पटना: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि जेल यातना गृह नहीं बल्कि सुधार गृह है. जिन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए उन्हें सुधारा जाता है. बापू के इस कथन को मसौढ़ी जेल में सही साबित करने की कोशिश की जा रही है. बापू की 150वीं जयंती को लेकर जेल में कैदियों को उनकी जीवनी और उनसे जुड़ी यादों को बताया जा रहा है.
रोजाना 1 घंटे खूंखार कैदियों के बीच बापू के संदेशों को पढ़ाया एवं सुनाया जाता है. ताकि उनकी मानसिकता में बदलाव आ सके. वह जेल से बाहर निकलने पर समाज की मुख्यधारा से जुड़ कर सामाजिक कार्यों में रूचि ले सकें. जेल में चल रहे इस अभियान का जायजा लेने ईटीवी भारत की टीम राजधानी पटना से सटे मसौढ़ी जेल पहुंची.
कैदियों को भा रहे बापू के संदेश
ईटीवी भारत से बातचीत में कैदियों ने बापू के संदेशों को आत्मसात करने की बात कही. कैदियों ने साफ तौर पर कहा कि उन्हें महात्मा गांधी से जुड़ी हर वह चीज अच्छी लगती है और जेल से छूटने के बाद इसे अपने दैनिक जीवन में अपनायेंगे.
बापू के बताए मार्ग पर चलेंगे कैदी
कैदियों ने कहा कि बापू के बताए हुए रास्ते पर उन्हें चलना चाहिए. उनके संदेश काफी कर्णप्रिय और सुकून देने वाले हैं. समाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की प्रेरणा देती है. कैदियों ने प्रण लेते हुए कहा कि जेल से छूटने के बाद समाज की मुख्यधारा से जुड़ कर अच्छे कार्य करेंगे.
सभी जेलों में सुनाया जा रहा बापू का संदेश
वहीं, जेलर कृष्ण कुमार झा ने कहा कि जेल में बंद कैदियों को समाज की मुख्यधारा में लाने की एक कोशिश है. इसके लिए जेल आईजी ने बापू के संदेश कैदियों को सुनाने का निर्देश जारी किया है. जेल में रोजाना 1 घंटे बापू की जीवनी, यादें और उनके संदेशों को कैदियों को सुनाया जा रहा है. ताकि, उनके जीवन में बदलाव आ सके और सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन व्यतीत कर सकें. कैदी बापू के संदेशों को काफी गौर से सुनते हैं. आशा है कि जेल से बाहर जाने के बाद बापू के संदेश का अपने जीवन में ढालने की कोशिश करेंगे.