पटनाः फाइलेरिया दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है. इस रोग के उन्मूलन के लिए डब्ल्यूएचओ के दिशा निर्देश के अनुरूप राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा राज्य के 11 जिले में सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है. 11 दिनों तक चलने वाला कार्यक्रम 28 सितंबर से शुरू हुआ है और 8 अक्टूबर तक चलेगा.
मच्छर जनित रोग है फाइलेरिया
फाइलेरिया के बारे में बताते हुए फिजीशियन चिकित्सक डॉ दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि यह एक मच्छर जनित रोग है. यह रोग वुचेरिया बैन्क्रोफटाई मच्छर के काटने से होता है. यह मच्छर जब किसी व्यक्ति को काटता है तो व्यक्ति के लिम्फेटिक चैनल को जाम करता है और अगर इसका सही समय पर इलाज ना हो तो शरीर के अंगों में असामान्य सूजन होने लगता है. जिसे फाइलेरिया या हाथीपांव कहते हैं.
बीमारी की रोकथाम के लिए मौजूद हैं दवाइयां
व्यक्ति के शरीर का जब लिम्फेटिक चैनल जाम हो जाता है तो उसके अंडकोष में सूजन हो जाती है या फिर महिलाओं के ब्रेस्ट में भी सूजन हो जाती है. यह बीमारी दुनियाभर में गरीब लोगों के बीच काफी पाई जाती है और इसकी रोकथाम के लिए दवाइयां भी मौजूद हैं. इसलिए पूरे विश्व भर में समय-समय पर नियमित अंतराल पर फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर कार्यक्रम चलाए जाते हैं.
शरीर में 7 से 8 साल तक रहता है फाइलेरिया का वर्म
डॉ दिवाकर ने बताया कि फाइलेरिया का मच्छर जब एक बार किसी स्वस्थ व्यक्ति को काट लेता है तो उसके शरीर में फाइलेरिया का वार्म 7 से 8 साल तक रहता है. अगर उस व्यक्ति को कोई मच्छर काटता है और फिर वह किसी अन्य को काटता है तो अन्य व्यक्ति को भी फाइलेरिया होने की संभावना प्रबल हो जाती है.
घर-घर जाकर लोगों को खिला रहे स्वास्थ्य कर्मी
वहीं, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट डॉ अजय कुमार ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए राज्य के 11 जिले में सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम चल रहा है. जिसमें सभी उम्र के लोगों को डाइथेल कार्बामोजाइम और अल्बेंडाजोल की एक-एक गोली प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी घर घर जाकर लोगों को खिला रहे हैं. 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर बीमार वाले व्यक्तियों को यह गोली नहीं दी जा रही है.
बीमारी से होती है असामान्य विकलांगता
डॉ. अजय कुमार ने बताया कि विश्व के 88 देश गंभीर रूप से फाइलेरिया जैसी बीमारी से ग्रसित हैं और लगभग 12 करोड़ लोग इस बीमारी के शिकार हैं. उन्होंने कहा कि देश के 16 राज्य और 5 केंद्र शासित प्रदेशों में यह एक स्वास्थ्य संबंधी क्षेत्र में गंभीर समस्या है. इस बीमारी से मौत नहीं होती बल्कि लोगों में असामान्य विकलांगता आ जाती है. इस कारण लोगों को अक्सर सामाजिक बोझ सहना पड़ता है और उनके काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है. उन्होंने कहा कि बहुत सारे देशों में इस बीमारी को उन्मूलित किया जा चुका है.
2000 में शुरू हुआ फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम
भारत जैसे कुछ अन्य देशों में इस बीमारी के प्रति सरकार का गंभीर ध्यान ना होने की वजह से डब्ल्यूएचओ ने साल 2000 में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया था. इसके तहत डब्ल्यूएचओ के निर्देश में राज्य सरकारें देश में समय-समय पर फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम चलाते रहते हैं. जिनमें दो दवाइयों के डोजेज दिए जाते हैं.
11 जिलों में चलाया जा रहा कार्यक्रम
उन्होंने बताया कि सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम के फर्स्ट फेज में 11 जिलों को चयनित किया गया है. सेकंड और थर्ड मिलाकर पूरे राज्य में यह कार्यक्रम चलाया जाएगा. राज्य के जिन 11 जिलों में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम चल रहा है उन जिलों की भोजपुर, दरभंगा, किशनगंज, मधुबनी, नालंदा, नवादा, पूर्णिया, लखीसराय, रोहतास, समस्तीपुर और वैशाली शामिल हैं.