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JNU छात्रों के समर्थन में पटना में प्रदर्शन, लोग बोले- प्रशासन ने अपनाया अमानवीय रवैया

जेएनयू छात्रों के समर्थन में निकाला गया विरोध मार्च आकाशवाणी केंद्र से डाक बंगला चौराहा होते हुए बुद्धा स्मृति पार्क तक गया. इस दौरान सरकार और प्रशासन की कार्रवाई के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई.

जेएनयू छात्रों के समर्थन में पटना में प्रदर्शन
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Published : Nov 22, 2019, 5:32 PM IST

Updated : Nov 22, 2019, 5:44 PM IST

पटना: राजधानी में शुक्रवार को विभिन्न सामाजिक संगठनों ने साथ मिलकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला. जेएनयू में हुई फीस बढ़ोतरी और लाठीचार्ज को लेकर संगठन के लोगों ने नारेबाजी की. प्रदर्शन ने जेएनयू के पूर्व छात्र-छात्राएं, पटना के कई कॉलेजों के स्टूडेंट्स, जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक डॉ. शकील अहमद खान, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर समेत शहर के कई प्रख्यात बुद्धिजीवी शामिल हुए.

जेएनयू छात्रों के समर्थन में पटना में प्रदर्शन

जेएनयू छात्रों के समर्थन में निकाला गया यह विरोध मार्च आकाशवाणी केंद्र से डाक बंगला चौराहा होते हुए बुद्धा स्मृति पार्क तक गया. इस दौरान सरकार और प्रशासन की कार्रवाई के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई. प्रदर्शन में शामिल एआईएसएफ की अध्यक्ष भाग्य भारती ने कहा कि जेएनयू के छात्र फीस वृद्धि के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे, तो प्रशासन ने लाठियां क्यों चलाई. जो हुआ वह सरासर गलत है. उन्होंने प्रशासनिक कार्रवाई को अमानवीय करार दिया.

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भाग्य भारती, एआईएसएफ की अध्यक्ष

कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान का बयान
विरोध मार्च में शामिल जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और विधायक शकील अहमद खान ने सरकार पर छात्रों के दमन का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि छात्र सस्ती शिक्षा चाहते हैं. जेएनयू में जिस प्रकार से फीस बढ़ाई गई है, उससे गरीब नौजवानों पर बोझ पड़ेगा. उन्होंने कहा कि सरकार निजीकरण की तरफ एक ऐसा रास्ता दिखा रही है जिसमें गरीब के बच्चे नहीं पढ़ पाएंगे.

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शकील अहमद खान, विधायक

यह भी पढ़ें: शराबबंदी के 2 लाख 36 हजार मामलों का नहीं हुआ निपटारा, HC ने बिहार सरकार से मांगा जवाब

'छात्रों पर हजारों रुपयों का पड़ेगा बोझ'
प्रदर्शन में शामिल एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक डॉ. डीएम दिवाकर ने कहा कि जेएनयू में जो फीस वृद्धि की गई है, वह फीस बढ़ोतरी की प्रक्रिया को ताक में रखकर की गई है. छात्र संघ से विमर्श कर ही फीस बढ़ोतरी का नियम है, जो कि नहीं किया गया. पढ़ने में पहले 5,000 खर्च आता था. लेकिन, मौजूदा फीस वृद्धि के बाद से कोर्स पूरा करने में 40,000 तक का बोझ पड़ेगा.

पटना: राजधानी में शुक्रवार को विभिन्न सामाजिक संगठनों ने साथ मिलकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला. जेएनयू में हुई फीस बढ़ोतरी और लाठीचार्ज को लेकर संगठन के लोगों ने नारेबाजी की. प्रदर्शन ने जेएनयू के पूर्व छात्र-छात्राएं, पटना के कई कॉलेजों के स्टूडेंट्स, जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक डॉ. शकील अहमद खान, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर समेत शहर के कई प्रख्यात बुद्धिजीवी शामिल हुए.

जेएनयू छात्रों के समर्थन में पटना में प्रदर्शन

जेएनयू छात्रों के समर्थन में निकाला गया यह विरोध मार्च आकाशवाणी केंद्र से डाक बंगला चौराहा होते हुए बुद्धा स्मृति पार्क तक गया. इस दौरान सरकार और प्रशासन की कार्रवाई के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई. प्रदर्शन में शामिल एआईएसएफ की अध्यक्ष भाग्य भारती ने कहा कि जेएनयू के छात्र फीस वृद्धि के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे, तो प्रशासन ने लाठियां क्यों चलाई. जो हुआ वह सरासर गलत है. उन्होंने प्रशासनिक कार्रवाई को अमानवीय करार दिया.

