पटना: पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) ने दावा किया था कि अब शहर में जल जमाव (Waterlogging in Patna) नहीं होगा. तेज बारिश हुई तो 3 से 4 घंटे के अंदर सभी इलाके से पानी की निकासी हो जाएगी. बारिश होते ही निगम प्रशासन का यह दावा फेल हो जाता है. वीआईपी इलाके से निगम प्रशासन पानी की निकासी करा देता है, लेकिन निचले इलाके में जलजमाव लंबे समय तक बना रहता है.
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राजधानी पटना में बारिश होते ही शहर के विभिन्न इलाकों में जलजमाव की समस्या आज भी बन रही है. हालांकि निगम प्रशासन कुछ इलाके से जल निकासी का काम 3 से 4 घंटे में कर रहा है, लेकिन निचले इलाकों में जलजमाव बना रहता है. गर्दनीबाग रोड नंबर 4, 5 और 6 में अभी भी जलजमाव है. इसके अलावा पाटलिपुत्र और शास्त्री नगर में भी जलजमाव है.
जलजमाव पर पटना नगर निगम के नगर आयुक्त हिमांशु शर्मा ने सफाई दी है. उन्होंने कहा, 1997 में एक दिन में 205 एमएम बारिश हुई थी. इसके बाद पहली बार इस साल 167 एमएम बारिश लगभग तीन घंटे में हुई. 95 फीसदी इलाके से पानी 3-4 घंटे में निकाल दिया गया. कुछ जगहों पर जलजमाव की समस्या हुई. इसमें पाटलिपुत्र कॉलोनी, गर्दनीबाग, वार्ड नंबर 47 और राजवंशी नगर शामिल हैं. इनके अपने-अपने कारण हैं.
"राजवंशी नगर में नाले की क्षमता कम है. इसपर काम हो रहा है. पाटलिपुत्र के लिए हमलोगों ने विशेष रूप से रणनीति बनाई थी, लेकिन पानी अधिक होने के चलते निकालने में समय लगा. निचले इलाके से जल निकासी का दावा मैं आज भी नहीं करता. जहां नाले की समस्या है. वहां फिर भी समय लग सकता है, लेकिन स्थिति नियंत्रण में रहेगी. हमलोग रातभर काम करते रहे. अगले दिन भी रातभर काम किया ताकि सभी इलाके से पानी निकाला जा सके."- हिमांशु शर्मा, आयुक्त, पीएमसी
बता दें कि राजधानी पटना के निचले इलाके में आज भी जलजमाव है. गर्दनीबाग, बेउर, पाटलिपुत्र, राजीव नगर, राजवंशी नगर और पटेल नगर में रहने वाले हजारों लोग जलजमाव की वजह से परेशानी झेलने को विवश हैं. निगम प्रशासन की तरफ से कहा जा रहा है कि इन इलाकों से पानी निकालने के लिए काम चल रहा है.
पटना में 535 नाले हैं. इनमें 9 बड़े नाले, 14 मीडियम नाले और 172 छोटे नाले हैं. नालों का पानी शहर से बाहर निकाला जाए. इसके लिए 42 संप हाउस लगाए गए हैं. पटना नगर निगम क्षेत्र के सभी सर्विस नालों की कुल लंबाई 17,03,568 लाख फिट है. निगम प्रशासन ने इस बार नाले की सफाई पर 8 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. निगम प्रशासन की मानें तो सरकार से मात्र अभी तक तीन करोड़ रुपये मिल पाए हैं.
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