पटना: राजधानी में शुक्रवार को विभिन्न सामाजिक संगठनों ने साथ मिलकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला. जेएनयू में हुई फीस बढ़ोतरी और लाठीचार्ज को लेकर संगठन के लोगों ने नारेबाजी की. प्रदर्शन ने जेएनयू के पूर्व छात्र-छात्राएं, पटना के कई कॉलेजों के स्टूडेंट्स, जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक डॉ. शकील अहमद खान, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर समेत शहर के कई प्रख्यात बुद्धिजीवी शामिल हुए.
जेएनयू छात्रों के समर्थन में निकाला गया यह विरोध मार्च आकाशवाणी केंद्र से डाक बंगला चौराहा होते हुए बुद्धा स्मृति पार्क तक गया. इस दौरान सरकार और प्रशासन की कार्रवाई के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई. प्रदर्शन में शामिल एआईएसएफ की अध्यक्ष भाग्य भारती ने कहा कि जेएनयू के छात्र फीस वृद्धि के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे, तो प्रशासन ने लाठियां क्यों चलाई. जो हुआ वह सरासर गलत है. उन्होंने प्रशासनिक कार्रवाई को अमानवीय करार दिया.
कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान का बयान
विरोध मार्च में शामिल जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और विधायक शकील अहमद खान ने सरकार पर छात्रों के दमन का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि छात्र सस्ती शिक्षा चाहते हैं. जेएनयू में जिस प्रकार से फीस बढ़ाई गई है, उससे गरीब नौजवानों पर बोझ पड़ेगा. उन्होंने कहा कि सरकार निजीकरण की तरफ एक ऐसा रास्ता दिखा रही है जिसमें गरीब के बच्चे नहीं पढ़ पाएंगे.
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'छात्रों पर हजारों रुपयों का पड़ेगा बोझ'
प्रदर्शन में शामिल एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक डॉ. डीएम दिवाकर ने कहा कि जेएनयू में जो फीस वृद्धि की गई है, वह फीस बढ़ोतरी की प्रक्रिया को ताक में रखकर की गई है. छात्र संघ से विमर्श कर ही फीस बढ़ोतरी का नियम है, जो कि नहीं किया गया. पढ़ने में पहले 5,000 खर्च आता था. लेकिन, मौजूदा फीस वृद्धि के बाद से कोर्स पूरा करने में 40,000 तक का बोझ पड़ेगा.