पटना : नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा के बीच अब आमने सामने की लड़ाई है. दोनों में शह-मात का खेल चल रहा है. उपेन्द्र कुशवाहा की सियासत की धार को नीतीश कुमार कुंद करना चाहते हैं, तो कुशवाहा भी नीतीश कुमार को उसी अंदाज में जवाब दे रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनों के जंजाल में फंस गए हैं. जदयू पार्लियामेंट्री बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार के लिए सांप-छछूंदर जैसी स्थिति पैदा कर दी है. उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश कुमार पार्टी से निकालना नहीं चाहते और उपेंद्र कुशवाहा जदयू से इस्तीफा नहीं देना चाहते.
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तीन-तीन बार हुआ मोहभंग?: यह तीसरा मौका है जब उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार के साथ आए. बिहार के सियासत को दिशा देने की कोशिश की. इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश कुमार ने नेता प्रतिपक्ष बनाया था, उसके बाद उपेंद्र कुशवाहा ने अलग राह अख्तियार कर लिया. फिर वापस आये और कुशवाहा को नीतीश कुमार ने राज्यसभा भेजा. जल्द ही उपेंद्र कुशवाहा का नीतीश कुमार से मोह भंग हो गया उन्होंने अलग पार्टी बना ली. फिर वापस लौटे और नीतीश कुमार ने कुशवाहा को पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष और विधान पार्षद बनाया. लेकिन यह रिश्ता भी बहुत लंबा नहीं चल सका और उपेंद्र कुशवाहा ने बगावत का झंडा तैयार कर लिया.
माइंड गेम से हराएंगे नीतीश? : इन सबके बीच बिहार की सियासत में उपेंद्र कुशवाहा का कद बढ़ता गया. वह कुशवाहा समाज में रिकॉग्नाइज किए जाने लगे. इस बार नीतीश कुमार के लिए उपेंद्र कुशवाहा से निपटना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. उपेंद्र कुशवाहा से निपटने के लिए सीएम नीतीश कुमार माइंड गेम कर रहे हैं. नीतीश कुमार को यह पता है कि उपेंद्र कुशवाहा को अगर पार्टी से निष्कासित किया या निलंबित करते हैं तो ऐसी स्थिति में कुशवाहा समाज के अंदर गलत मैसेज जाएगा. इससे वोट बैंक पर असर पड़ सकता है. लिहाजा नीतीश कुमार ऐसी स्थिति पैदा कर देना चाहते हैं कि उपेंद्र कुशवाहा खुद ही पार्टी छोड़कर चले जाएं.
ललन और उमेश भी मैदान में उतरे: रणनीति के तहत उपेंद्र कुशवाहा से निपटने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को आगे किया? ललन सिंह ने अपने अंदाज में कहा कि वह उपेंद्र कुशवाहा को पार्लिमेंट बोर्ड का अध्यक्ष नहीं मानते हैं. इधर नीतीश कुमार ने मीडिया से बातचीत के दौरान यह कहा कि उपेंद्र कुशवाहा को जहां जाना है वहां चले जाएं. शतरंज की बिसात पर दूसरे मोहरे के रूप में उपेंद्र कुशवाहा के रिश्तेदार और राजनीतिक प्रतिद्वंदी उमेश कुशवाहा को आगे किया. उमेश कुशवाहा ने भी अपने अंदाज में उपेंद्र कुशवाहा को घेरने की कोशिश की. उमेश कुशवाहा ने चुनौती देते हुए कहा कि उपेंद्र कुशवाहा जदयू की एक ईंट भी नहीं खिसका सकते हैं.
''लिखित रुप में उपेन्द्र कुशवाहा पार्लियामेंट्री बोर्ड के अध्यक्ष हैं लेकिन मौखिक रूप में कह रहे हैं कि मैं अध्यक्ष नहीं हैं. जबकि ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद भी लेटर पैड पर मुझे पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष ही लिखा गया है. यही बात हम कह रहे थे कि कागज में तो लिख दिया लेकिन हमे झुनझुना थमा दिया.''- उपेन्द्र कुशवाहा, जेडीयू नेता
.. तो फिर किसकी है जेडीयू? : जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा की जदयू में कोई हिस्सेदारी नहीं है. वह स्थानीय निकाय का चुनाव भी नहीं जीत सकते हैं. जदयू के अंदर रहकर वह पार्टी का नुकसान करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन, उनसे जदयू की एक ईंट भी नहीं खिसका सकते हैं. पार्टी में उन्हें बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष ने नई कमेटी का विस्तार नहीं किया है. उपेंद्र कुशवाहा ने जवाबी कार्रवाई में देरी नहीं की. नीतीश कुमार को सीधे-सीधे चुनौती देते हुए कुशवाहा ने कहा कि यह पार्टी नीतीश कुमार की नहीं, शरद यादव की है.
झुनझुना था उपेन्द्र कुशवाहा का पद? : समता पार्टी पर नीतीश कुमार का एकाधिकार था. जदयू सब की पार्टी है, मुझे नीतीश कुमार ने झुनझुना थमा ने का काम किया. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मैं पार्टी नहीं छोडूंगा और पार्टी को मजबूत करने का काम करता रहूंगा. राजद नेता और बिहार सरकार के मंत्री ललित यादव ने दिल को लेकर कहा कि राजद और जदयू के बीच किसी तरह की डील नहीं हुई थी. उपेंद्र कुशवाहा अनर्गल आरोप लगा रहे हैं.