पटना: पीएम नरेंद्र मोदी ने आज कोरोना वैक्सीनेशन शुरू होने के मौके पर देश को संबोधित किया. इस मौके पर उन्होंने देशवासियों के हौसले की सराहना करते हुए एक कविता की पंक्ति पढ़ी, 'मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है'. इस कविता के माध्यम से उन्होंने देश के 'राष्ट्रकवि' रामधारी सिंह दिनकर को याद किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को कोरोना वैक्सीनेशन की शुरुआत करने के दौरान देश को संबोधित करते हुए भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि कोरोना के काल में हमारे कई साथी ऐसे रहे जो बीमार होकर अस्पताल गए तो लौटे ही नहीं.
रामधारी सिंह ‘दिनकर अपने समय के ही नहीं बल्कि हिंदी के ऐसे कवि हैं, जो अपने लिखे के लिए कभी विवादित नहीं रहे, जिंदगी के लिए भले ही थोड़े-बहुत रहे हों. वे ऐसे कवि रहे जो एक साथ पढ़े-लिखे, अपढ़ और कम पढ़े-लिखों में भी बहुत प्रिय हुए. यहां तक कि अहिंदी भाषा-भाषियों के बीच भी वे उतने ही लोकप्रिय थे.
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रामधारी सिंह दिनकर का जन्म वर्ष 1908 ई में तत्कालीन मुंगेर जिला और वर्तमान बेगूसराय जिले के सिमरिया गांव में हुआ था. साधारण किसान परिवार में जन्मे रामधारी सिंह दिनकर के पिता का नाम रवि सिंह और माता का नाम मनरूप देवी था.
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रामधारी सिंह दिनकर की प्रारंभिक शिक्षा गांव के प्राथमिक विद्यालय में हुई, जिसके बाद उन्होंने पटना में स्नातक स्तरीय पढ़ाई पूर्ण की. रामधारी सिंह दिनकर हिंदी के प्रमुख कवि और निबंधकार थे, वो आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि थे.
छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि
दिनकर हिंदी साहित्य के छायावाद काल के बाद कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे. उनकी रचनाओं में वीर रस का ज्यादा प्रभाव देखने को मिलता है. राष्ट्रकवि दिनकर ने सामाजिक-आर्थिक असमानता और शोषण के खिलाफ कविताओं की रचना की. एक प्रगतिवादी और मानववादी कवि के रूप में उन्होंने ऐतिहासिक पात्रों और घटनाओं को ओजस्वी और प्रखर शब्दों में गढ़ा. उनकी महान रचनाओं में 'रश्मिरथी' और 'परशुराम की प्रतीक्षा' शामिल है.