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दिल्ली AIIMS डायरेक्टर के स्कूल खोलने की सलाह का अभिभावकों ने किया स्वागत, कहा- 'सरकार जल्द खोलें स्कूल' - school opening advice

देश में कोरोना संक्रमण (Corona Infection) की दूसरी लहर चल रही है, लेकिन ज्यादातर लोगों को तीसरी लहर की चिंता सता रही है. इस बीच दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) के निदेशक डॉ.रणदीप गुलेरिया (Dr. Randeep Guleria) ने अभिभावकों को राहत पहुंचाने वाली बात कही है. देखें रिपोर्ट...

पटना
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Published : Jul 20, 2021, 8:46 PM IST

पटना: देशभर में कोरोना संक्रमण (Corona Infection) की रफ्तार पर लगाम लगी है और अब कोरोना मरीजों की संख्या में भी काफी कमी आई है. दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया (Dr. Randeep Guleria) ने कहा कि संक्रमण काफी कम है, ऐसे में सरकार को स्कूलों (School) को फिर से खोलने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) काफी अधिक होती है.

ये भी पढ़ें- एम्स निदेशक डाॅ रणदीप गुलेरिया बोले- भारतीय बच्चों की इम्यूनिटी मजबूत, खुलने चाहिए स्कूल

बिहार के प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन और पटना के कुछ अभिभावकों से ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने कहा कि हम डॉक्टर रणदीप गुलेरिया के बातों का समर्थन करते हैं. प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष श्यामल अहमद ने कहा कि देश के सबसे बड़े अस्पताल और प्रख्यात डॉक्टर ने इस बात को कहा है तो जाहिर सी बात है कि सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए.

देखें रिपोर्ट

''बच्चों में सही मायने में प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है, लेकिन पिछले डेढ़ सालों से स्कूल बंद हैं. बच्चे घर पर ही ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. जिस कारण बच्चों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. जिस तरीके से बच्चे क्लास में पढ़ाई करते थे, उस तरीके से पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. हम डॉक्टर रणदीप गुलेरिया की बातों का समर्थन करते हैं और सरकार से मांग करते हैं कि सरकार जल्द से जल्द विद्यालय को खोलें ताकि बच्चे फिर से विद्यालय में आकर पढ़ाई कर सकें''- श्यामल अहमद, अध्यक्ष, प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन

ये भी पढ़ें- School Reopening In Bihar: बिहार में कब खुलेंगे स्कूल? जानिए लेटेस्ट अपडेट

वहीं, पटना की शालिनी सिन्हा ने बताया कि बच्चे लंबे समय से घर पर हैं और अब बच्चे घर पर रहना नहीं चाहते, क्योंकि वह उब चुके हैं. शरारत भी अधिक कर रहे हैं. दिन भर मोबाइल में ही लगे रहते हैं. पढ़ाई लिखाई भी उतनी नहीं हो रही. एक अभिभावक ने बताया कि डॉक्टर रणदीप गुलेरिया को हम धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने इस बारे में सोचा. हम सरकार से यह मांग करते हैं कि सरकार जल्द से जल्द विद्यालय खोले ताकि बच्चे विद्यालय जाकर पढ़ाई कर सकें.

उन्होंने कहा कि बच्चे घर में रहकर चिड़चिड़े हो रहे हैं. मोबाइल अधिक इस्तेमाल करने से उनकी आंखों पर भी काफी असर पड़ रहा है. वहीं, तीसरी लहर में बच्चों पर ज्यादा खतरा होने के सवाल पर अभिभावकों ने कहा कि जब तक इस तरीके की कोई आशंका नहीं है, तब तक विद्यालय खुले. जैसे ही इस तरीके की कोई आशंका होगी, सरकार आदेश जारी करके फिर से स्कूलों को बंद कर दें.

बता दें कि दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने अभिभावकों को राहत पहुंचाने वाली बात कही है. उन्होंने कहा कि ''अगर कोरोना की दोनों लहर की बात की जाए तो आंकड़े बताते हैं कि सबसे ज्यादा सुरक्षित बच्चे थे. ज्यादातर बच्चों में कोरोना के हल्के लक्षण दिखे. ऐसे में ये कहना कि अगली लहर में बच्चों में संक्रमण का खतरा बढ़ेगा, ये वैज्ञानिक रूप से ठीक नहीं है.

