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बड़ी खबर: अब बीएड अभ्यर्थी भी होंगे प्राथमिक शिक्षक नियोजन के हकदार, डीएलएड की प्राथमिकता खत्म

पटना होई कोर्ट ने राज्य सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी है. जिसमें कहा गया था कि प्राथमिक शिक्षक नियोजन में डीएलएड अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी जाएगी. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि बी.एड वाले भी प्राथमिक शिक्षक नियोजन के हकदार होंगे.

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Published : Nov 4, 2020, 12:24 PM IST

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पटनाः हाईकोर्ट ने राज्य में प्राइमरी स्कूलों में बड़े पैमाने पर शिक्षकों की बहाली मामले के एक महत्वपूर्ण फैसला में बीएड डिग्री धारकों को बड़ी राहत दी. जस्टिस एके उपाध्याय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि डीएलएड और बीएड डिग्री धारकों को एक समान मानते हुए एक ही मेरिट लिस्ट बनाएं. जिसके आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति की जाए.

बीएड उम्मीदवारों को बड़ी राहत
जस्टिस एके उपाध्याय ने इस मामले पर हरे राम कुमार की याचिका पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था. जिसे उन्होंने आज सुनाया हैं. इन याचिकाओं में राज्य सरकार के उस निर्णय को चुनौती दी गई थी, जिसमें डीएलएड उम्मीदवारों को बहाली में प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया था. साथ ही यह कहा गया था कि इसके बाद पद रिक्त रहने पर ही बीएड उम्मीदवारों को बहाली की जाएगी.

कोर्ट ने राज्य सरकार के इस निर्णय को अस्वीकार करते हुए बीएड डिग्री धारकों को भी शामिल कर एक ही मेरिट लिस्ट बना बहाली करने का निर्देश दिया है. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आशीष गिरी ने कोर्ट के समक्ष पक्ष पेश किया. जिसे कोर्ट ने स्वीकारते हुए यह फैसला दिया है.

डीएलएड अभ्यर्थियों को प्राथमिकता देने का था मामला
बिहार में पिछले करीब डेढ़ साल से 90 हजार पदों पर प्राथमिक शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया चल रही है. इसमें दो मामलों को लेकर पटना हाईकोर्ट में अभ्यर्थियों ने गुहार लगाई थी. एक मामला दिसंबर सीटेट पास करने वालों को लेकर था. जिसके बारे में अभी तक आदेश नहीं आया है. दूसरा मामला बहाली में डीएलएड अभ्यर्थियों को प्राथमिकता देने को लेकर था.

दरअसल, नियोजन प्रक्रिया के बीच में बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने 17 दिसंबर 2019 को एक पत्र निर्गत किया था. जिसमें प्राथमिक शिक्षकों के नियोजन के दौरान डीएलएड अभ्यर्थियों को प्राथमिकता देने की बात कही गई थी.

हाईकोर्ट में अभ्यर्थियों ने लगाई थी गुहार
किसी भी बहाली प्रक्रिया के बीच में नया नियम या नया आदेश जारी करने का प्रावधान का विरोध करते हुए पटना हाईकोर्ट में अभ्यर्थियों ने गुहार लगाई थी. इसी को लेकर पटना हाई कोर्ट ने आदेश जारी किया है. जिसमें 17 दिसंबर 2019 के बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के उस पत्र को रद्द कर दिया गया है और बीएड और डीएलएड अभ्यर्थियों की मान्यता को प्राथमिक शिक्षक नियोजन प्रक्रिया के दौरान एक समान कर दिया गया है. यानी अब प्राथमिकता जैसी कोई बात नहीं रह गई है.

फ्रेश विज्ञापन निकालकर हो बहाली- हाईकोर्ट
जानकारी के मुताबिक पटना हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल कुमार उपाध्याय ने आदेश में कहा है कि अगर डीएलएड को प्राथमिकता देनी है तो उसके लिए सरकार को चाहिए कि फ्रेश विज्ञापन निकाले फ्रेश बहाली करें. इसके पहले एक कानून बनाए जिसमें यह स्पष्ट हो कि सिर्फ डीएलएड करने वाला ही कक्षा 1 से 5 तक के लिए आवेदन कर सकता है. सूत्रों के मुताबिक अब शिक्षा विभाग दिसंबर सीटेट मामले में पटना हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहा है जिसके बाद नियोजन की प्रक्रिया पूरी हो सकेगी. पटना हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में ही नियोजन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही थी.

