पटना: पुलिस के द्वारा पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट के मिल रहे शिकायत के बाद बिहार सरकार के गृह विभाग के द्वारा पत्र निकाला गया था. बिहार सरकार के गृह विभाग के द्वारा जारी किए गए पत्र में विभिन्न सरकारी विभागों, निगमों, निकायों के संविदा ठेका पर काम लेने के लिए चरित्र सत्यापन की अनिवार्यता, एकरूपता लाने और इसको दृढ़ता से पालन कराने की आवश्यकता महसूस की गई है. जिसके आलोक में पुलिस मुख्यालय द्वारा पुलिस द्वारा किसी भी व्यक्ति के संबंध में समर्पित सत्यापन प्रतिवेदन अत्यंत ही संवेदनशील दस्तावेज है.
पुलिस को देना पड़ता है वेरिफिकेशन रिपोर्ट
इसे बिना अनावश्यक विलंब के आवेदक को परेशान किए बगैर सही-सही तैयार किया जाना आवश्यक है. पुलिस मुख्यालय द्वारा पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट के संबंध में निर्णय लिया गया है कि किसी भी सरकारी विभागों, निगम, निकायों के ठेका का काम या हथियार का लाइसेंस पासपोर्ट, चरित्र प्रमाण पत्र इत्यादि से संबंधित निर्णय लिए जाने के पूर्व पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट देना पड़ता है.
अपराधी के आंकड़ों की जांच
पुलिस मुख्यालय ने निर्णय लिया है कि संगीन अपराधों के संबंध में यदि कोई व्यक्ति प्राथमिकी या प्राथमिकी अभियुक्त रहा हो, किंतु अनुसंधान के बाद उसे आरोपी नहीं बनाया गया हो तो, सत्यापन प्रतिवेदन में कोई टिप्पणी नहीं की जाएगी. संदिग्ध घोषित किए गए व्यक्ति पर भी टिप्पणी नहीं की जाएगी. कुछ व्यक्तियों के निवास स्थान एक से अधिक होते हैं. ऐसे व्यक्तियों के संबंध में उनके वर्तमान पता और स्थाई पता दोनों के लिए अपराधी के आंकड़ों की जांच की जाएगी.
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थाना अध्यक्ष की होगी जिम्मेवारी
पुलिस मुख्यालय ने निर्णय लिया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी विधि-व्यवस्था की स्थिति विरोध-प्रदर्शन, सड़क जाम इत्यादि मामलों में संलिप्त हो कर किसी आपराधिक कृत्य में शामिल होता है, उसे इस कार्य के लिए पुलिस द्वारा आरोपित किया जाता है. उनके संबंध में चरित सत्यापन प्रतिवेदन में विशिष्ट और स्पष्ट रूप से प्रतिवेदित की जाए. ऐसे व्यक्ति को गंभीर परिणामों के लिए तैयार रहना होगा. क्योंकि उन्हें सरकारी नौकरी, सरकारी ठेका आदि नहीं मिल पाएगा. पुलिस सत्यापन प्रतिवेदन तैयार करने की जिम्मेवारी संबंधित थाना अध्यक्ष की होगी. किसी भी सूरत में चूक नहीं बर्दाश्त किया जाएगा.