पटना: बिहार में जातीय गणना के दूसरे चरण का कार्य चल रहा है और इसको लेकर राजनीति (Politics on Caste Census in Bihar ) भी शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जातीय गणना के बाद हम लोग केंद्र को रिपोर्ट भेज देंगे और केंद्र फैसला लेगा. जदयू के नेता भी कह रहे हैं कि जब तक जातीय गणना की रिपोर्ट नहीं आ जाता है तब तक 50% आरक्षण के बैरियर को समाप्त करने की बात बेईमानी है. वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी इसे समाप्त करने की बात कह रहे हैं. एक तरफ नीतीश कुमार कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी एकजुटता करना चाहते हैं, लेकिन राहुल गांधी के आरक्षण वाले बयान का समर्थन भी नहीं कर रहे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल है कि विपक्षी एकजुटता कैसे होगी.
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राहुल गांधी के बयान पर समर्थन करने से बच रहे नीतीश: नीतीश कुमार एक तरफ से विपक्षी एकजुटता को लेकर कांग्रेस की भूमिका महत्वपूर्ण बताते रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ राहुल गांधी के बड़े बयान पर अपना पत्ता भी नहीं खोलते हैं. 50% आरक्षण का बैरियर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से लगा हुआ है और इसी को लेकर राहुल गांधी ने केंद्र सरकार से समाप्त करने की मांग के साथ ही 2011 में जो जातीय जनगणना हुई थी उसकी रिपोर्ट जारी करने की मांग भी की है, लेकिन नीतीश कुमार ने साफ कहा कि वह तो बाद की चीज है. पहले जातीय गणना का रिपोर्ट आ जाए. तब उसे केंद्र को हम लोग भेजेंगे फिर केंद्र फैसला लेगी.
जदयू ने कहा-आरक्षण बैरियर खत्म करना बेईमानीः वहीं जदयू के प्रवक्ता हिमराज राम का भी कहना है कि -''जातीय गणना की रिपोर्ट आए बिना 50% आरक्षण के बैरियर पर चर्चा करना बेमानी है. लेकिन विपक्षी एकजुटता होगी इसमें कोई संदेह नहीं है''. पार्टी के वरिष्ठ नेता सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह भी कह रहे हैं कि पहल किसने की है यह देखने की जरूरत है अब जातीय गणना की मांग पूरे देश में हो रही है. लोकतंत्र में मुद्दा महत्वपूर्ण होता है और मुद्दा को लेकर कौन आगे बढ़ रहा है वह ज्यादा मायने रखता है. राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा का कहना है कि राहुल गांधी के बयान पर जिस प्रकार से नीतीश कुमार डिप्लोमेटिक गोलमोल जवाब दे रहे हैं. यह साफ दिखता है कि अपने कार्ड अभी भी ओपन रखना चाहते हैं.
"पहल किसने की है यह देखने की जरूरत है अब जातीय गणना की मांग पूरे देश में हो रही है. लोकतंत्र में मुद्दा महत्वपूर्ण होता है और मुद्दा को लेकर कौन आगे बढ़ रहा है वह ज्यादा मायने रखता है"- वशिष्ठ नारायण सिंह, सांसद, जेडीयू
"राहुल गांधी के बयान पर जिस प्रकार से नीतीश कुमार डिप्लोमेटिक गोलमोल जवाब दे रहे हैं. यह साफ दिखता है कि अपने कार्ड अभी भी ओपन रखना चाहते हैं" - प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ
बीजेपी विपक्षी एकजुटता पर कर रही तंजः बीजेपी नेताओं को तंज कसने का मौका मिल गया है प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है किसी मुद्दे पर सहमति इन लोगों के बीच नहीं बन सकती है. क्योंकि विपक्ष में प्रधानमंत्री पद के दर्जन दावेदार हैं और इसलिए जब राहुल गांधी से नीतीश कुमार ने मुलाकात की तो फिर अगले दिन शरद पवार भी राहुल गांधी से मिलने दिल्ली पहुंच गए थे. प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में ममता बनर्जी अरविंद केजरीवाल और कई नेता है, लेकिन जनता अभी भी नरेंद्र मोदी को ही पसंद कर रही है। जहां तक आरक्षण की बात है तो पहले भी राजनीति की जा रही थी और अभी भी उस पर राजनीति करने की कोशिश हो रही है.
"किसी मुद्दे पर सहमति इन लोगों के बीच नहीं बन सकती है. क्योंकि विपक्ष में प्रधानमंत्री पद के दर्जन दावेदार हैं और इसलिए जब राहुल गांधी से नीतीश कुमार ने मुलाकात की तो फिर अगले दिन शरद पवार भी राहुल गांधी से मिलने दिल्ली पहुंच गए थे. प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में ममता बनर्जी अरविंद केजरीवाल और कई नेता है, लेकिन जनता अभी भी नरेंद्र मोदी को ही पसंद कर रही है। जहां तक आरक्षण की बात है तो पहले भी राजनीति की जा रही थी और अभी भी उस पर राजनीति करने की कोशिश हो रही है" - विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी
जातीय गणना की रिपोर्ट आने के बाद बन सकता है मुद्दाः ऐसे सुप्रीम कोर्ट ने अपर कास्ट के 10% आरक्षण पर जब मुहर लगाई थी तो उस समय नीतीश कुमार ने बयान दिया था कि 50% आरक्षण के बैरियर को अब केंद्र को समाप्त कर देना चाहिए और अति पिछड़ा का आरक्षण कोटा बढ़ा देना चाहिए. लेकिन अब राहुल गांधी के बयान के बाद उस पर बोलने से बच रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि नीतीश कुमार 50% आरक्षण के मुद्दे पर किसी को क्रेडिट लेने देना नहीं चाह रहे हैं और इसलिए फिलहाल कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. बिहार में जब जातीय गणना की रिपोर्ट आ जाएगी. तब इसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश जरूर करेंगे.
विपक्षी एकजुटता पर संशय: बिहार में महागठबंधन बनने के बाद नीतीश कुमार 2024 के लिए विपक्षी एकजुटता की लगातार बात कर रहे हैं और प्रयास भी करते रहे हैं. तीन बार दिल्ली जा चुके हैं. पिछले दिनों दिल्ली में राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे से लंबी बातचीत हुई और उन्हें बड़ी जिम्मेवारी मिली है. नीतीश कुमार कहते भी रहे हैं कि कांग्रेस के बिना विपक्षी एकजुटता का कोई मायने नहीं है लेकिन इन सबके बावजूद कांग्रेस के बड़े कार्यक्रमों से नीतीश कुमार दूरी बनाए रखते हैं कांग्रेस के बड़े नेताओं के बयान का समर्थन करने से भी नीतीश कुमार बचते हैं ऐसे में बड़ा सवाल कि 2024 के लिए विपक्षी एकजुटता कैसे हो पाएगी.