पटना: दिल्ली में रामविलास पासवान को आवंटित बंगला (Bungalow Allotted to Ram Vilas Paswan) खाली होने के बाद चाचा-भतीजे के बीच खटपट और बढ़ गई है. एलजेपीआर अध्यक्ष चिराग पासवान (LJPR President Chirag Paswan) को आरोपों पर पलटवार करते हुए पर केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस (Union Minister Pashupati Paras) ने कहा कि अपनी स्थिति के लिए चिराग खुद जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि अगर वह गठबंधन में होते तो बंगला खाली नहीं होता. 12 जनपथ खाली होने का अफसोस चिराग से ज्यादा मुझे खुद है.
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'चिराग गठबंधन में होते तो बंगला खाली नहीं होता': आरएलजेपी अध्यक्ष पशुपति पारस ने कहा कि चिराग पासवान 12 जनपद खाली करवाने का आरोप मुझ पर लगा रहे हैं लेकिन अगर वह गठबंधन में होते तो बंगला कभी खाली नहीं होता. उन्होंने कहा कि मेरी पार्टी के तमाम लोग कह रहे थे गठबंधन से चुनाव लड़ें लेकिन उसने कहा नीतीश कुमार को जेल भेजेंगे. अब नीतीश कुमार जेल गए या चिराग पासवान कहां चल गए हैं, यह देखा जा सकता है.
'बंगला खाली होने का मुझे अधिक अफसोस': पारस ने कहा कि 12 जनपथ खाली होने का अफसोस चिराग से ज्यादा मुझे खुद है. उन्होंने कहा कि बड़े साहब (रामविलास पासवान) को मैं भगवान मानता हूं. मेरे घर में उनकी तस्वीर है, बिना पूजा किए खाना नहीं आता. मैंने भाई साहब का पैर दबाया है, उनका जूठा बर्तन भी धोया है. जितनी सेवा मैंने उनकी की है, उतनी ना तो चिराग ने और ना ही उनकी दूसरी पत्नी ने की है.
'पार्टी से अधिक परिवार टूटने से दुखी': पशुपति पारस ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वह पार्टी टूटने से अधिक परिवार टूटने से दुखी हैं, क्योंकि परिवार के टूटने से दिल टूटा है. उन्होंने कहा कि 16 अक्टूबर को ही मैंने कह दिया था वह ना तो मेरा भतीजा है ना ही मैं तुम्हारा चाचा हूं. इसलिए कि तुमने अपने घर बुलाकर मुझको कह दिया था कि आपके खून में और मेरे खून में फर्क है. उसने अकेले में यह नहीं बोला था, तब उसकी मां भी बैठी हुई थी. सांसद प्रिंस राज बैठे हुए थे. मेरा बेटा बैठा हुआ था. उन सबके सामने उसने कहा था आपके खून में और मेरे खून में फर्क है. तब मैंने कहा था कि खबरदार, आज के बाद चाचा-भतीजे का रिश्ता खत्म.
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'पिता की तस्वीरों को रास्ते पर फेंका': दरअसल, चिराग पासवान ने कहा था कि मुझे बंगले में रहना होता तो संघर्ष का रास्ता नहीं चुनता. मुझे बंगला तो खाली करना ही था लेकिन केंद्र सरकार ने घर खाली कराने का जो तरीका अपनाया वो गलत है. मेरे पिता रामविलास पासवान की तस्वीरों को रास्ते पर फेंक दिया गया, जो दुखद है. उन्होंने कहा- 'मेरे चाचा खुद को मेरे पिता रामविलास पासवान जी का उत्तराधिकारी कहते हैं लेकिन जिस तरह से मेरे पिता की फोटो को बंगले से फेंका गया और पैरों के नीचे कुचल दिया गया, उस पर वह चुप रहे.'
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32 साल तक रहा पासवान परिवार: आपको बता दें कि रामविलास पासवान और उनका परिवार 12 जनपथ में लगातार 32 वर्ष तक रहे थे. उनके निधन के एक साल से अधिक वक्त के बाद सरकार ने आखिर खाली करा लिया है. चिराग पासवान को यह बंगला पसंद था और वे चाहते थे कि इसे उनके पिता के नाम पर स्मारक बना दिया जाए. उन्होंने बंगले में अपने पिता की एक प्रतिमा भी लगवा दी थी. रामविलास पासवान पहली बार 1977 में बिहार के हाजीपुर से जनता पार्टी के टिकट पर लोकसभा के लिए चुने गए थे. अक्टूबर 2020 में रामविलास पासवान के निधन के बाद पिछले साल अगस्त में केंद्रीय रेल और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव को बंगला आवंटित किया गया था. वहीं, चिराग पासवान को पहले ही सांसदों के लिए आरक्षित फ्लैट आवंटित किया जा चुका है.
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