नई दिल्ली/पटना: मिथिला को अलग राज्य बनाने के लिए 1 फरवरी से धरना-प्रदर्शन किया जाएगा. अलग भाषा, संस्कृति, रीति रिवाज और एक अलग भौगोलिक स्थिति होने के चलते एक अलग मिथिला राज्य की मांग काफी समय से की जा रही है. संगठन के उपाध्यक्ष हीरालाल ने बताया कि बिहार से अलग कर मिथिला राज्य की मांग पिछले 50 वर्षों से लगातार हो रही है.
अलग मिथिला राज्य की मांग करने वाले हम तीसरी पीढ़ी के लोग हैं. अंग्रेजों से आजादी के समय मिथिला में जितना विकास का काम हुआ था. आजादी के बाद उतना ही पीछे चला गया है. दूसरे राज्यों का काफी विकास हुआ, लेकिन मिथिला अलग-थलग पड़ गया है.
"मिथिला सनातन काल से पृथक राज्य रहा है. मिथिला राज्य की अलग मांग को लेकर एक शिष्टमंडल बनाया गया था, जिसमें कीर्ति आजाद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ सीपी ठाकुर, स्वर्गीय रामचंद्र पासवान और अन्य विशिष्ट लोग शामिल थे. यूपीए की सरकार में गृह मंत्री रह चुके पी चिदंबरम ने भी मिथिला को एक अलग राज्य बनाने का वादा किए थे, लेकिन वह पूरा नहीं हो पाया. हम पटना से मुक्ति चाहते हैं. मिथिलांचल की राजधानी दरभंगा में बनाना चाहते हैं."- अमरिंदर झा, अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय मिथिला राज्य संगठन
बिहार से अलग होने पर होगा मिथिला का विकास
हीरालाल ने बताया कि बिहार से झारखंड अलग होकर विकास के मार्ग पर अग्रसर हो रहा है. हम चाहते हैं कि मिथिला को भी एक अलग राज्य बना दिया जाए. ताकि मिथिलांचलवासी खुद अपने मिथिला का विकास कर सकें. देश के सबसे पिछड़े राज्यों में आज बिहार का नाम सबसे ऊपर है और बिहार में सबसे पिछड़े क्षेत्र में मिथिलांचल का नाम आता है. ऐसा क्षेत्र की उपेक्षा की वजह से हो रहा है.
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र मिथिलांचल
मिथिलांचल क्षेत्र बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है. यह समस्या सैकड़ों वर्षों से है, लेकिन कोई भी सरकार यहां के जल संसाधन का यहां के विकास में इस्तेमाल नहीं कर सकी. नतीजा यह है कि बाढ़ के पानी में हर साल मिथिलांचल का विकास बह जाता है. इसकी वजह से यहां रहने वाले लोगों के पास दूसरे राज्यों में रोजी रोजगार के लिए पलायन करने के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं रह जाता. हीरालाल ने बताया कि झारखंड के साथ ही मिथिलांचल को भी अलग राज्य करने की मांग चल रही थी. लेकिन झारखंड को उसकी खनिज-संपदा के साथ एक अलग राज्य बना दिया गया. मिथिलांचल को बाढ़ के साथ रहने के लिए छोड़ दिया गया.
मिथिला को अलग राज्य बनाना चाहते थे वाजपेयी
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी मैथिली भाषा को संविधान की आठवीं सूची में शामिल करने के बाद कहा था कि वह जीते जी मिथिलांचल को एक अलग राज्य बना कर रहेंगे, लेकिन उनकी मृत्यु के साथ ही उनका यह सपना भी अधूरा रह गया. अटल बिहारी वाजपेई को दूसरा कार्यकाल मिल गया होता तो शायद मिथिलांचल भी एक अलग राज्य बन गया होता. पिछले 50 वर्षों से हमारा संघर्ष चल रहा है और 1 फरवरी से इस संघर्ष को और भी तेज किया जाएगा. मधुबनी, दरभंगा, मोतिहारी, भागलपुर और सुपौल में इसको लेकर तैयारी की जा रही है.