पटना: 5 जुलाई को राजद (RJD) ने अपना 25वां स्थापना दिवस समारोह मनाया था. उसी दौरान तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav), तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) और लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने वर्चुअल प्लेटफार्म से लोगों को संबोधित किया था. लालू ने अपने संबोधन में तेजस्वी की जमकर तारीफ की थी. एक तरह से लालू ने उस दिन ही अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थे कि अब तेजस्वी को जिम्मेदारी देने का वक्त आ गया है.
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पार्टी के सभी प्रमुख नेता राजद की सिल्वर जुबली समारोह में उपस्थित थे. कहीं ना कहीं लालू ने अपने संबोधन के जरिए ही यह मैसेज क्लियर कर दिया था कि आगे तेजस्वी यादव ही पार्टी की बागडोर संभालने वाले हैं.
बता दें कि लालू प्रसाद यादव करीब 75 साल के हो चुके हैं. स्वास्थ्य कारणों से वे लंबे समय से एम्स दिल्ली के डॉक्टरों से इलाज करवा रहे हैं. उन्हें कई गंभीर बीमारियां हैं, जिसकी वजह से वह अब ना तो लंबे समय तक बोल पाते हैं और ना ही कोई लंबी यात्रा कर सकते हैं. वहीं, अगर तेजस्वी यादव पर गौर करें तो युवा तेजस्वी को 2015 से ही लालू ने पार्टी की बागडोर सौंप दी थी.
हालांकि, इस दौरान बैकग्राउंड से लालू यादव और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता तेजस्वी की मदद करते रहे हैं. करीब डेढ़ साल तक बतौर उपमुख्यमंत्री सरकार चलाने के बाद तेजस्वी यादव को विपक्ष का नेता बनाया गया. 2019 के लोकसभा चुनाव में तेजस्वी के नेतृत्व में पार्टी को अभूतपूर्व पराजय का सामना करना पड़ा, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन को बेहतरीन नतीजा मिला. पार्टी के नेता भी इस बात को स्वीकार करते हैं.
राजद के मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेंद्र कहते हैं कि 'किसे बागडोर सौंपनी है, यह शीर्ष नेतृत्व का अपना फैसला है.' वहीं, एनडीए नेता लालू यादव के इस कदम को आत्मघाती बता रहे हैं. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि लालू और तेजस्वी में जमीन आसमान का अंतर है.
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''तेजस्वी लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में फेल हो चुके हैं और पार्टी में वह युवा और वरिष्ठ नेताओं के बीच सामंजस्य नहीं बिठा पाते हैं. इसलिए अगर तेजस्वी को राजद की बागडोर मिलती है, तो राष्ट्रीय जनता दल का बिखराव निश्चित है.''- प्रेम रंजन पटेल, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी
राजद को बेहद करीब से देखने और समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि लालू यादव ने अगर तेजस्वी को कमान सौंपने का फैसला किया है, तो यह बेहद समझदारी वाला फैसला है, क्योंकि तेजस्वी यादव पिछले कुछ सालों में परिपक्व हो चुके हैं.
''तेजस्वी यादव ने 2020 के विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव की अनुपस्थिति में पार्टी को नंबर वन बनाने में सफल रहे हैं. भले ही बिहार में सरकार नहीं बना पाए, लेकिन बिहार की सबसे बड़ी पार्टी का दर्जा राजद को मिला है.''- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
तेजस्वी यादव पिछले विधानसभा में पूरे बजट सत्र के दौरान सदन से अनुपस्थित रहने को लेकर चर्चा में रहे थे. बाढ़, चमकी बुखार और कोरोना के दौरान यह आरोप लगे हैं कि तेजस्वी यादव बिहार से गायब रहे. राष्ट्रीय जनता दल में गाहे-बगाहे तेजस्वी और तेजप्रताप के बीच पार्टी गतिविधियों को लेकर खटास की खबरें आती रहती हैं, हालांकि हर बार दोनों भाइयों ने इस बात से इनकार किया है.
राष्ट्रीय जनता दल में प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर जगदानंद सिंह (Jagdanand Singh) के साथ तेजस्वी का रिश्ता काफी बेहतर माना जाता है और यही वजह है कि लालू यादव ने तेजस्वी यादव के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने तक जगदानंद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष की बागडोर संभालने को कहा है. पार्टी ने तेजस्वी को युवा नेतृत्व के तौर पर विधानसभा चुनाव में प्रकट किया था जो कहीं न कहीं पार्टी के लिए अच्छा साबित हुआ.
युवा नेतृत्व और बेरोजगारी के सवाल को तेजस्वी यादव ने चुनाव में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के खिलाफ इस्तेमाल किया. जिसका बड़ा फायदा राष्ट्रीय जनता दल को हुआ. एक स्ट्रैटजी के तहत विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल ने अपने पोस्टरों में सिर्फ तेजस्वी यादव को प्रोजेक्ट किया. लालू यादव और राबड़ी देवी समेत पार्टी के अन्य नेताओं की तुलना में युवा नेतृत्व तेजस्वी को सामने करके पार्टी ने विधानसभा चुनाव में नंबर वन का स्थान हासिल किया, इसलिए तेजस्वी में पार्टी अपना भविष्य भी देख रही है.
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