पटना: जाति आधारित जनगणना (Caste Based Census) को लेकर बिहार में सियासी संग्राम है. इस मुद्दे पर एनडीए (NDA) के मुख्य घटक दल आमने-सामने हैं तो राजद ने भी नीतीश कुमार (Nitish Kumar) पर हमला बोला है. राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा है कि नीतीश कुमार कुर्सी बचाने की कोशिश में हैं. उन्हें पिछड़ा और अति पिछड़ा से कोई मतलब नहीं है. उन्हें सिर्फ अपनी कुर्सी से मतलब है.
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बिहार में जातिगत जनगणना की मांग लंबे समय से उठती रही है. बिहार विधानसभा से दो बार प्रस्ताव पास कर केंद्र को भेजा जा चुका है. इन दिनों जातिगत जनगणना को लेकर बिहार में राजनीतिक बयानबाजी तेज है. भाजपा और जदयू अपने स्टैंड से पीछे हटने को तैयार नहीं है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान पर भाजपा ने पलटवार किया है. पार्टी की ओर से कहा गया है कि स्वतंत्र भारत में कई बार जाति आधारित जनगणना के सवाल उठे, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया. वहीं, जदयू का मानना है कि इन्क्लूसिव ग्रोथ के लिए जातिगत जनगणना जरूरी है.
"जातिगत जनगणना का सवाल कई बार उठा है. स्वतंत्र भारत में भी इस सवाल को उठाया गया था, लेकिन सरदार बल्लभ भाई पटेल ने इसे खारिज कर दिया था. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की जनगणना इसलिए होती है कि लोकसभा और विधानसभा में उनके लिए सीटें आरक्षित हैं. दूसरी जातियों के लिए सीटें आरक्षित नहीं हैं. इसलिए जातिगत जनगणना की जरूरत नहीं है."- प्रेम रंजन पटेल, प्रवक्ता, भाजपा
"नीतीश कुमार ने बिहार में विकास के आयाम स्थापित किए हैं. उनके प्रयास से दो बार बिहार विधानसभा से सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर केंद्र सरकार को भेजा गया. समाज के हर वर्ग के विकास के लिए जातिगत जनगणना जरूरी है. हम इसके पक्ष में हैं." नीरज कुमार, प्रवक्ता, जदयू
"सीएम नीतीश कुमार ने भाजपा के सामने हथियार डाल दिए हैं. नीतीश कुमार को मजबूती से अपनी बात रखनी चाहिए. इसके बजाय वह भाजपा के नेताओं से अनुरोध कर रहे हैं."- एजाज अहमद, प्रवक्ता, राजद
बता दें कि केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना को लेकर अपना स्टैंड स्पष्ट कर दिया है. सरकार ने कहा है कि फिलहाल जातिगत जनगणना संभव नहीं है. इसपर नीतीश कुमार ने सवाल खड़ा किया है. नीतीश ने शनिवार को ट्वीट कर जाति आधारित जनगणना कराने की मांग की. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा था, "हम लोगों का मानना है कि जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए. बिहार विधानमंडल ने दिनांक 18.02.19 और पुनः बिहार विधानसभा ने दिनांक 27.02.20 को सर्वसम्मति से इस आशय का प्रस्ताव पारित किया था तथा इसे केन्द्र सरकार को भेजा गया था. केन्द्र सरकार को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करना चाहिए."
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