पटना: राजधानी पटना के जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय में नियोजित शिक्षकों का प्रदर्शन जोरों पर है. 4 दिनों से अपनी मांगों को लेकर पटना के जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय का घेराव और तालाबंदी कर बैठे नियोजित शिक्षकों को हटाने के लिए पुलिस ने कार्रवाई की. पुलिस ने बल प्रयोग और वाटर कैनन की बौछार करते हुए इन्हें कार्यालय से बाहर किया.
अपनी मांगों को लेकर पिछले कई दिनों से जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय में हंगामा प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों को जिला शिक्षा कार्यालय से हटाया गया. इस बीच पुलिस और नियोजित शिक्षकों में जमकर धक्का मुक्की और नोकझोंक देखने को मिली.
नियोजित शिक्षकों को जैसे ही कार्यालय से हटाया गया, वो सड़क पर उतर आए. शिक्षकों ने ट्रैफिक जाम की कोशिश की. लिहाजा, पुलिस ने उनपर कार्रवाई करते हुए मौके से खदेड़ लिया.
हिरासत में लिए गए शिक्षक
शिक्षकों के बढ़ते हंगामे को देख मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने दर्जनों की संख्या में नियोजित शिक्षकों को हिरासत में ले लिया. वहीं, मौके पर मौजूद मजिस्ट्रेट एमएस खान ने कहा कि हिरासत में लिए गए शिक्षकों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
- बता दें कि सभी हड़ताली शिक्षक पुराने शिक्षकों की तरह वेतनमान, सेवा शर्त और पुरानी पेंशन योजना के साथ नियोजित शिक्षक राज्यकर्मी का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. राज्य के अलग-अलग जिलों में शिक्षकों का प्रदर्शन जारी है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, मई 2019 में बिहार के करीब 3.5 लाख नियोजित शिक्षकों को झटका देते हुये सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के उस फैसले को निरस्त कर दिया था, जिसमें नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन देने का आदेश दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बिहार सरकार की अपील मंजूर कर ली थी.
समान काम के लिये समान वेतन नहीं
समान कार्य के लिए समान वेतन देने के पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बिहार सरकार ने 11 याचिकाएं दायर की थी. इस मामले में केंद्र सरकार समर्थन भी मिला था. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद साफ हो गया था कि नियोजित शिक्षकों को समान काम के आधार पर समान वेतन नहीं मिलेगा.
बिहार सरकार को मिला केंद्र का साथ
केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर 36 पन्नों के हलफनामे में कहा गया था कि इन नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि समान कार्य के लिए समान वेतन के कैटेगरी में ये नियोजित शिक्षक नहीं आते. ऐसे में इन नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों की तर्ज पर समान कार्य के लिए समान वेतन अगर दिया भी जाता है तो सरकार पर प्रति वर्ष करीब 36998 करोड़ का अतिरिक्त भार आएगा.