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Bihar Caste Survey Report पर आम लोगों की क्या है राय? जानिये जनता ने क्यों कहा इसे पॉलिटिकल स्टंट

बिहार में जातिगत गणना की रिपोर्ट जारी कर दी गई है और इसके बाद आम लोगों के बीच इसको लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया देखने (People Opinion On Bihar Caste Survey Report) को मिल रही है. कुछ लोग इसे अच्छा बता रहे हैं तो कुछ लोगों का कहना है कि इससे जातिवाद को बढ़ावा मिलेगा और समाज में बराबरी नहीं आएगी.

Bihar Caste Survey Report पर आम लोगों की क्या है राय
Bihar Caste Survey Report पर आम लोगों की क्या है राय
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 3, 2023, 7:49 AM IST

Updated : Oct 3, 2023, 11:20 AM IST

जातिगत गणना की रिपोर्ट पर आम लोगों की राय

पटनाः बिहार सरकार द्वारा कराई गई जातिगत गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद बिहार में राजनीति गरमाई हुई है. सभी राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने नफे नुकसान के हिसाब से इसे अच्छा या बुरा ठहराने में लगी हैं. वहीं बात अगर आम जनता की करें तो कई लोगों ने इस जातिगत गणना के आंकड़े को ही झूठा बता दिया है. उनका कहना है कि उनके यहां कोई आया ही नहीं सर्वे करने के लिए. आईये जानते हैं इस रिपोर्ट पर जनता की क्या राय है. ?

ये भी पढ़ेंः Bihar Caste Survey Report जारी होने के बाद बड़ी तैयारी में CM नीतीश, राजनीतिक दलों की बुलाई विशेष बैठक

"सर्वे करने वाली कोई टीम नहीं आई": पटना के रहने वाले पुरुषोत्तम दीनदयाल ने बताया कि वह जाति से कुर्मी है और उनकी जाति की संख्या काफी अधिक है, लेकिन बताया गया है कि आबादी 2.87 प्रतिशत ही है. उनके यहां सर्वे करने वाली कोई टीम नहीं आई ऐसे में इस आंकड़े को वह फर्जी मानते हैं और उनका मानना है कि यह पॉलीटिकल स्टंट है.

'अब प्रभावी ढंग से लागू होंगी योजनाएं': वहीं एक स्थानीय नीरज ने बताया कि वह अति पिछड़ा समाज से हैं और जातिगत गणना की जो भी रिपोर्ट आई है. वह सही प्रतीत हो रही है क्योंकि उनके यहां सर्वे करने वाली टीम आई थी. इस रिपोर्ट से उन लोगों के लिए चलने वाली योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने में और योजनाएं तैयार करने में काफी मदद मिलेगी. इससे कोई चुनावी फायदा नहीं होगा क्योंकि चुनाव में जाति के आधार पर वोट नहीं दिया जाता है.


'राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए यह रिपोर्ट': युवक राजेश कुमार का मानना है कि वह जाति से भूमिहार हैं और 2.86 प्रतिशत भूमिहार की आबादी बताई गई है, यह इससे कहीं अधिक है. यह रिपोर्ट काल्पनिक प्रतीत हो रहा है. राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए यह रिपोर्ट लाई गई है. इससे आम लोगों को कोई फायदा नहीं होने वाला है.

'रिपोर्ट से नहीं होगा कोई बड़ा फायदा'- युवक धर्मेंद्र कुमार का मानना है कि वह अपनी जाति भारतीय बताएंगे क्योंकि जाति से समाज बंटता है. इस रिपोर्ट से क्या फायदा होगा क्या नुकसान होगा यह तो नहीं बता पाएंगे, लेकिन इतना तय है कि जातिवाद को बढ़ावा मिलेगा. कभी जात-पात मिटाकर प्रेम सद्भाव की बातें होती हैं और कभी जातिगत आंकड़ा जारी कर दिया जाता है. उन्हें नहीं लगता कि इससे कोई बहुत बड़ा फायदा होने वाला है.

"सब लोग अपनी आबादी के अनुसार हिस्सेदारी खोजेंगे और गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देंगे. इस वजह से देश जहां था, वहीं रहेगा और विकास नहीं होगा. कभी आरक्षण खत्म करके समाज में बराबरी लाने की बात कही जाती है और इसी बीच जाति गणना जारी करके बराबरी होने नहीं दी जाती. हमें नहीं लगता है कि इस रिपोर्ट का कुछ बहुत फायदा होगा यह चुनावी स्टंट भर ही है"- विनीत कुमार, स्थानीय युवक

2 अक्टूबर को जारी की गई रिपोर्टः आपको बता दें कि बिहार में जाति आधारित सर्वे कराने के बाद सरकार ने इसकी रिपोर्ट भी अब जारी कर दी है. जो सरकारी आंकड़े जारी किए गए हैं, उसके मुताबिक बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ से ज्यादा है. जिनमें सवर्ण (भूमिहार-2.89, राजपूत-3.45, ब्राह्मण-3.66 और कायस्थ-0.60%) की आबादी 15.52 प्रतिशत, 63 फीसदी ओबीसी (24 फीसदी पिछड़ा वर्ग और 36 फीसदी अत्यंत पिछड़ा वर्ग ), अनुसूचित जाति की आबादी 19 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.68 फीसदी है. बिहार में सबसे ज्यादा जाति यादवों की है. आकड़ें के मुताबिक इनकी आबादी 14 फीसद है जबकि कुर्मी 2.8 और कुशवाहा 4.2 प्रतिशत हैं. वहीं मुसलमानों की आबादी 17.7 फीसदी बताई गई है