पटनाः हाईकोर्ट ने राज्य में प्राइमरी स्कूलों में बड़े पैमाने पर शिक्षकों की बहाली मामले के एक महत्वपूर्ण फैसला में बीएड डिग्री धारकों को बड़ी राहत दी. जस्टिस एके उपाध्याय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि डीएलएड और बीएड डिग्री धारकों को एक समान मानते हुए एक ही मेरिट लिस्ट बनाएं. जिसके आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति की जाए.

बीएड उम्मीदवारों को बड़ी राहत
जस्टिस एके उपाध्याय ने इस मामले पर हरे राम कुमार की याचिका पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था. जिसे उन्होंने आज सुनाया हैं. इन याचिकाओं में राज्य सरकार के उस निर्णय को चुनौती दी गई थी, जिसमें डीएलएड उम्मीदवारों को बहाली में प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया था. साथ ही यह कहा गया था कि इसके बाद पद रिक्त रहने पर ही बीएड उम्मीदवारों को बहाली की जाएगी.

कोर्ट ने राज्य सरकार के इस निर्णय को अस्वीकार करते हुए बीएड डिग्री धारकों को भी शामिल कर एक ही मेरिट लिस्ट बना बहाली करने का निर्देश दिया है. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आशीष गिरी ने कोर्ट के समक्ष पक्ष पेश किया. जिसे कोर्ट ने स्वीकारते हुए यह फैसला दिया है.

डीएलएड अभ्यर्थियों को प्राथमिकता देने का था मामला
बिहार में पिछले करीब डेढ़ साल से 90 हजार पदों पर प्राथमिक शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया चल रही है. इसमें दो मामलों को लेकर पटना हाईकोर्ट में अभ्यर्थियों ने गुहार लगाई थी. एक मामला दिसंबर सीटेट पास करने वालों को लेकर था. जिसके बारे में अभी तक आदेश नहीं आया है. दूसरा मामला बहाली में डीएलएड अभ्यर्थियों को प्राथमिकता देने को लेकर था.

दरअसल, नियोजन प्रक्रिया के बीच में बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने 17 दिसंबर 2019 को एक पत्र निर्गत किया था. जिसमें प्राथमिक शिक्षकों के नियोजन के दौरान डीएलएड अभ्यर्थियों को प्राथमिकता देने की बात कही गई थी.

हाईकोर्ट में अभ्यर्थियों ने लगाई थी गुहार
किसी भी बहाली प्रक्रिया के बीच में नया नियम या नया आदेश जारी करने का प्रावधान का विरोध करते हुए पटना हाईकोर्ट में अभ्यर्थियों ने गुहार लगाई थी. इसी को लेकर पटना हाई कोर्ट ने आदेश जारी किया है. जिसमें 17 दिसंबर 2019 के बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के उस पत्र को रद्द कर दिया गया है और बीएड और डीएलएड अभ्यर्थियों की मान्यता को प्राथमिक शिक्षक नियोजन प्रक्रिया के दौरान एक समान कर दिया गया है. यानी अब प्राथमिकता जैसी कोई बात नहीं रह गई है.

फ्रेश विज्ञापन निकालकर हो बहाली- हाईकोर्ट
जानकारी के मुताबिक पटना हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल कुमार उपाध्याय ने आदेश में कहा है कि अगर डीएलएड को प्राथमिकता देनी है तो उसके लिए सरकार को चाहिए कि फ्रेश विज्ञापन निकाले फ्रेश बहाली करें. इसके पहले एक कानून बनाए जिसमें यह स्पष्ट हो कि सिर्फ डीएलएड करने वाला ही कक्षा 1 से 5 तक के लिए आवेदन कर सकता है. सूत्रों के मुताबिक अब शिक्षा विभाग दिसंबर सीटेट मामले में पटना हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहा है जिसके बाद नियोजन की प्रक्रिया पूरी हो सकेगी. पटना हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में ही नियोजन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही थी.

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