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'60 वर्ष की नौकरी के बाद वर्दी साथ नहीं रहेंगी..', बच्चों के लापता होने पर HC की बिहार पुलिस को फटकार - पटना हाई कोर्ट की फटकार

बिहार की पटना हाई कोर्ट ने बिहार में लापता होने वाले बच्चों की बरामदगी न कर पाने के मामले में आज सुनवाई की. कोर्ट ने पुलिस को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि बिहार की पुलिस जनता के लिए काम नहीं करती. जब उनपर गुजरती है तब उन्हें दर्द महसूस होता है.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 17, 2024, 6:27 AM IST

पटना : बिहार की पटना हाई कोर्ट ने नाबालिग बच्चे और बच्चियों के गायब होने पर उन्हें जल्द से जल्द बरामद करने के लिए राज्य के डीजीपी को एसओपी जारी करने का आदेश दिया है. साथ ही ये भी कहा कि राज्य की पुलिस जनता के लिए काम नहीं करती. जब अपने ऊपर गुजरता हैं, तब उन्हें दर्द महसूस होता है.

पटना हाई कोर्ट की फटकार : हाई कोर्ट ने कहा कि ''जब पुलिस की वर्दी उतर जाती है, ऊपर से उनपर ऐसी घटना घट जाए तो यही लोग थाने में पुलिस के सामने गिड़गिड़ाते हैं, तब उन्हें जरूर याद आता होगा कि एक समय पीड़ित परिवार इसी तरह उनके सामने गिड़गिड़ाते थे. 60 वर्ष की नौकरी के बाद वर्दी साथ नहीं रहेंगी.''

कोर्ट में हुई लापता बच्चों पर सुनवाई : जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने नाबालिग बच्चे की बरामदगी के लिए उसके पिता विनय कुमार की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई की. कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए सचिवालय डीएसपी, शास्त्रीनगर थानेदार और इस केस के दारोगा के मौजूदगी में कही.

अब तक पुलिस क्यों न खोज सकी ? : कोर्ट ने कहा कि बच्चा 2018 में गायब हुआ और पुलिस अब तक उसे खोज नहीं सकी. कोर्ट का कहना था कि बड़े ही दुख की बात है कि समय रहते पुलिस कार्रवाई करती, तो बच्चा बरामद हो सकता था. कोर्ट ने कहा कि जब इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई शुरू की, तो पुलिस आनन फानन में गत 13 फरवरी को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कर दिया.

पुलिसिया रवैये पर कोर्ट सख्त : यह सिर्फ इसलिए किया गया कि जांच अधिकारी की कमियों को छुपाया जा सके. कोर्ट ने कहा कि गत दिनों डी.एस.पी. ने कोर्ट को भरोसा दिलाया था कि वह मामले को गंभीरता और ईमानदारी से लेंगे. पीड़ित लड़के का पता लगाने और अपराधी को जल्द से जल्द पकड़ने का प्रयास करेंगे. लेकिन बच्चा के बारे में कोई सुराग नहीं लगा सकें. कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को पार्टी बनाने का आदेश दिया. ताकि सीबीआई पुलिस अधिकारियों के कार्यकलापों की जांच कर सकें.

समय बीतने पर साक्ष्य मिलना मुश्किल : कोर्ट का मानना था कि समय बीत जाने पर साक्ष्य मिलना नामुमकिन हो जाता है. ऐसे में गायब बच्चों की बरामदगी आसान नहीं होती. वहीं, सरकारी वकील सुमन झा ने कोर्ट में उपस्थित सभी पुलिस अधिकारियों का बचाव करते हुए कहा कि पुलिस शुरू से कार्रवाई कर रही हैं, लेकिन अभी तक गायब बच्चा जा सुराग नहीं मिल सका है.

ये मामला पटेल नगर स्थित देव पब्लिक स्कूल में दसवीं कक्षा में पढ़ने वाला घर से स्कूल गये 2018 में गायब हो गया. काफी खोजबीन किये जाने पर जब कुछ पता नहीं चला, तो शास्त्रीनगर थाना में प्राथमिकी कांड संख्या 636/18 दर्ज कराई.

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पटना : बिहार की पटना हाई कोर्ट ने नाबालिग बच्चे और बच्चियों के गायब होने पर उन्हें जल्द से जल्द बरामद करने के लिए राज्य के डीजीपी को एसओपी जारी करने का आदेश दिया है. साथ ही ये भी कहा कि राज्य की पुलिस जनता के लिए काम नहीं करती. जब अपने ऊपर गुजरता हैं, तब उन्हें दर्द महसूस होता है.

पटना हाई कोर्ट की फटकार : हाई कोर्ट ने कहा कि ''जब पुलिस की वर्दी उतर जाती है, ऊपर से उनपर ऐसी घटना घट जाए तो यही लोग थाने में पुलिस के सामने गिड़गिड़ाते हैं, तब उन्हें जरूर याद आता होगा कि एक समय पीड़ित परिवार इसी तरह उनके सामने गिड़गिड़ाते थे. 60 वर्ष की नौकरी के बाद वर्दी साथ नहीं रहेंगी.''

कोर्ट में हुई लापता बच्चों पर सुनवाई : जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने नाबालिग बच्चे की बरामदगी के लिए उसके पिता विनय कुमार की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई की. कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए सचिवालय डीएसपी, शास्त्रीनगर थानेदार और इस केस के दारोगा के मौजूदगी में कही.

अब तक पुलिस क्यों न खोज सकी ? : कोर्ट ने कहा कि बच्चा 2018 में गायब हुआ और पुलिस अब तक उसे खोज नहीं सकी. कोर्ट का कहना था कि बड़े ही दुख की बात है कि समय रहते पुलिस कार्रवाई करती, तो बच्चा बरामद हो सकता था. कोर्ट ने कहा कि जब इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई शुरू की, तो पुलिस आनन फानन में गत 13 फरवरी को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कर दिया.

पुलिसिया रवैये पर कोर्ट सख्त : यह सिर्फ इसलिए किया गया कि जांच अधिकारी की कमियों को छुपाया जा सके. कोर्ट ने कहा कि गत दिनों डी.एस.पी. ने कोर्ट को भरोसा दिलाया था कि वह मामले को गंभीरता और ईमानदारी से लेंगे. पीड़ित लड़के का पता लगाने और अपराधी को जल्द से जल्द पकड़ने का प्रयास करेंगे. लेकिन बच्चा के बारे में कोई सुराग नहीं लगा सकें. कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को पार्टी बनाने का आदेश दिया. ताकि सीबीआई पुलिस अधिकारियों के कार्यकलापों की जांच कर सकें.

समय बीतने पर साक्ष्य मिलना मुश्किल : कोर्ट का मानना था कि समय बीत जाने पर साक्ष्य मिलना नामुमकिन हो जाता है. ऐसे में गायब बच्चों की बरामदगी आसान नहीं होती. वहीं, सरकारी वकील सुमन झा ने कोर्ट में उपस्थित सभी पुलिस अधिकारियों का बचाव करते हुए कहा कि पुलिस शुरू से कार्रवाई कर रही हैं, लेकिन अभी तक गायब बच्चा जा सुराग नहीं मिल सका है.

ये मामला पटेल नगर स्थित देव पब्लिक स्कूल में दसवीं कक्षा में पढ़ने वाला घर से स्कूल गये 2018 में गायब हो गया. काफी खोजबीन किये जाने पर जब कुछ पता नहीं चला, तो शास्त्रीनगर थाना में प्राथमिकी कांड संख्या 636/18 दर्ज कराई.

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