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चारा घोटाला मामला: लालू प्रसाद की सजा बढ़ाने की मांग वाली याचिका पर अब तीन सप्ताह बाद सुनवाई

देवघर कोषागार से अवैध निकासी मामले में (Case of Illegal withdrawal From Deoghar Treasury) लालू प्रसाद सहित छह सजायाफ्ता की सजा बढ़ाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सोमवार को आंशिक सुनवाई हुई. लेकिन सीबीआई की ओर से कोई अधिवक्ता कोर्ट में उपस्थित नहीं हुआ. इस कारण कोर्ट ने मामले की सुनवाई तीन सप्ताह बाद निर्धारित की है.

चारा घोटाला मामला
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Published : Nov 21, 2022, 11:09 PM IST

पटना/रांची: बहुचर्चित चारा घोटाला में देवघर कोषागार से अवैध निकासी मामले में आरोपी लालू प्रसाद सहित छह सजायाफ्ता की सजा बढ़ाने की मांग (Petition To Increase Lalu sentence) को लेकर सीबीआई की ओर से दायर याचिका पर सोमवार को आंशिक सुनवाई हुई. अदालत ने मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए तीन सप्ताह बाद की तिथि निर्धारित करने का आदेश दिया है. तब तक के लिए मामले की सुनवाई को स्थगित कर दी गई है.

ये भी पढ़ें-Fodder Scam Case: लालू प्रसाद यादव को झारखंड हाई कोर्ट से मिली जमानत

सीबीआई की ओर से कोई अधिवक्ता कोर्ट में उपस्थित नहीं हुआः झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय और न्यायाधीश अंबुज नाथ की खंडपीठ में इस मामले पर सुनवाई हुई. मामले में सीबीआई की ओर से कोई अधिवक्ता कोर्ट में उपस्थित नहीं हुआ. लालू प्रसाद की ओर से अधिवक्ता प्रभात कुमार ने पैरवी की. कोर्ट ने मामले की सुनवाई तीन सप्ताह बाद निर्धारित की है.

छह सजायाफ्ता में अब तीन ही बचे हैंः मामले के छह सजायाफ्ता में से तीन आरके राणा, फूलचंद सिंह और महेश प्रसाद का निधन हो चुका है. सीबीआई द्वारा दायर छह सजायाफ्ता की सजा बढ़ाने मामले में से अब सिर्फ लालू प्रसाद, सुबीर कुमार भट्टाचार्य और ब्रेक जुलियस ही बचे हैं. उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल (Petition Filed By CBI) कर कहा है कि देवघर कोषागार से अवैध निकासी मामले में इन छह सजायाफ्ता को तीन से छह साल की सजा सुनाई गई है. सीबीआई ने इन्हें अधिकतम सजा देने की मांग करते हुए याचिका दाखिल की है.

नौ माह पहले लालू प्रसाद यादव ने सीबीआई की अदालत के फैसले को चुनौती दी थीः गौरतलब हो कि नौ माह पहले चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव ने झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. लालू प्रसाद यादव ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर सीबीआई की विशेष अदालत की ओर से सुनाए गए फैसले को चुनौती दी थी. सीबीआई की अदालत ने 21 फरवरी को डोरंडा कोषागार से हुई करीब 139.35 करोड़ रुपये की निकासी के मामले में लालू यादव को पांच वर्ष की कैद और 60 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी.अपनी याचिका में अदालत के फैसले को चुनौती देने के साथ लालू प्रसाद यादव ने जमानत की मांग की थी.

पटना/रांची: बहुचर्चित चारा घोटाला में देवघर कोषागार से अवैध निकासी मामले में आरोपी लालू प्रसाद सहित छह सजायाफ्ता की सजा बढ़ाने की मांग (Petition To Increase Lalu sentence) को लेकर सीबीआई की ओर से दायर याचिका पर सोमवार को आंशिक सुनवाई हुई. अदालत ने मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए तीन सप्ताह बाद की तिथि निर्धारित करने का आदेश दिया है. तब तक के लिए मामले की सुनवाई को स्थगित कर दी गई है.

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सीबीआई की ओर से कोई अधिवक्ता कोर्ट में उपस्थित नहीं हुआः झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय और न्यायाधीश अंबुज नाथ की खंडपीठ में इस मामले पर सुनवाई हुई. मामले में सीबीआई की ओर से कोई अधिवक्ता कोर्ट में उपस्थित नहीं हुआ. लालू प्रसाद की ओर से अधिवक्ता प्रभात कुमार ने पैरवी की. कोर्ट ने मामले की सुनवाई तीन सप्ताह बाद निर्धारित की है.

छह सजायाफ्ता में अब तीन ही बचे हैंः मामले के छह सजायाफ्ता में से तीन आरके राणा, फूलचंद सिंह और महेश प्रसाद का निधन हो चुका है. सीबीआई द्वारा दायर छह सजायाफ्ता की सजा बढ़ाने मामले में से अब सिर्फ लालू प्रसाद, सुबीर कुमार भट्टाचार्य और ब्रेक जुलियस ही बचे हैं. उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल (Petition Filed By CBI) कर कहा है कि देवघर कोषागार से अवैध निकासी मामले में इन छह सजायाफ्ता को तीन से छह साल की सजा सुनाई गई है. सीबीआई ने इन्हें अधिकतम सजा देने की मांग करते हुए याचिका दाखिल की है.

नौ माह पहले लालू प्रसाद यादव ने सीबीआई की अदालत के फैसले को चुनौती दी थीः गौरतलब हो कि नौ माह पहले चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव ने झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. लालू प्रसाद यादव ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर सीबीआई की विशेष अदालत की ओर से सुनाए गए फैसले को चुनौती दी थी. सीबीआई की अदालत ने 21 फरवरी को डोरंडा कोषागार से हुई करीब 139.35 करोड़ रुपये की निकासी के मामले में लालू यादव को पांच वर्ष की कैद और 60 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी.अपनी याचिका में अदालत के फैसले को चुनौती देने के साथ लालू प्रसाद यादव ने जमानत की मांग की थी.

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