पटनाः एक तरफ जहां बिहार में हमेशा सरकारी राजस्व में कमी का सवाल उठता है. वहीं, दूसरी तरफ पर्यटन को लेकर जितनी संभावनाएं हैं उस पर पर्याप्त चर्चा भी नहीं हो पाती. बिहार में ना सिर्फ ऐतिहासिक धरोहरों की भरमार है बल्कि प्रकृति और जीव जंतुओं के मामले में भी बिहार काफी धनी है. इस क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाओं को लेकर प्रकृति और जीव-जंतुओं से जुड़े विशेष राजस्व के रूप में इसे बड़े अवसर के रूप में भी देख रहे हैं.
विशेष तौर पर पक्षियों को लेकर हाल के दिनों में जो काम हुए हैं और राजकीय पक्षी महोत्सव के बाद इस बात की चर्चा जोर पकड़ रही है कि बिहार में बर्ड टूरिज्म की बेहतरीन संभावना है. जो पूरे विश्व में अपने आप में राजस्व का एक बेहतरीन साधन बनकर उभरा है.
बिहार के नागी नकटी, कावर झील, कुशेश्वरस्थान और बरेला समेत कई ऐसे वेटलैंड हैं, जहां बड़ी संख्या में देशी और विदेशी पक्षी सालों भर डेरा जमाए रहते हैं. राजधानी पटना में राजधानी जलाशय भी देसी-विदेशी पक्षियों के नए आश्रयणी के रूप में तेजी से उभर रहा है.
बिहार के प्रमुख पक्षी अभयारण्य
- कावर झील बेगूसराय
- कुशेश्वरस्थान दरभंगा
- नागी नकटी जमुई
- बरैला वैशाली
- सरैया मान बेतिया
- भागलपुर दियारा
कुछ खास पक्षी जो आते हैं बिहार
पक्षी कहां दिखे
- इंडियन कर्सर नागी और बुद्ध वन्यजीव - आश्रयणी गया
- सैंडग्रूस - राजगीर
- नॉर्दर्न पिनटेल गंगा और अन्य - वेटलैंड्स
- उल्ली नेक - स्टोर्क
- रेड नेक - आइबीस
- रेड क्रेस्टेड - पोचार्ड
- बार हेडेड - गीज
- कॉटन पिग्मी - गूज
- फेरुजिनस - डक
- यूरेशियन - वाइजन
- ग्रे हेडेड - लैप विंग
- टफ्टेड डक - राजधानी जलाशय पटना
- नोव बील डक - राजधानी जलाशय पटना
देश के प्रमुख पक्षी अभ्यारण्य - चिलका लेक ओडिशा
- भरतपुर केवलादेव
- नवाबगंज यूपी
- सुर सरोवर यूपी
- महानंदा पश्चिम बंगाल
- कुर्ग कर्नाटक
- नल सरोवर गुजरात
- पोत कालीमर केरल
'बिहार में इस विशेष क्षेत्र में काफी काम करने की जरूरत है. यहां देश-विदेश के बेहतरीन खूबसूरत और कई तरह के पक्षी नवंबर महीने से मार्च महीने तक डेरा जमाते हैं. उन्होंने कहा कि हमारे देश में भी चार सौ से ज्यादा तरह के पक्षियों की वैरायटी पाई जाती है और बिहार में भी कई बेहतरीन पक्षी हाल के दिनों में देखे गए हैं. जोकि जलवायु की दृष्टि से अच्छे संकेत हैं. लेकिन इस दिशा में बहुत काम करने की जरूरत है. विशेष रूप से लोगों को जागरूक करने से और लगातार वेटलैंड्स को डिवेलप और मेंटेन करने से बर्ड टूरिज्म की संभावनाएं बेहतर होंगी.' - डॉ. गोपाल शर्मा, निदेशक, जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, बिहार
'बर्ड टूरिज्म कि बिहार में बेहतरीन संभावनाएं हैं. विशेष रूप से पहले राजकीय पक्षी महोत्सव में जिस तरह का उत्साह लोगों ने दिखाया है और हाल के दिनों में बिहार के वेटलैंड्स को डिवेलप करने का जो प्रयास सरकार की तरफ से किया गया है. उससे पक्षियों की बिहार में आवाजाही बढ़ी है. चाहे वाल्मीकि टाइगर रिजर्व हो या नागी नकटी या फिर कावर झील, हर जगह कई बेहतरीन और खूबसूरत पक्षी हाल के दिनों में देखे गए हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए संभव हो पाया क्योंकि वेटलैंड्स को लेकर हाल के दिनों में काफी काम हुआ है. ऐसे में अगर इन जगहों पर आधारभूत संरचनाओं का विकास होता है तो पक्षियों से जुड़ा पर्यटन खूब फले फूलेगा. जिससे ना सिर्फ सरकार को राजस्व मिलेगा बल्कि रोजगार के भी बड़े अवसर पैदा होंगे.' - नवीन कुमार, सदस्य, मुंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी
बर्ड टूरिज्म के लिए ये है जरूरी
- पक्षी आश्रयणी के आस-पास सुरक्षा की व्यवस्था
- पक्षियों के शिकार पर प्रभावी रोक के उपाय
- लोगों को जागरूक करना
- लाइटिंग, परिवहन आदि की व्यवस्था
- नाव, गाइड और सफाई की व्यवस्था
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'राजकीय पक्षी महोत्सव के जरिए सरकार ने संभावनाओं की समीक्षा की है. लोगों को जागरूक करने के लिए ऐसे पक्षी महोत्सव अब होते रहेंगे और बर्ड टूरिज्म के लिए बरैला, गोगाबिल, कांवर, कदवा दियारा और कुशेश्वरस्थान चुनिंदा वेटलैंड्स के पास आधारभूत संरचनाओं को बेहतर किया जाएगा. ताकि ना सिर्फ स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके बल्कि वर्ल्ड टूरिज्म के जरिए राजस्व की प्राप्ति हो सके.' - दीपक कुमार सिंह, प्रधान सचिव, पर्यावरण एवं वन विभाग