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पटना हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा काट रही भिखारिन को मिला संदेह का फायदा, अदालत ने किया बरी - भिखारिन बरी

पटना हाईकोर्ट (Patna High Court News ) ने एक मामले की सुनवाई करते हुए उम्रकैद की सजा काट रही एक भिखारिन को बरी कर दिया. हाईकोर्ट ने कोई चश्मदीद नही होने के कारण उसे संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया.

पटना हाईकोर्ट
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Published : Sep 22, 2022, 9:24 PM IST

पटना: पटना हाईकोर्ट ने हत्या के आरोप में उम्रकैद (Patna High Court acquits a beggar serving life sentence) की सजा काट रही एक भिखारिन को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है. जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह की खंडपीठ ने नसरा खातून की अपील को मंजूर करते हुए निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया. अपील करने वाली महिला पर उसकी चार साल की भतीजी की हत्या करने का आरोप था. आरोपी भिखारिन के समुदाय से थी, जो भीख मांगकर जीवन व्यतीत करते हैं.

ये भी पढ़ें- नेत्रहीन रेप पीड़िता को झारखंड हाई कोर्ट ने नहीं दी गर्भपात की इजाजत, सरकार से पूछे मदद के उपाय


2010 का है मामला: मामला 20 जुलाई 2010 का है, जब गाँव वालो की भीड़ ने हत्या का आरोप लगाते हुए महिला को पुलिस के हवाले कर दिया था. उस दिन से ही महिला अभी तक जेल में ही थी.

निचली अदालत ने दी थी उम्रकैद की सजा: दरभंगा की एक निचली अदालत नेल 2013 में आरोपी महिला को दोषी करार देते हुए उम्रकैद और पांच हज़ार रुपये जुर्माना भरने की सजा सुनाई थी. जिसके खिलाफ उसने हाई कोर्ट में अपील दायर किया. उक्त अपील को हाई कोर्ट ने एडमिट तो कर लिया, लेकिन अपीलार्थी की सजा पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. गौरतलब है कि अपीलार्थी जेल के अंदर ही एक बच्चे की माँ बनी और इसी आधार पर उसकी सजा पर रोक लगाने की गुहार लगाई गयी थी।


कोई चश्मदीद नही होने के कारण हुई बरी: अपील के ज्यादा वर्षों से लंबित रहने और उसकी तरफ से कोई वकील खड़ा नही रहने और अपीलार्थी की गरीबी को देखते हुए हाई कोर्ट ने इस मामले में एडवोकेट आशहर मुस्तफा को कोर्ट मित्र नियुक्त करते हुए लगातार सुनवाई जारी रखा. एडवोकेट मुस्तफा ने कोर्ट का ध्यान पूरे मामले का कमजोर परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की ओर खींचा. उन्होंने अभियोजन के गवाहों में विरोधाभास निकालते हुए बताया कि इस हत्या का कोई चश्मदीद नही था. हाई कोर्ट ने इन तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए हुए अपीलार्थी को बरी कर दिया.

ये भी पढ़ें- जिस पुलिसकर्मी ने सीरियल ब्लास्ट को सुलझाया, उसे दिल्ली पुलिस ने 24 साल रुलाया

पटना: पटना हाईकोर्ट ने हत्या के आरोप में उम्रकैद (Patna High Court acquits a beggar serving life sentence) की सजा काट रही एक भिखारिन को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है. जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह की खंडपीठ ने नसरा खातून की अपील को मंजूर करते हुए निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया. अपील करने वाली महिला पर उसकी चार साल की भतीजी की हत्या करने का आरोप था. आरोपी भिखारिन के समुदाय से थी, जो भीख मांगकर जीवन व्यतीत करते हैं.

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2010 का है मामला: मामला 20 जुलाई 2010 का है, जब गाँव वालो की भीड़ ने हत्या का आरोप लगाते हुए महिला को पुलिस के हवाले कर दिया था. उस दिन से ही महिला अभी तक जेल में ही थी.

निचली अदालत ने दी थी उम्रकैद की सजा: दरभंगा की एक निचली अदालत नेल 2013 में आरोपी महिला को दोषी करार देते हुए उम्रकैद और पांच हज़ार रुपये जुर्माना भरने की सजा सुनाई थी. जिसके खिलाफ उसने हाई कोर्ट में अपील दायर किया. उक्त अपील को हाई कोर्ट ने एडमिट तो कर लिया, लेकिन अपीलार्थी की सजा पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. गौरतलब है कि अपीलार्थी जेल के अंदर ही एक बच्चे की माँ बनी और इसी आधार पर उसकी सजा पर रोक लगाने की गुहार लगाई गयी थी।


कोई चश्मदीद नही होने के कारण हुई बरी: अपील के ज्यादा वर्षों से लंबित रहने और उसकी तरफ से कोई वकील खड़ा नही रहने और अपीलार्थी की गरीबी को देखते हुए हाई कोर्ट ने इस मामले में एडवोकेट आशहर मुस्तफा को कोर्ट मित्र नियुक्त करते हुए लगातार सुनवाई जारी रखा. एडवोकेट मुस्तफा ने कोर्ट का ध्यान पूरे मामले का कमजोर परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की ओर खींचा. उन्होंने अभियोजन के गवाहों में विरोधाभास निकालते हुए बताया कि इस हत्या का कोई चश्मदीद नही था. हाई कोर्ट ने इन तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए हुए अपीलार्थी को बरी कर दिया.

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