पटना: विश्व यक्ष्मा दिवस की पूर्व संध्या पर पब्लिक अवेयरनेस फॉर हेल्पफुल अप्रोच फॉर लीविंग 'पहल' की ओर से डॉ. दिवाकर तेजस्वी के क्लीनिक में जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर नि:शुल्क बलगम जांच शिविर लगाया गया. इसमें काफी संख्या में लोगों की जांच की गई.
पहल के निदेशक और वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि फेफड़ों की टीबी से संक्रमित व्यक्ति साल में 10 से 15 लोगों को संक्रमित कर सकता है. ऐसे में यह जरूरी है कि टीबी के मरीज यत्र-तत्र नहीं थूकें और खांसने या छींकते वक्त चेहरे पर रुमाल या मास्क का प्रयोग करें.
चलाए जा रहे जागरुकता कार्यक्रम
इसके साथ ही डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि विश्व टीबी दिवस के मौके पर पूरा विश्व कटिबद्ध है कि टीबी से मुक्ति दिलाया जाए. ऐसे में कई प्रकार के जागरुकता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं. भारत में भी 2025 तक टीबी रोग से मुक्ति का लक्ष्य रखा गया है. पूरे विश्व का लगभग एक चौथाई टीबी मरीज भारत में ही हैं. उन्होंने बताया कि टीबी बीमारी का एमडीआर और एक्सडीआर प्रकार काफी घातक होता है. यह भारत में फैलना शुरू हो गया है. इसका इलाज काफी लंबा चलता है और मरीज को 6 से 9 महीने तक दवा का पूरा कोर्स लेना पड़ता है.
समय रहते टीबी की पहचान जरूरी
डॉक्टर ने लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि समय रहते टीबी की बीमारी को पहचानना जरूरी है. इसके लिए अगर किसी को 2 हफ्ते से अधिक खांसी रह जा रही है तो उन्हें अनिवार्य रूप से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर अपने बलगम की जांच करवानी चाहिए. अगर किसी को 2 हफ्ते से ज्यादा खांसी रह रही है, बलगम में खून आ रहा है, लगातार वजन कम हो रहा है, सीने में दर्द की शिकायत रह रही है तो ऐसे लोग निश्चित रूप से बलगम का जांच कराएं. टीबी शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है और समय पर इसे डायग्नोज नहीं किया गया तो यह बहुत खतरनाक भी हो सकता है.