जातिगत गणना की रिपोर्ट पर आम लोगों की राय

पटनाः बिहार सरकार द्वारा कराई गई जातिगत गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद बिहार में राजनीति गरमाई हुई है. सभी राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने नफे नुकसान के हिसाब से इसे अच्छा या बुरा ठहराने में लगी हैं. वहीं बात अगर आम जनता की करें तो कई लोगों ने इस जातिगत गणना के आंकड़े को ही झूठा बता दिया है. उनका कहना है कि उनके यहां कोई आया ही नहीं सर्वे करने के लिए. आईये जानते हैं इस रिपोर्ट पर जनता की क्या राय है. ?

ये भी पढ़ेंः Bihar Caste Survey Report जारी होने के बाद बड़ी तैयारी में CM नीतीश, राजनीतिक दलों की बुलाई विशेष बैठक

"सर्वे करने वाली कोई टीम नहीं आई": पटना के रहने वाले पुरुषोत्तम दीनदयाल ने बताया कि वह जाति से कुर्मी है और उनकी जाति की संख्या काफी अधिक है, लेकिन बताया गया है कि आबादी 2.87 प्रतिशत ही है. उनके यहां सर्वे करने वाली कोई टीम नहीं आई ऐसे में इस आंकड़े को वह फर्जी मानते हैं और उनका मानना है कि यह पॉलीटिकल स्टंट है.

'अब प्रभावी ढंग से लागू होंगी योजनाएं': वहीं एक स्थानीय नीरज ने बताया कि वह अति पिछड़ा समाज से हैं और जातिगत गणना की जो भी रिपोर्ट आई है. वह सही प्रतीत हो रही है क्योंकि उनके यहां सर्वे करने वाली टीम आई थी. इस रिपोर्ट से उन लोगों के लिए चलने वाली योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने में और योजनाएं तैयार करने में काफी मदद मिलेगी. इससे कोई चुनावी फायदा नहीं होगा क्योंकि चुनाव में जाति के आधार पर वोट नहीं दिया जाता है.


'राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए यह रिपोर्ट': युवक राजेश कुमार का मानना है कि वह जाति से भूमिहार हैं और 2.86 प्रतिशत भूमिहार की आबादी बताई गई है, यह इससे कहीं अधिक है. यह रिपोर्ट काल्पनिक प्रतीत हो रहा है. राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए यह रिपोर्ट लाई गई है. इससे आम लोगों को कोई फायदा नहीं होने वाला है.

'रिपोर्ट से नहीं होगा कोई बड़ा फायदा'- युवक धर्मेंद्र कुमार का मानना है कि वह अपनी जाति भारतीय बताएंगे क्योंकि जाति से समाज बंटता है. इस रिपोर्ट से क्या फायदा होगा क्या नुकसान होगा यह तो नहीं बता पाएंगे, लेकिन इतना तय है कि जातिवाद को बढ़ावा मिलेगा. कभी जात-पात मिटाकर प्रेम सद्भाव की बातें होती हैं और कभी जातिगत आंकड़ा जारी कर दिया जाता है. उन्हें नहीं लगता कि इससे कोई बहुत बड़ा फायदा होने वाला है.

"सब लोग अपनी आबादी के अनुसार हिस्सेदारी खोजेंगे और गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देंगे. इस वजह से देश जहां था, वहीं रहेगा और विकास नहीं होगा. कभी आरक्षण खत्म करके समाज में बराबरी लाने की बात कही जाती है और इसी बीच जाति गणना जारी करके बराबरी होने नहीं दी जाती. हमें नहीं लगता है कि इस रिपोर्ट का कुछ बहुत फायदा होगा यह चुनावी स्टंट भर ही है"- विनीत कुमार, स्थानीय युवक

2 अक्टूबर को जारी की गई रिपोर्टः आपको बता दें कि बिहार में जाति आधारित सर्वे कराने के बाद सरकार ने इसकी रिपोर्ट भी अब जारी कर दी है. जो सरकारी आंकड़े जारी किए गए हैं, उसके मुताबिक बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ से ज्यादा है. जिनमें सवर्ण (भूमिहार-2.89, राजपूत-3.45, ब्राह्मण-3.66 और कायस्थ-0.60%) की आबादी 15.52 प्रतिशत, 63 फीसदी ओबीसी (24 फीसदी पिछड़ा वर्ग और 36 फीसदी अत्यंत पिछड़ा वर्ग ), अनुसूचित जाति की आबादी 19 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.68 फीसदी है. बिहार में सबसे ज्यादा जाति यादवों की है. आकड़ें के मुताबिक इनकी आबादी 14 फीसद है जबकि कुर्मी 2.8 और कुशवाहा 4.2 प्रतिशत हैं. वहीं मुसलमानों की आबादी 17.7 फीसदी बताई गई है

Last Updated : Oct 3, 2023, 11:20 AM IST
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