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भाग्य भारती, एआईएसएफ की अध्यक्ष

कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान का बयान
विरोध मार्च में शामिल जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और विधायक शकील अहमद खान ने सरकार पर छात्रों के दमन का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि छात्र सस्ती शिक्षा चाहते हैं. जेएनयू में जिस प्रकार से फीस बढ़ाई गई है, उससे गरीब नौजवानों पर बोझ पड़ेगा. उन्होंने कहा कि सरकार निजीकरण की तरफ एक ऐसा रास्ता दिखा रही है जिसमें गरीब के बच्चे नहीं पढ़ पाएंगे.

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शकील अहमद खान, विधायक

यह भी पढ़ें: शराबबंदी के 2 लाख 36 हजार मामलों का नहीं हुआ निपटारा, HC ने बिहार सरकार से मांगा जवाब

'छात्रों पर हजारों रुपयों का पड़ेगा बोझ'
प्रदर्शन में शामिल एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक डॉ. डीएम दिवाकर ने कहा कि जेएनयू में जो फीस वृद्धि की गई है, वह फीस बढ़ोतरी की प्रक्रिया को ताक में रखकर की गई है. छात्र संघ से विमर्श कर ही फीस बढ़ोतरी का नियम है, जो कि नहीं किया गया. पढ़ने में पहले 5,000 खर्च आता था. लेकिन, मौजूदा फीस वृद्धि के बाद से कोर्स पूरा करने में 40,000 तक का बोझ पड़ेगा.

Intro:राजधानी पटना के आकाशवाणी केंद्र से डाक बंगला चौराहे होते हुए बुद्धा स्मृति पार्क तक विभिन्न सामाजिक संगठनों ने जेएनयू छात्रों के ऊपर हुए लाठीचार्ज के विरोध में विरोध प्रदर्शन किया. इस विरोध प्रदर्शन में बिहार के विभिन्न शहरों एवं गांव से जेएनयू के पूर्व छात्र छात्राओं के अलावा पटना के विभिन्न कॉलेजों के छात्र शामिल हुए और जेएनयू छात्रों के साथ खड़े होने की बात कही. इस विरोध प्रदर्शन में जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष व कांग्रेस विधायक डॉ शकील अहमद खान, इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के पूर्व निदेशक डीएन दिवाकर, समेत शहर के कई प्रख्यात बुद्धिजीवी शामिल हुए.


Body:विरोध प्रदर्शन में शामिल एआईएसएफ की अध्यक्ष भाग्य भारती ने कहा कि जेएनयू में फीस वृद्धि के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर जिस प्रकार लाठीचार्ज हुआ है वह सरासर गलत है. जेएनयू के कुलपति छात्रों से मिल नहीं रहे हैं. विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों में पुलिस ने दृष्टिबाधित छात्र को जूते से पीटा है जबकि वह लगातार कहता रहा कि वह देख नहीं सकता और उसे बाद में गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती करना पड़ा यह बहुत ही अमानवीय है.

जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष व कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान ने कहा कि देशभर के छात्र सस्ती शिक्षा चाहते हैं. जेएनयू में जिस प्रकार से फीस बढ़ाई गई है उससे जो गरीब नवजवानों पर बोझ पड़ेगा वह सहन नहीं कर पाएंगे. इस फैसले की वजह से देश के बहुत सारे मेधावी छात्र जो गरीब है उच्च शिक्षा ग्रहण करना चाहते हैं वह नहीं कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि सरकार निजीकरण के तरफ एक ऐसा रास्ता दिखा रही है जिसमें गरीब के बच्चे ना पढ़ पाए और सिर्फ अमीरों के बच्चे ही पढ़े.


Conclusion:ए एन सिन्हा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के पूर्व निदेशक डॉ डीएन दिवाकर ने कहा कि कुछ दिनों पहले जेएनयू में फीस बढ़ाई गई. जेएनयू में फीस बढ़ाने की प्रक्रिया यह है कि उसमें छात्र संघ और शिक्षक संघ और जेएनयू प्रशासन मिलकर तय करते हैं. मगर जेएनयू के फीस बढ़ाने के समय छात्र संघ और शिक्षक संघ से राय नहीं ली गई. उन्होंने कहा कि यह फीस बढ़ाने के खिलाफ नहीं बल्कि फीस बढ़ाने की प्रक्रिया के खिलाफ लड़ाई है. उन्होंने कहा कि मौजूदा फीस वृद्धि के बाद जिन छात्रों को कोर्स पूरा करने में 5000 का खर्च आता था अब वह ₹40000 तक का बोझ उन पर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि जेएनयू छात्रों ने विरोध प्रदर्शन के पूर्व कुलपति से कई बार मिलने का समय मांगा लेकिन जब समय नहीं मिला तब वह अंत में विरोध प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतरे. उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस ने किस प्रकार लाठीचार्ज किया वह बहुत ही निंदनीय है.
Last Updated : Nov 22, 2019, 5:44 PM IST
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