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Teacher Recruitment in Bihar: पौने दो लाख शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ, प्रक्रिया पर रोक से हाईकोर्ट का इंकार

पटना हाईकोर्ट में शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाने को लेकर याचिका दायर की गई थी. जिस पर आज सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस केवी चंद्रन ने याचिका पर सुनवाई करते हुए बहाली प्रक्रिया पर रोक लगाने से इंकार कर दिया. पढ़ें पूरी खबर..

पटना हाईकोर्ट
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Published : Jul 4, 2023, 2:22 PM IST

पटना: पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा राज्य में पौने दो लाख शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकायों पर चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने सुनवाई की. प्रभाकर रंजन व अन्य याचिकाकर्ताओं ने ये याचिकायें दायर की है.

ये भी पढ़ें- Bihar Shikshak Niyojan: TET शिक्षक संघ ने नई शिक्षक नियमावली रद्द करवाने को लेकर दायर की याचिका

शिक्षक बहाली पर कोर्ट का रोक से इंकार: याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इस याचिका में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया की वैधता को चुनौती दी गई है. उन्होंने बताया कि बिहार राज्य स्कूल शिक्षक (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्रवाई व सेवा शर्तें) रूल, 2023 की वैधता को चुनौती दी गई है. उन्होंने कारण बताते हुए कहा कि राज्य में स्कूल शिक्षकों रुल 2006, रूल 2008, रूल 2012 और रूल 2020 के तहत नियुक्ति के प्रावधानों को बिना हटाए नया रूल लाया गया है.

चीफ जस्टिस केवी चंद्रन ने की सुनवाई: अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि पूर्व के प्रावधानों के अनुसार इन स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद और नगरपालिका के हाथों में था. इन प्रावधानों को हटाए बगैर रूल 2023 राज्य सरकार द्वारा लाया गया, जिसके तहत राज्य में पौने दो लाख स्कूल शिक्षकों की बहाली होने जा रही है. उन्होंने जानकारी दी कि वैधता को चुनौती देने वाली याचिका जबतक कोर्ट के सुनवाई के लंबित है. इस विज्ञापन के आधार पर इन पौने दो लाख शिक्षकों की बहाली सही नहीं होगी.

पहले के नियमों के बारे में दी गई जानकारी: पंचायतों, पंचायत समिति, जिला परिषदों व नगरपालिका से शिक्षकों की बहाली का अधिकार वापस लेना स्थानीय स्वायतता के सिद्धांतों के विपरीत है. नए प्रावधानों के अनुसार इन पौने दो लाख शिक्षकों की नियुक्ति के लिए परीक्षा आयोजित कर उनके परिणाम के आधार पर नियुक्ति की अनुशंसा करने की जिम्मेदारी बिहार राज्य पब्लिक सर्विस कमीशन को सौंपी गई है.

पीके शाही ने कोर्ट के सामने रखा पक्ष: याचिका में ये भी मुद्दा उठाया गया है कि रूल 2006 के तहत नियुक्त शिक्षकों की योग्यता और कार्य समान है. लेकिन 2023 के रूल के अनुसार जो शिक्षक बहाल होंगे, उनका वेतन होगा, जो समानता के सिद्धांत के विरुद्ध है. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार, ऋतिका रानी, अभिनव श्रीवास्तव और राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल पीके शाही ने कोर्ट के समक्ष पक्षों को प्रस्तुत किया.

पटना: पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा राज्य में पौने दो लाख शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकायों पर चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने सुनवाई की. प्रभाकर रंजन व अन्य याचिकाकर्ताओं ने ये याचिकायें दायर की है.

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शिक्षक बहाली पर कोर्ट का रोक से इंकार: याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इस याचिका में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया की वैधता को चुनौती दी गई है. उन्होंने बताया कि बिहार राज्य स्कूल शिक्षक (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्रवाई व सेवा शर्तें) रूल, 2023 की वैधता को चुनौती दी गई है. उन्होंने कारण बताते हुए कहा कि राज्य में स्कूल शिक्षकों रुल 2006, रूल 2008, रूल 2012 और रूल 2020 के तहत नियुक्ति के प्रावधानों को बिना हटाए नया रूल लाया गया है.

चीफ जस्टिस केवी चंद्रन ने की सुनवाई: अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि पूर्व के प्रावधानों के अनुसार इन स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद और नगरपालिका के हाथों में था. इन प्रावधानों को हटाए बगैर रूल 2023 राज्य सरकार द्वारा लाया गया, जिसके तहत राज्य में पौने दो लाख स्कूल शिक्षकों की बहाली होने जा रही है. उन्होंने जानकारी दी कि वैधता को चुनौती देने वाली याचिका जबतक कोर्ट के सुनवाई के लंबित है. इस विज्ञापन के आधार पर इन पौने दो लाख शिक्षकों की बहाली सही नहीं होगी.

पहले के नियमों के बारे में दी गई जानकारी: पंचायतों, पंचायत समिति, जिला परिषदों व नगरपालिका से शिक्षकों की बहाली का अधिकार वापस लेना स्थानीय स्वायतता के सिद्धांतों के विपरीत है. नए प्रावधानों के अनुसार इन पौने दो लाख शिक्षकों की नियुक्ति के लिए परीक्षा आयोजित कर उनके परिणाम के आधार पर नियुक्ति की अनुशंसा करने की जिम्मेदारी बिहार राज्य पब्लिक सर्विस कमीशन को सौंपी गई है.

पीके शाही ने कोर्ट के सामने रखा पक्ष: याचिका में ये भी मुद्दा उठाया गया है कि रूल 2006 के तहत नियुक्त शिक्षकों की योग्यता और कार्य समान है. लेकिन 2023 के रूल के अनुसार जो शिक्षक बहाल होंगे, उनका वेतन होगा, जो समानता के सिद्धांत के विरुद्ध है. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार, ऋतिका रानी, अभिनव श्रीवास्तव और राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल पीके शाही ने कोर्ट के समक्ष पक्षों को प्रस्तुत किया.

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