पटना: बिहार में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार ने 16 दिनों का लॉकडाउन लगा रखा है. लेकिन इन सबके बीच चुनाव की तैयारी भी चल रही है. वहीं चुनाव की ट्रेनिंग के दौरान एक शिक्षक की मौत हो चुकी है. यही वजह है कि शिक्षक सवाल उठा रहे हैं कि अगर चुनाव की तैयारी हो सकती है, तो फिर शिक्षकों से वार्ता क्यों नहीं हो सकती?
शिक्षकों ने कई बार वार्ता की मांग की
कोरोना के संक्रमण के पहले बिहार में नियोजित शिक्षकों का हड़ताल चल रहा था. दरअसल, 17 फरवरी से 4 मई तक हड़ताल चला. यह तब खत्म हुआ जब सरकार ने शिक्षकों को आश्वासन दिया कि स्थिति सामान्य होने पर सरकार उनसे वार्ता करेगी और उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करेगी. लॉकडाउन के दौरान सरकार ने शिक्षकों को ड्यूटी पर भी लगाया और अब भी शिक्षक अलग-अलग तरीकों से अपने काम में लगे हैं.
1 जून से 15 जुलाई तक अनलॉक के दौरान अलग-अलग सरकारी कार्यालयों में कामकाज शुरू हुआ था. इस दौरान शिक्षकों ने कई बार सरकार से वार्ता की मांग की. लेकिन सरकार टालमटोल करती रही. वहीं इस दौरान सरकार की ओर से यह कहा गया कि स्थिति सामान्य होने पर सरकार शिक्षकों से बातचीत करेगी.
'वार्ता की कोई जरूरत नहीं'
बीजेपी के वरिष्ठ नेता नवल किशोर यादव ने कहा कि वार्ता की कोई जरूरत नहीं है. सरकार अपने स्तर से शिक्षकों के लिए गंभीर प्रयास कर रही है. इधर शिक्षक संघ ने सरकार के इस रवैया पर एतराज जताया है. वहीं बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता अभिषेक कुमार ने कहा कि बेहतर हो अगर सरकार पहले वार्ता करे.
हमारी मांगों पर गंभीरता से विचार करे और उन्हें हुबहू लागू करें. अगर सरकार हमारी मांगे हुबहू लागू कर देती है, तो वार्ता की कोई जरूरत नहीं होगी. लेकिन बेहतर हो कि सरकार शिक्षक संघ से वार्ता करें, ताकि अगर कोई परेशानी हो तो शिक्षक संघ सरकार को सही सलाह दे सकें.
'वार्ता करने में क्या परेशानी है?'
बिहार शिक्षक संग वार्ता करने में क्या परेशानी है? संघर्ष समन्वय समिति के प्रवक्ता मनोज कुमार ने कहा कि सरकार का यह रवैया बेहद संवेदनशील है. अगर सरकार चुनाव के लिए तैयारी कर सकती है और शिक्षकों को चुनावी ड्यूटी पर लगा सकती है, तो फिर वार्ता करने में क्या परेशानी है? अगर सरकार हमारी सभी मांगें पूर्ण रूप से लागू कर दे, तो हमें वार्ता की कोई जरूरत नहीं है.
उन्होंने कहा कि सरकार को यह तय करना होगा कि वह हमारी पूरी मांगे हुबहू लागू करें. सूत्रों के मुताबिक सरकार चुनाव से पहले नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त और उनकी विभिन्न मांगों को लेकर अपने स्तर से तैयारी कर चुकी है. जल्द ही सरकार इस बारे में महत्वपूर्ण घोषणा भी कर सकती है. लेकिन शिक्षकों को संदेह है कि सरकार बिना वार्ता के उनकी महत्वपूर्ण मांगों पर फैसला करेगी.