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बिहार की राजनीति में शाहनवाज हुसैन की एंट्री BJP का दूरगामी दांव?

सूत्रों के अनुसार भाजपा बिहार में राजग के सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बाद किसी भी हाल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साए से बाहर निकलना चाह रही है. राजनीतिक जानकारों की भी मानें तो भाजपा ने शाहनवाज की बिहार की राजनीति में एंट्री करवा कर एक दूरगामी दांव खेला है.

पटना
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Published : Jan 19, 2021, 7:31 PM IST

पटना: पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लगातार अपनी रणनीति में बदलाव कर रही है. ऐसे में एक बार फिर केंद्रीय मंत्री का दायित्व संभाल चुके शाहनवाज हुसैन को भाजपा ने विधान परिषद का प्रत्याशी घोषित कर सबको चौंका दिया. भाजपा के इस कदम को लेकर अब दूरगामी तैयारी के संकेत मिल रहे हैं.

इससे पहले बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को राज्यसभा भेजकर और तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी को उपमुख्यमंत्री का दायित्व सौंपा गया है. भाजपा में रहते हुए मोदी की पहचान नीतीश कुमार के समर्थक के रूप में रही है.

भाजपा के सूत्र भी मानते हैं कि भाजपा बिहार में राजग के सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बाद किसी भी हाल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साए से बाहर निकलना चाह रही है. ऐसे में जहां, सुशील मोदी को राज्यसभा भेज दिया गया, वहीं पार्टी में मुस्लिम चेहरा शाहनवाज हुसैन को बिहार विधान परिषद में भेजने की रणनीति बनाई गई.

राजनीतिक जानकारों की भी मानें तो भाजपा ने शाहनवाज की बिहार की राजनीति में एंट्री करवा कर एक दूरगामी दांव खेला है. भाजपा इस बदलाव के जरिए भविष्य की रणनीति तैयार कर रही है. भाजपा के इस बदलाव के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ऊपर एक दबाव के तौर पर भी माना जा रहा है.

राजनीतिक समीक्षक और बीबीसी के संवाददाता रहे मणिकांत ठाकुर कहते हैं, भाजपा बिहार में इन बदलावों के जरिए सत्ता का भविष्य बुन रही है. भविष्य को लेकर वह राजग के घटक दलों को भी यह संदेश दे रही है वह अब अब आगे बढ़कर राजनीति करेगी.

ठाकुर हालांकि, यह भी कहते हैं कि अतिरेक उत्साह में इस बदलाव को अंतिम मान लेना भी अभी सही नहीं है, अभी आगे और कुछ देखने को मिल सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा ने नीतीश कुमार को भी इन बदलावों से यह संदेश दे दिया है कि वे या तो भाजपा से सहमत हों या केंद्र में बड़ा पद ले लें. इसके अलावा भाजपा उन्हें कड़ा संदेश भी दे रही है.

इधर, भाजपा के नेता इस पर कुछ भी खुलकर नहीं बोल रहे हैं. भाजपा के एक नेता नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहते हैं कि भाजपा ने अब 'फ्रंट फुट' पर बिहार की राजनीति करने का मन बना लिया है.

पढ़ेंः देश को चलाने के लिए बोलने से ज्यादा सोचने की जरूरत : राहुल गांधी

कुछ लोग यह भी मानते हैं कि भाजपा एक ओर जहां बिहार में शाहनवाज हुसैन को मुस्लिम चेहरा के रूप में प्रोजेक्ट कर सीमांचल में अपनी पकड़ मजबूत करने की योजना पर काम कर रही है, वहीं राजद के मुस्लिम वोट बैंक में भी सेंध लगाने की जुगत में है.

कहा जा रहा है कि शाहनवाज हुसैन के आने से बिहार में भाजपा को मजबूती मिलेगी तथा मुस्लिम समुदाय में अच्छा संदेश भी जाएगा. शाहनवाज की छवि युवा, तेजतर्रार और भरोसेमंद नेता की है.

