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संक्रमण का डबल अटैक: पटना AIIMS में 'ब्लैक फंगस' के 4 मरीज भर्ती, IGIMS में एक का इलाज जारी

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Published : May 13, 2021, 2:25 PM IST

बिहार में कोरोना से हर जगह तबाही मचा रखी है. ये तबाही अभी थमी भी नहीं थी कि अब एक और नई मुसीबत ने बिहार में दस्तक दे दी है. कोरोना महामारी के बाद अब राज्य में ब्लैक फंगस बीमारी के भी मरीज मिलने शुरू हो गए हैं. देखिए ये रिपोर्ट.

पटना
पटना

पटना: बिहार में कोरोना महामारी के बाद अब एक और घातक बिमारी ने दस्तक दे दी है. प्रदेश में 5 ब्लैक फंगस के मामले सामने आये हैं. जिसमें से चार का इलाज पटना एम्स में चल रहा है. पटना एम्स के कोविड नोडल अधिकारी ने डॉक्टर संजीव ने इसकी पुष्टि की है.

यह भी पढ़ें: संक्रमण का डबल अटैक: IGIMS में मिला जानलेवा बीमारी 'ब्लैक फंगस' का मरीज

हाई स्टेरॉइड के इस्तेमाल से होता है ब्लैक फंगस
नोडल पदाधिकारी डॉक्टर संजीव ने बताया कि फंगस कोई नया रोग नहीं है. यह पहले भी चलता आ रहा है. इसके होने का एक प्रमुख कारण स्टेरॉइड का मरीजों के इलाज में उपयोग होना है. संजीव ने कहा कि स्टेरॉइड के उपयोग और पेशेंट के ज्यादा समय तक अस्पताल में रहने से मरीजों में फंगस इंफेक्शन का खतरा बना रहता है.

वहीं, उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के पहले फेज में ब्लैक फंगस नहीं था, लेकिन दूसरे फेज में मरीज लंबे समय तक अस्पताल में रहते हैं. उन्हें काफी हाईडोज में स्टेरॉइड दी जाती है, जिस कारण इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है.

'अभी देश के दक्षिणी भाग में इंफेक्शन ज्यादा हो रहा है. अभी हमने ओपीडी में दो-तीन केस देखे हैं, जिन्होंने पहले कोरोना का इलाज कराया था. उसमें फंगस इंफेक्शन पाया जा रहा है. फंगल इंफेक्शन हमेशा से खतरनाक होता है. यह लंग्स में मुश्किल पैदा कर सकता है. हालांकि, इसका इलाज संभव है'.- डॉक्टर संजीव, नोडल अधिकारी , पटना एम्स

वहीं, उन्होंने कहा कि अभी तक हमें चार से पांच केस मिल चुके हैं. एक मरीज आईसीयू में एडमिट है. सभी मरीजों का इलाज किया जा रहा है. साथ ही उनकी लगातार मॉनिटरिंग भी की जा रही है.

यह भी पढ़ें: गड़बड़झाला! बिहार में बिना टीका लगाए कोरोना वैक्सीनेशन का मिल रहा सर्टिफिकेट

क्या है ब्लैक फंगस?
यह फंगस आम लोगों के भी साइनस में रहता है. लेकिन सामान्यत शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता के चलते कोई असर नहीं होता. इस वक्त यह फंगस इसलिए खतरनाक होता जा रहा है. क्योंकि कोरोना से जूझ रहे गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए चिकित्सक हाई डोज स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके कारण शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा तेजी से बढ़ती है. कोई व्यक्ति डायबिटीज से जूझ रहा है तो ब्लैक फंगस तेजी से बढ़ता है. यह फंगस साइनस, फेफड़ें आंख और फिर दिमाग तक पहुंच जाता है.

