पटना: राजधानी पटना का एक ऐसा अस्पताल जहां पर बेड करते हैं मरीजों का इंतजार. जी हां ऐसा कुछ आलम है पटना के पुलिस अस्पताल का. जहां हर माह 10 लाख रुपए से अधिक के खर्च के बाद भी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लेने वाला कोई नहीं है.
50 बेड के अस्पताल में पिछली बार कौन एडमिट हुआ इसका भी लेखा जोखा नहीं है. हालत यह है कि पुलिस अस्पताल में डॉक्टर से लेकर अन्य स्टाफ दिन-रात बस मरीजों के इंतजार में बैठे रहते हैं. गृह विभाग ने राजधानी पटना में पुलिस अस्पताल का निर्माण पटना पुलिस हेडक्वार्टर के कैंपस में बनवाया था.
प्रतिमाह 10 लाख से अधिक का खर्च
बताया जाता है कि इस अस्पताल में 10 स्टाफ तैनात है। अगर स्टाफ व अन्य खर्च की बात करें तो यह हर माह 10 लाख से अधिक होगा. अस्पताल में तीन डॉक्टर की तैनाती और तीनों काफी सीनियर हैं. इसमें डॉ अजीत कुमार सिन्हा इंचार्ज हैं जबकि मोहम्मद शमीमुल हक और डॉ कल्पना मिश्रा भी सीनियर डॉक्टर हैं.
प्रतिदिन आते हैं यहां 25 से 30 मरीज
अस्पतालके ओपीडी रजिस्टर पर गौर करें तो प्रतिदिन 25 से 30 मरीज ही यहां आते हैं. मर्ज भी ऐसी होती है कि सर्दी और बुखार से अधिक नहीं होता है. डॉक्टरों का कहना है कि सर्दी बुखार और अन्य सामान्य बीमारियों के ही मरीज आते हैं. कोई ऐसा मरीज नहीं आता है जिसे भर्ती करने की आवश्यकता पड़े, थोड़ा भी सीरियस मरीज आया तो उसे यहां से रेफर कर दिया जाता है.
संसाधनों कि भारी कमी
बहरहाल राजधानी में पुलिसकर्मियों के लिये बना यह अस्पताल जहांकई संसाधनों कि भारी कमी है,दवा के साथ साथ स्पेशलिस्ट चिकित्सक नहीं होने के कारण यहाँ मरीज एडमिट नहीं हो पाते है,जबकी जांच कि सुविधा भी नहीं होने के कारण यह अस्पताल सिर्फ सर्दी खांसी तक ही सिमित हो चुका है.