोक लगा दी गई है हालांकि इस केस की अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी लेकिन जातीय जनगणना को लेकर लोग अपनी अपनी राय रख रहे हैं और सरकार के तरफ से जो जातीय जनगणना अभी तक कराई गई है, उसको सुरक्षित रखा जाएगा लेकिन फिलहाल सरकार के जातीय जनगणना पर ग्रहण लगा हुआ है.