पटना (मसौढ़ी): आज अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस (International Widows Day) है. इस मौके पर पटना के मसौढ़ी के विभिन्न गांव में कई सामाजिक संगठन के द्वारा कार्यक्रम किये जा रहे हैं. मसौढ़ी के हांसाडीह गांव में सभी विधवाओं को एकत्रित कर कई कार्यक्रम किए जा रहे हैं, उन्हें प्रोत्साहित किया जा रहा है और बताया जा रहा है कि आज भी विधवाएं अपने जीवनसाथी को खोने के बाद दुनिया भर में चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी जिंदगी जी रहीं हैं. कई विधवा महिलाओं ने कहा कि पति के जाने के बाद वो हिम्मत नहीं हारीं और अपने बच्चों की परवरिश अपने दम पर कर रहीं हैं.
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विधवा दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन: 23 जून यानी आज के दिन विश्व स्तर पर अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस मनाया जाता है. यह दिन व्यापक रूप से विधवाओं की आवाजों और उन्हें होने वाले अनुभव पर ध्यान आकर्षित करने और उनके द्वारा किए जाने वाले अद्वितीय समर्थन को प्रोत्साहित करने के लिए जाना जाता है. अपने जीवनसाथी को खोने के बाद दुनिया भर में कई महिलाओं ने चुनौतियों का सामना किया. ऐसे में मसौढ़ी के हांसाडीह गांव मे विधवा महिलाओं के बीच उनकी बुनियादी जरूरतों मानवीय अधिकार और सम्मान के लिए लंबे समय तक संघर्ष के साथ अपने जिंदगी बिताने वाली उन महिलाओं को उनके मान-सम्मान और अधिकार के बारे में बताने के साथ कई कार्यक्रम किया गया. उन सभी विधवा महिलाओं को उनके अधिकार, सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में और सामाजिक तौर पर दैनिक कार्य के प्रति उन्हें सम्मान देने की बात बताया गया.
विधवा महिलाओं ने सुनाई आपबीती: अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस के मौके पर वैसे तो सरकारी कार्यक्रम भी किये जा रहे हैं, लेकिन कई सामाजिक संगठन द्वारा भी उन विधवा महिलाओं के मान-सम्मान अधिकार और उनको संघर्ष भरा जीवन जीने को लेकर और आत्मविश्वास बनाए रखने के लिए कर कार्यक्रम किया जा रहा है. ईटीवी भारत पर कई विधवा महिलाओं ने अपनी आपबीती सुनाई. किसी के पति सड़क दुर्घटना में मौत हो गई तो किसी के पति अज्ञात बीमारी से चल बसे, लेकिन हिम्मत नहीं हारीं. विधवाएं अपने बच्चों की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ा. हांसाडीह के रहने वाली मालती कुमारी के पति की मौत 8 महीना पहले सड़क दुर्घटना में हो गई. उनके दो बच्चे हैं. बावजूद उन्होंने अपनी जिंदगी से हार नहीं मानी और कड़ी संघर्ष कर उनका पालन पोषण कर रही हैं. वहीं, सुमंती देवी ने कहा कि उसके पति 2 साल पहले बीमारी के कारण चल बसे. उनके दो बच्चे हैं, वो जिंदगी से लड़कर अपने बच्चों की परवरिश कर रही हैं.
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