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बिहार नगर निकाय में बगैर आरक्षण चुनाव कराने पर सुनवाई पूरी, पटना हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

बिहार में बगैर आरक्षण नगर निकाय चुनाव कराए जाने के मामले पर पटना हाई कोर्ट में सुनवाई हुई है. इस मामले में कोर्ट ने दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. पढ़ें पूरी खबर-

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 4, 2024, 9:28 PM IST

पटना : बिहार की पटना हाईकोर्ट ने राज्य में हुये नगर निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्गों को बगैर आरक्षण दिए चुनाव कराने जाने के मामले पर सुनवाई पूरी कर ली है. हाईकोर्ट ने अपना फैसला भी सुरक्षित रख लिया है. चीफ जस्टिस के विनोद चन्द्रन और जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने इस केस की सुनवाई की.

नगर निकाय में बगैर आरक्षण चुनाव कराने पर फैसला सुरक्षित : पिछले वर्ष हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि प्रावधानों के अनुसार तब तक स्थानीय निकायों में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती, जब तक राज्य सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित तीन जांच अर्हताएं पूरी नहीं कर लेता.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला : कोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के फैसला के. कृष्णा मूर्ति, सुनील कुमार, विकास किशनराव गावली, सुरेश महाजन, राहुल रमेश वाघ और मनमोहन नागर का हवाला देते हुए राज्य के मुख्य सचिव और राज्य निर्वाचन आयुक्त को आगे की कार्रवाई करने का आदेश दिया था. साथ ही सभी अर्जी को निष्पादित कर दिया था.

सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित : कोर्ट आदेश के बाद राज्य सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को समर्पित आयोग के रूप में अधिसूचित किया. समर्पित आयोग के रिपोर्ट को राज्य निर्वाचन आयोग को भेज दिया गया और आयोग ने उस रिपोर्ट के आधार पर अति पिछड़ा वर्ग के लिए सीट आरक्षित कर नगर निकाय चुनाव कराने के लिए अधिसूचना जारी की. इसे हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर चुनौती दी गई. इसी मामले पर कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रखा है.

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पटना : बिहार की पटना हाईकोर्ट ने राज्य में हुये नगर निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्गों को बगैर आरक्षण दिए चुनाव कराने जाने के मामले पर सुनवाई पूरी कर ली है. हाईकोर्ट ने अपना फैसला भी सुरक्षित रख लिया है. चीफ जस्टिस के विनोद चन्द्रन और जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने इस केस की सुनवाई की.

नगर निकाय में बगैर आरक्षण चुनाव कराने पर फैसला सुरक्षित : पिछले वर्ष हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि प्रावधानों के अनुसार तब तक स्थानीय निकायों में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती, जब तक राज्य सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित तीन जांच अर्हताएं पूरी नहीं कर लेता.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला : कोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के फैसला के. कृष्णा मूर्ति, सुनील कुमार, विकास किशनराव गावली, सुरेश महाजन, राहुल रमेश वाघ और मनमोहन नागर का हवाला देते हुए राज्य के मुख्य सचिव और राज्य निर्वाचन आयुक्त को आगे की कार्रवाई करने का आदेश दिया था. साथ ही सभी अर्जी को निष्पादित कर दिया था.

सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित : कोर्ट आदेश के बाद राज्य सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को समर्पित आयोग के रूप में अधिसूचित किया. समर्पित आयोग के रिपोर्ट को राज्य निर्वाचन आयोग को भेज दिया गया और आयोग ने उस रिपोर्ट के आधार पर अति पिछड़ा वर्ग के लिए सीट आरक्षित कर नगर निकाय चुनाव कराने के लिए अधिसूचना जारी की. इसे हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर चुनौती दी गई. इसी मामले पर कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रखा है.

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