पटनाः पटना हाईकोर्ट ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत मिलने वाली पाठ्य पुस्तकों को बिहार टेक्स्ट बुक कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक की तरफ से राज्य के प्रिंटर और पब्लिशर्स को पाठ्य पुस्तक सामग्री तैयार करने हेतु खुले आमंत्रण जारी करने वाले सरकारी पत्र पर तत्काल रोक लगा दी है. जस्टिस पीबी बजंथरी की खंडपीठ ने बिहार फाइन आर्ट्स प्रिंटर्स व अन्य मुद्रकों की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है.
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बच्चों को मुफ्त में किताब दी जाती हैः कोर्ट ने टेक्स्ट बुक कॉरपोरेशन सहित शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों से जवाब तलब किया है. सर्व शिक्षा अभियान के तहत बिहार के राजकीय प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों के बच्चों को मुफ्त में किताब दी जाती है. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अंजली कुमारी ने कोर्ट को बताया कि गत 14 जुलाई को निगम ने निविदा हेतु विज्ञापन जारी कर सूबे के सभी 38 जिलों के सभी राजकीय एवं प्रखंड व पंचायती स्कूलों मे कक्षा 1 से लेकर 8 तक के छात्रों के पाठ्य पुस्तक की जरूरत थी.
62 प्रिंटिंग कंपनियों ने निविदा में भाग लियाः इसके लिए शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के लिए करीब 661 लाख पाठ्य पुस्तकों के मुद्रण और आपूर्ति हेतु इच्छुक प्रकाशकों और मुद्रकों को ई टेंडर में भाग लेने के लिए आमन्त्रित किया गया था. याचिकाकर्ताओं सहित कुल 62 प्रिंटिंग कंपनियों ने निविदा में भाग लिया. इसमें याचिकाकर्ताओं को मुद्रकों में सबसे कम बोली लगाने वाली कम्पनी घोषित करते हुए उन्हें निविदा कार्य का ठेका देने हेतु योग्य पाया गया.
प्रबंध निदेशक पर मनमानी का आरोपः इस काम के लिए तकनीकी और वित्तीय बोली लगाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अचानक निगम के प्रबंध निदेशक ने 4 सितंबर को एक सरकारी चिट्ठी जारी करते हुए सभी मुद्रकों और प्रकाशकों को खुला निमंत्रण दिया, जो सबसे कम तीन रुपए प्रति पुस्तक की बोली पर उक्त पाठ्यपुस्तकों के मुद्रण एवं आपूर्ति का काम कर सके. याचिकाकर्ताओं की ओर से ये आरोप लगाया गया कि यह चिट्ठी से खुले आम निमंत्रण देना पूरी निविदा प्रक्रिया एवं इस हेतु सरकारी दिशा निर्देश का उल्लंघन है.