ये भी पढ़ें- 'कोरोना काल में हुई मौतों के लिए आजादी के बाद की सभी सरकारें जिम्मेवार'

डॉ. गुलेरिया ने आगे कहा कि स्कूल खुलने का मकसद केवल हमारे बच्चों के लिए सिर्फ एक सामान्य जीवन देना नहीं है, बल्कि एक बच्चे के समग्र विकास में स्कूली शिक्षा का महत्व बहुत मायने रखता है. भारत में कोरोना वायरस से बहुत कम बच्चे संक्रमित हो रहे हैं और जो बच्चे इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं उनकी इम्युनिटी अच्छी होने की वजह से वो खुद को जल्द ठीक कर पाने में सक्षम हैं. इंटरनेट के जरिये पढ़ाई उतनी आसान नहीं है जितनी की स्कूलों में होती है.

पटना: देशभर में कोरोना संक्रमण (Corona Infection) की रफ्तार पर लगाम लगी है और अब कोरोना मरीजों की संख्या में भी काफी कमी आई है. दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया (Dr. Randeep Guleria) ने कहा कि संक्रमण काफी कम है, ऐसे में सरकार को स्कूलों (School) को फिर से खोलने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) काफी अधिक होती है.

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बिहार के प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन और पटना के कुछ अभिभावकों से ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने कहा कि हम डॉक्टर रणदीप गुलेरिया के बातों का समर्थन करते हैं. प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष श्यामल अहमद ने कहा कि देश के सबसे बड़े अस्पताल और प्रख्यात डॉक्टर ने इस बात को कहा है तो जाहिर सी बात है कि सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए.

देखें रिपोर्ट

''बच्चों में सही मायने में प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है, लेकिन पिछले डेढ़ सालों से स्कूल बंद हैं. बच्चे घर पर ही ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. जिस कारण बच्चों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. जिस तरीके से बच्चे क्लास में पढ़ाई करते थे, उस तरीके से पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. हम डॉक्टर रणदीप गुलेरिया की बातों का समर्थन करते हैं और सरकार से मांग करते हैं कि सरकार जल्द से जल्द विद्यालय को खोलें ताकि बच्चे फिर से विद्यालय में आकर पढ़ाई कर सकें''- श्यामल अहमद, अध्यक्ष, प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन

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वहीं, पटना की शालिनी सिन्हा ने बताया कि बच्चे लंबे समय से घर पर हैं और अब बच्चे घर पर रहना नहीं चाहते, क्योंकि वह उब चुके हैं. शरारत भी अधिक कर रहे हैं. दिन भर मोबाइल में ही लगे रहते हैं. पढ़ाई लिखाई भी उतनी नहीं हो रही. एक अभिभावक ने बताया कि डॉक्टर रणदीप गुलेरिया को हम धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने इस बारे में सोचा. हम सरकार से यह मांग करते हैं कि सरकार जल्द से जल्द विद्यालय खोले ताकि बच्चे विद्यालय जाकर पढ़ाई कर सकें.

उन्होंने कहा कि बच्चे घर में रहकर चिड़चिड़े हो रहे हैं. मोबाइल अधिक इस्तेमाल करने से उनकी आंखों पर भी काफी असर पड़ रहा है. वहीं, तीसरी लहर में बच्चों पर ज्यादा खतरा होने के सवाल पर अभिभावकों ने कहा कि जब तक इस तरीके की कोई आशंका नहीं है, तब तक विद्यालय खुले. जैसे ही इस तरीके की कोई आशंका होगी, सरकार आदेश जारी करके फिर से स्कूलों को बंद कर दें.

बता दें कि दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने अभिभावकों को राहत पहुंचाने वाली बात कही है. उन्होंने कहा कि ''अगर कोरोना की दोनों लहर की बात की जाए तो आंकड़े बताते हैं कि सबसे ज्यादा सुरक्षित बच्चे थे. ज्यादातर बच्चों में कोरोना के हल्के लक्षण दिखे. ऐसे में ये कहना कि अगली लहर में बच्चों में संक्रमण का खतरा बढ़ेगा, ये वैज्ञानिक रूप से ठीक नहीं है.

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डॉ. गुलेरिया ने आगे कहा कि स्कूल खुलने का मकसद केवल हमारे बच्चों के लिए सिर्फ एक सामान्य जीवन देना नहीं है, बल्कि एक बच्चे के समग्र विकास में स्कूली शिक्षा का महत्व बहुत मायने रखता है. भारत में कोरोना वायरस से बहुत कम बच्चे संक्रमित हो रहे हैं और जो बच्चे इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं उनकी इम्युनिटी अच्छी होने की वजह से वो खुद को जल्द ठीक कर पाने में सक्षम हैं. इंटरनेट के जरिये पढ़ाई उतनी आसान नहीं है जितनी की स्कूलों में होती है.

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