पटना: संयुक्त किसान मोर्चा ने आगामी 26 मई को भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिवस के रूप में मनाने का आह्वान किया है. बिहार के ट्रेड यूनियन और किसान संगठनों ने इस फैसले का समर्थन किया है.
ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन के राष्ट्रीय सचिव रणविजय कुमार ने बताया कि 26 मई को ही 2014 में मोदी सरकार ने अपना कार्यभार संभाला और फिर 30 मई को 2019 में फिर से शपथ ली. लेकिन जनता के लिए कार्य करने के बजाय सरकार कॉरपोरेट और पूंजीपतियों के लिए काम कर रही है. सरकार निजीकरण पर उतारू है. दिन प्रतिदिन विभिन्न चीजों का निजीकरण किया जा रहा है. किसान आंदोलन भी पिछले 6 महीने से चल रहा है. किसानों की मांग अब तक पूरी नहीं की गई है.
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"हम मांग करते हैं कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द करे, चार श्रम सहिंता को रद्द, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को बंद करें. इन्हीं मांगों को लेकर आगामी 26 मई को भारतीय लोकतंत्र का काला दिवस के रूप में हम मनाएंगे. बिहार में यदि लॉकडाउन खत्म हो गया तो हम सड़क पर उतरकर कोरोना गाइडलाइंस का पालन करते हुए प्रदर्शन करेंगे. अगर लॉकडाउन जारी रहेगा तो घर पर ही काला बिल्ला लगाकर और काला झंडा दिखाकर अपना विरोध दर्ज करेंगे": - रणविजय कुमार, राष्ट्रीय सचिव, एक्टू