ब्लैक फंगस
ब्लैक फंगस

ब्लैक फंगस संक्रमण के लक्षण
इस बीमारी की शुरूआत नाक से होती है. इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, खूनी उल्टी और बदली हुई मानसिक स्थिति के साथ आंखों या नाक के आसपास दर्द होने लगता है. इसके साथ ही स्किन पर ये इंफेक्शन होने से फुंसी या छाले पड़ सकते हैं और इंफेक्शन वाली जगह काली पड़ सकती है. हालांकि, हर बार नाक ब्लॉक होने की वजह ब्लैक फंगस ही हो ये भी जरूरी नहीं है, इसलिए इसे लेकर लापरवाही ना बरतें.

पटना: बिहार में कोरोना महामारी के बाद अब एक और घातक बिमारी ने दस्तक दे दी है. प्रदेश में 5 ब्लैक फंगस के मामले सामने आये हैं. जिसमें से चार का इलाज पटना एम्स में चल रहा है. पटना एम्स के कोविड नोडल अधिकारी ने डॉक्टर संजीव ने इसकी पुष्टि की है.

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हाई स्टेरॉइड के इस्तेमाल से होता है ब्लैक फंगस
नोडल पदाधिकारी डॉक्टर संजीव ने बताया कि फंगस कोई नया रोग नहीं है. यह पहले भी चलता आ रहा है. इसके होने का एक प्रमुख कारण स्टेरॉइड का मरीजों के इलाज में उपयोग होना है. संजीव ने कहा कि स्टेरॉइड के उपयोग और पेशेंट के ज्यादा समय तक अस्पताल में रहने से मरीजों में फंगस इंफेक्शन का खतरा बना रहता है.

वहीं, उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के पहले फेज में ब्लैक फंगस नहीं था, लेकिन दूसरे फेज में मरीज लंबे समय तक अस्पताल में रहते हैं. उन्हें काफी हाईडोज में स्टेरॉइड दी जाती है, जिस कारण इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है.

'अभी देश के दक्षिणी भाग में इंफेक्शन ज्यादा हो रहा है. अभी हमने ओपीडी में दो-तीन केस देखे हैं, जिन्होंने पहले कोरोना का इलाज कराया था. उसमें फंगस इंफेक्शन पाया जा रहा है. फंगल इंफेक्शन हमेशा से खतरनाक होता है. यह लंग्स में मुश्किल पैदा कर सकता है. हालांकि, इसका इलाज संभव है'.- डॉक्टर संजीव, नोडल अधिकारी , पटना एम्स

वहीं, उन्होंने कहा कि अभी तक हमें चार से पांच केस मिल चुके हैं. एक मरीज आईसीयू में एडमिट है. सभी मरीजों का इलाज किया जा रहा है. साथ ही उनकी लगातार मॉनिटरिंग भी की जा रही है.

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क्या है ब्लैक फंगस?
यह फंगस आम लोगों के भी साइनस में रहता है. लेकिन सामान्यत शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता के चलते कोई असर नहीं होता. इस वक्त यह फंगस इसलिए खतरनाक होता जा रहा है. क्योंकि कोरोना से जूझ रहे गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए चिकित्सक हाई डोज स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके कारण शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा तेजी से बढ़ती है. कोई व्यक्ति डायबिटीज से जूझ रहा है तो ब्लैक फंगस तेजी से बढ़ता है. यह फंगस साइनस, फेफड़ें आंख और फिर दिमाग तक पहुंच जाता है.

ब्लैक फंगस
ब्लैक फंगस

ब्लैक फंगस संक्रमण के लक्षण
इस बीमारी की शुरूआत नाक से होती है. इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, खूनी उल्टी और बदली हुई मानसिक स्थिति के साथ आंखों या नाक के आसपास दर्द होने लगता है. इसके साथ ही स्किन पर ये इंफेक्शन होने से फुंसी या छाले पड़ सकते हैं और इंफेक्शन वाली जगह काली पड़ सकती है. हालांकि, हर बार नाक ब्लॉक होने की वजह ब्लैक फंगस ही हो ये भी जरूरी नहीं है, इसलिए इसे लेकर लापरवाही ना बरतें.

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