पटना: राजधानी में शिया समुदाय के लोगों ने कर्बला के जंग में शहीद हुए हजरत इमाम हुसैन समेत 72 लोगों को याद किया. किसी ने जंजीरी मातम के जरिए तो किसी ने अपने सीने पर ठोक कर उनकी शहादत को याद किया है.
इस्लाम की रक्षा के लिए शहादत
बताया जाता है कि इस्लाम धर्म की रक्षा के खातिर कर्बला की जंग में अपने 72 साथियों के साथ लड़ते-लड़ते हजरत इमाम हुसैन ने शहादत दे दी थी. लेकिन इस्लाम को झुकने नहीं दिया था. इस जंग में छोटे-छोटे बच्चे, निर्दोष औरतें मार दी गयी थी. उन्हीं की शहादत को याद करके शिया समुदाय के लोग अपने शरीर को काटकर खून निकालते है. साथ ही इस बात को बताते है कि उस समय हम भी होते तो अपनी कुर्बानी देकर इस्लाम को बचाते.
इस्लाम को झुकने नहीं देंगे- नवी अहमद
शिया समुदाय के लोगो ने मोहर्रम के अंतिम दिन जंजीरी मातम के साथ हाय हुसैन की याद को गमहीन माहौल में मनाया है. सभी वर्ग के युवा, बूढ़े और छोटे-छोटे बच्चों ने कर्बला के जंग में शहीद इमाम हुसैन के साथ उनके 72 साथियों को याद किया. साथ ही मौलाना नवी अहमद ने कहा कि यह शहादत उस जमाने को याद दिलाता है. जब इस्लाम धर्म को बचाने के लिये इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों ने लड़ते- लड़ते शहादत दे दी थी. हम भी इस्लाम धर्म को झुकने नहीं देंगे. लड़ते-लड़ते अपनी शहादत दे देंगे.