इधर, भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद भी कहते हैं कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व जो भी निर्णय लेता है उसे पार्टी के नेता और कार्यकर्ता सहर्ष स्वीकार करते हैं. यह फैसला भी पार्टी नेतृत्व का है.

पटना: पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लगातार अपनी रणनीति में बदलाव कर रही है. ऐसे में एक बार फिर केंद्रीय मंत्री का दायित्व संभाल चुके शाहनवाज हुसैन को भाजपा ने विधान परिषद का प्रत्याशी घोषित कर सबको चौंका दिया. भाजपा के इस कदम को लेकर अब दूरगामी तैयारी के संकेत मिल रहे हैं.

इससे पहले बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को राज्यसभा भेजकर और तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी को उपमुख्यमंत्री का दायित्व सौंपा गया है. भाजपा में रहते हुए मोदी की पहचान नीतीश कुमार के समर्थक के रूप में रही है.

भाजपा के सूत्र भी मानते हैं कि भाजपा बिहार में राजग के सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बाद किसी भी हाल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साए से बाहर निकलना चाह रही है. ऐसे में जहां, सुशील मोदी को राज्यसभा भेज दिया गया, वहीं पार्टी में मुस्लिम चेहरा शाहनवाज हुसैन को बिहार विधान परिषद में भेजने की रणनीति बनाई गई.

राजनीतिक जानकारों की भी मानें तो भाजपा ने शाहनवाज की बिहार की राजनीति में एंट्री करवा कर एक दूरगामी दांव खेला है. भाजपा इस बदलाव के जरिए भविष्य की रणनीति तैयार कर रही है. भाजपा के इस बदलाव के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ऊपर एक दबाव के तौर पर भी माना जा रहा है.

राजनीतिक समीक्षक और बीबीसी के संवाददाता रहे मणिकांत ठाकुर कहते हैं, भाजपा बिहार में इन बदलावों के जरिए सत्ता का भविष्य बुन रही है. भविष्य को लेकर वह राजग के घटक दलों को भी यह संदेश दे रही है वह अब अब आगे बढ़कर राजनीति करेगी.

ठाकुर हालांकि, यह भी कहते हैं कि अतिरेक उत्साह में इस बदलाव को अंतिम मान लेना भी अभी सही नहीं है, अभी आगे और कुछ देखने को मिल सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा ने नीतीश कुमार को भी इन बदलावों से यह संदेश दे दिया है कि वे या तो भाजपा से सहमत हों या केंद्र में बड़ा पद ले लें. इसके अलावा भाजपा उन्हें कड़ा संदेश भी दे रही है.

इधर, भाजपा के नेता इस पर कुछ भी खुलकर नहीं बोल रहे हैं. भाजपा के एक नेता नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहते हैं कि भाजपा ने अब 'फ्रंट फुट' पर बिहार की राजनीति करने का मन बना लिया है.

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कुछ लोग यह भी मानते हैं कि भाजपा एक ओर जहां बिहार में शाहनवाज हुसैन को मुस्लिम चेहरा के रूप में प्रोजेक्ट कर सीमांचल में अपनी पकड़ मजबूत करने की योजना पर काम कर रही है, वहीं राजद के मुस्लिम वोट बैंक में भी सेंध लगाने की जुगत में है.

कहा जा रहा है कि शाहनवाज हुसैन के आने से बिहार में भाजपा को मजबूती मिलेगी तथा मुस्लिम समुदाय में अच्छा संदेश भी जाएगा. शाहनवाज की छवि युवा, तेजतर्रार और भरोसेमंद नेता की है.

इधर, भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद भी कहते हैं कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व जो भी निर्णय लेता है उसे पार्टी के नेता और कार्यकर्ता सहर्ष स्वीकार करते हैं. यह फैसला भी पार्टी नेतृत्व का है.

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