पटना: राज्य सरकार द्वारा राज्य में पौने दो लाख शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देते हुए एक याचिका पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) में दायर की गई है. प्रभाकर रंजन व अन्य बीस याचिकाकर्ताओं ने ये याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता की अधिवक्ता ऋतिका रानी ने बताया कि इस याचिका में शिक्षकों के नियुक्ति प्रक्रिया की वैधता को चुनौती दी गई है. उन्होंने बताया कि बिहार राज्य स्कूल शिक्षक (नियुक्ति,स्थानांतरण,अनुशासनिक कार्रवाई व सेवा शर्तें) रूल, 2023 की वैधता को चुनौती दी गई है.
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हाईकोर्ट में याचिका दायर: अधिवक्ता ने कारण बताते हुए कहा कि राज्य में स्कूल शिक्षकों रुल 2006, रूल 2008, रूल 2012 और रूल 2020 के तहत नियुक्ति के प्रावधानों को बिना हटाए नया रूल लाया गया है. उन्होंने बताया कि पूर्व के प्रावधानों के अनुसार इन स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद और नगरपालिका के हाथों में था. इन प्रावधानों को हटाए बगैर रूल 2023 राज्य सरकार द्वारा लाया गया, जिसके तहत राज्य में पौने दो लाख स्कूल शिक्षकों की बहाली होने जा रही है.
वैधता को दी गई चुनौती: अधिवक्ता ने जानकारी दी कि वैधता को चुनौती देने वाली याचिका जबतक कोर्ट के सुनवाई के लंबित है, इस विज्ञापन के आधार पर इन पौने दो लाख शिक्षकों की बहाली सही नहीं होगी. पंचायतों, पंचायत समिति, जिला परिषदों और नगरपालिका से शिक्षकों की बहाली का अधिकार वापस लेना स्थानीय स्वायतता के सिद्धांतों के विपरीत है.
गर्मी छुट्टी के बाद सुनवाई की संभावना: नए प्रावधानों के अनुसार इन पौने दो लाख शिक्षकों की नियुक्ति के लिए परीक्षा आयोजित कर उनके परिणाम के आधार पर नियुक्ति की अनुशंसा करने की जिम्मेदारी बिहार राज्य पब्लिक सर्विस कमीशन को सौंपी गई है. याचिका में ये भी मुद्दा उठाया गया है कि रूल 2006 के तहत नियुक्त शिक्षकों की योग्यता और कार्य समान है. लेकिन 2023 के रूल के अनुसार जो शिक्षक बहाल होंगे. उनका वेतन अलग होगा. जो समानता के सिद्धांत के विरुद्ध है.