पटना : लॉकडाउन के दौरान भी इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में इमरजेंसी सुविधा उपलब्ध है. यहां अब इमरजेंसी में भी भर्ती होने वाले मरीज के परिजन को एक फॉर्म भरकर मरीज के बारे में ब्यौरा देना होगा, जिसमें की कुल 9 सवाल है और अगर मरीज को पहले से सर्दी-खांसी रहा हो या किसी भी तरह की शिकायत हो इसकी जानकारी देनी होगी. साथ ही इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में आज से एक नई व्यवस्था शुरू की गई है, जिसके अनुसार इमरजेंसी में आने वाले मरीज को सीधे आइसोलेसन वार्ड में इलाज किया जाना शुरू किया गया है. इसके लिए अलग से आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है, जहां पर इमरजेंसी में आने वाले सभी तरह के मरीजों का इलाज शुरू किया गया है.
डॉक्टरों को नहीं होगी असुविधा
इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के मेडिकल सुपरिटेंडेंट मनीष मंडल ने कहा कि यह नई व्यवस्था इसीलिए की गई है, जिससे डॉक्टरों को इलाज करने में किसी भी तरह की परेशानी नहीं हो. इमरजेंसी में आए हुए मरीज को हम सीधे आइसोलेशन वार्ड में ही इलाज करना शुरू कर दे है. जहां पर डॉक्टर पहले से ही पीटीई किट से लैश हो उनका इलाज करेंगे. डॉक्टरों को भी किसी भी तरह की असुविधा नहीं होगी.
आइसोलेशन वार्ड में ही किया जाएगा इलाज
मेडिकल सुपरिटेंडेंट मनीष मंडल ने कहा कि कई ऐसे मरीज आ रहे थे, जो पहले किडनी और हर्ट के पेसेंट थे. लेकिन बाद में जब लौटे, तो उन्हें सर्दी-खांसी हुआ. उसके बाद हमने निर्णय लिया है कि कोई भी इमरजेंसी के मरीज जो आए उसे आइसोलेशन वार्ड में ही सबसे पहले इलाज किया जाएगा. फिर उसका टेस्ट किया जाएगा और टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद कोरोना पॉजिटिव मरीज को नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भेज दिया जाएगा और अगर वो कोरोना नेगेटिव होंगा, तो जिस चीज के इलाज के लिए आया हैं उसे संबंधित वार्ड में भेजा जाएगा और उसका इलाज किया जाएगा.
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9 सवाल है
बता दें कि आज से इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में मरीज के परिजन से फॉर्म भी भरा जाता है, जिसमें कुल मिलाकर 9 सवाल है. जिसमें सर्दी खांसी से रिलेटेड कई सवाल हैं. साथ ही उनके घर में कोई विदेश यात्रा तो नहीं किए हैं या वह तो नहीं किए हैं. सहित अगर हम बात करें तो 9 सवाल है, जिसके जवाब उन्हें देने होंगे और उसी आधार पर डॉक्टर उनका इलाज करेंगे.