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'7 दिनों के अंदर अगर चालू नहीं हुआ नल-जल योजना का काम तो होगी कार्रवाई' - पंचायती राज विभाग बिहार ने लिखा पत्र

नल-जल योजना के तहत जो गड्ढे खोदे गए हैं, उनका जल्द मरम्मत करना होगा. ऐसा नहीं करने पर एजेंसी पर मुकदमा दर्ज होगा. इस मामले में पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा ने सभी जिलों के डीएम, डीडीसी व पंचायती राज पदाधिकारी को पत्र लिखा है.

पंचायती राज विभाग
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Published : Feb 26, 2021, 10:50 PM IST

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक नल जल योजना भी है. इस योजना के तहत जो गड्ढे खोदे गए हैं, उन्हें हर हाल में भरना होगा. अगर एजेंसी ऐसा नहीं करती है तो 15 दिनों के बाद उस पर थाने में मुकदमा दर्ज होगा. पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा ने सभी जिलों के डीएम, डीडीसी व पंचायती राज पदाधिकारी को पत्र लिखा है. उसमें लिखा है जहां नल जल योजना बंद है, उसे भी सात दिनों के भीतर चालू करना होगा. ऐसा नहीं करेंगे तो कानूनी कार्रवाई होगी.

देखं आदेश
देखं आदेश

ये भी पढ़ें- नौकरी की मांग पर एकजुट हुए देशभर के युवा, #मोदी_रोजगार_दो ट्विटर पर कर रहा ट्रेंड

बंद पड़ी हुई हैं योजनाएं
नल जल योजना को लेकर पंचायती राज विभाग सख्त नजर आ रहा है. आज पंचायती राज विभाग द्वारा योजनाओं को लेकर समीक्षा बैठक की गई. बैठक के माध्यम से कई महत्वपूर्ण निर्णय पर फैसला लिया गया. पंचायती राज विभाग के अपर सचिव अमृत लाल मीणा ने बैठक के बाद एक पत्र निर्गत किया है. जिसमें बताया गया है कि वादों में बंद पड़े नल जल योजना का कार्य 7 दिनों के अंदर शुरू किया जाए. अपर मुख्य सचिव ने यह भी आदेश दिया है कि लगातार नल जल योजना के बंद होने की खबर आ रही है. कई वार्ड में योजना पूर्ण होने के बाद भी बंद पड़ी हुई है. वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समितियों की जिम्मेदारी है कि सभी योजनाओं को चालू रखें.

मरम्मत नहीं की तो कार्रवाई
ग्राम पंचायतों को अपने अनुश्रवण में पेयजल योजनाओं का संचालन सुनिश्चित करना है. जिन ग्राम पंचायत के वार्ड में पेयजल निश्चय योजना पूर्ण होने के बाद बंद है. उन सभी एजेंसियों को आदेश दिया जाए कि वे 7 दिनों के अंदर हर हाल में योजना चालू करें. अगर योजना चालू नहीं होती है तो विधि सम्मत कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करें. वहीं हर वार्ड में जिन एजेंसियों के द्वारा नल जल योजना के कार्यों को लेकर सड़कों की खुदाई के बाद उसे मरम्मत नहीं किया गया. वे 15 दिनों के अंदर कर लें. यदि सड़कों की मरम्मत ही नहीं करते हैं, तो उनके विरुद्ध थाने में प्राथमिकी दर्ज की जाएगी.

ये भी पढ़ें- आत्मनिर्भरता की मिसालः कभी थे फैक्ट्री में टेक्नीशियन, आज हैं फैक्ट्री मालिक

कार्य करने वाली एजेंसियों पर दर्ज होगा मुकदमा
नल जल योजना को लेकर पंचायती राज विभाग ने आदेश निर्गत किया है, जिसमें बताया गया है कि मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना का कार्यान्वयन 50 फीसदी पंचायतों में पंचायती राज विभाग के माध्यम से वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समितियों द्वारा किया जा रहा है. शेष पंचायतों में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के माध्यम से संवेदक के द्वारा कराई जा रही है. पंचायती राज के विभागीय समीक्षा बैठक में नल जल योजना का कार्यान्वयन कराने वाली एजेंसी ने पूर्व से बनी सड़क को तोड़कर पाइप लाइन बिछाई है. काम होने के बाद सड़क की मरम्मति उसी एजेंसी को करना है. लेकिन एजेंसियों द्वारा मरम्मत का कार्य नहीं की गई है.

मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना के प्राक्कलन में इसके लिए व्यवस्था है. वैसी स्थिति में मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना के कार्यान्वयन के लिए उत्तरदायी एजेंसी का दायित्व है कि वे खोदे गये सड़कों का मरम्मति करें, नहीं तो सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई भी कर सकती है.

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक नल जल योजना भी है. इस योजना के तहत जो गड्ढे खोदे गए हैं, उन्हें हर हाल में भरना होगा. अगर एजेंसी ऐसा नहीं करती है तो 15 दिनों के बाद उस पर थाने में मुकदमा दर्ज होगा. पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा ने सभी जिलों के डीएम, डीडीसी व पंचायती राज पदाधिकारी को पत्र लिखा है. उसमें लिखा है जहां नल जल योजना बंद है, उसे भी सात दिनों के भीतर चालू करना होगा. ऐसा नहीं करेंगे तो कानूनी कार्रवाई होगी.

देखं आदेश
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बंद पड़ी हुई हैं योजनाएं
नल जल योजना को लेकर पंचायती राज विभाग सख्त नजर आ रहा है. आज पंचायती राज विभाग द्वारा योजनाओं को लेकर समीक्षा बैठक की गई. बैठक के माध्यम से कई महत्वपूर्ण निर्णय पर फैसला लिया गया. पंचायती राज विभाग के अपर सचिव अमृत लाल मीणा ने बैठक के बाद एक पत्र निर्गत किया है. जिसमें बताया गया है कि वादों में बंद पड़े नल जल योजना का कार्य 7 दिनों के अंदर शुरू किया जाए. अपर मुख्य सचिव ने यह भी आदेश दिया है कि लगातार नल जल योजना के बंद होने की खबर आ रही है. कई वार्ड में योजना पूर्ण होने के बाद भी बंद पड़ी हुई है. वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समितियों की जिम्मेदारी है कि सभी योजनाओं को चालू रखें.

मरम्मत नहीं की तो कार्रवाई
ग्राम पंचायतों को अपने अनुश्रवण में पेयजल योजनाओं का संचालन सुनिश्चित करना है. जिन ग्राम पंचायत के वार्ड में पेयजल निश्चय योजना पूर्ण होने के बाद बंद है. उन सभी एजेंसियों को आदेश दिया जाए कि वे 7 दिनों के अंदर हर हाल में योजना चालू करें. अगर योजना चालू नहीं होती है तो विधि सम्मत कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करें. वहीं हर वार्ड में जिन एजेंसियों के द्वारा नल जल योजना के कार्यों को लेकर सड़कों की खुदाई के बाद उसे मरम्मत नहीं किया गया. वे 15 दिनों के अंदर कर लें. यदि सड़कों की मरम्मत ही नहीं करते हैं, तो उनके विरुद्ध थाने में प्राथमिकी दर्ज की जाएगी.

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कार्य करने वाली एजेंसियों पर दर्ज होगा मुकदमा
नल जल योजना को लेकर पंचायती राज विभाग ने आदेश निर्गत किया है, जिसमें बताया गया है कि मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना का कार्यान्वयन 50 फीसदी पंचायतों में पंचायती राज विभाग के माध्यम से वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समितियों द्वारा किया जा रहा है. शेष पंचायतों में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के माध्यम से संवेदक के द्वारा कराई जा रही है. पंचायती राज के विभागीय समीक्षा बैठक में नल जल योजना का कार्यान्वयन कराने वाली एजेंसी ने पूर्व से बनी सड़क को तोड़कर पाइप लाइन बिछाई है. काम होने के बाद सड़क की मरम्मति उसी एजेंसी को करना है. लेकिन एजेंसियों द्वारा मरम्मत का कार्य नहीं की गई है.

मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना के प्राक्कलन में इसके लिए व्यवस्था है. वैसी स्थिति में मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना के कार्यान्वयन के लिए उत्तरदायी एजेंसी का दायित्व है कि वे खोदे गये सड़कों का मरम्मति करें, नहीं तो सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई भी कर सकती है.

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