पटना: अब बिहार में पराली जलाने पर केस (Case on Stubble burning in Bihar) दर्ज होगा. दरअसल, बिहार में भी पराली जलाने की घटनाएं बढ़ने लगी है. इसके कारण प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है. पटना, नालंदा, भोजपुर, रोहतास, बक्सर और कैमूर में पराली जलाने की घटना सबसे अधिक हो रही है. इन जिलों में प्रदेश की 83% पराली जलाने की घटनाएं हो रही हैं. प्रदूषण के कारण प्रमुख शहरों की हवा लगातार जहरीली हो रही है और इसी को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के निर्देश पर अंतर्विभागीय समूह की बैठक में विकास आयुक्त ने पराली जलाने वाले पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है. कृषि विभाग के प्रभारी रविंद्र नाथ राय की ओर से आदेश भी जारी कर दिया गया है.
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बिहार में वायु प्रदूषण: राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक के तहत राज्य में सबसे अधिक प्रदूषित शहर लगातार कटिहार (Air Pollution in Bihar) बना हुआ है. कटिहार का वायु गुणवत्ता सूचकांक 393 पर पहुंच गया है. यहां धूल कण की मात्रा मानक से 6 गुना अधिक हो गई है. वहीं दूसरे नंबर पर मोतिहारी का सूचकांक 368 हो गया है. पटना का सूचकांक 250, सिवान का 349, समस्तीपुर का 316, सहरसा का 307 और बेतिया का वायु सूचकांक 308 पर पहुंच गया है.
बिहार में पराली जलाने पर केस: मुख्यमंत्री ने भी बुधवार को कहा था कि पूरी रिपोर्ट मंगा रहे हैं और मुख्यमंत्री के निर्देश पर ही बुधवार 9 नवंबर को विकास आयुक्त विवेक कुमार सिंह ने अंतर्विभागीय समूह की बैठक में अधिकारियों को कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. पराली जलाने वाले किसानों पर सीआरपीसी की धारा 133 के तहत कार्रवाई होगी. पराली जलाने की घटना सही पाई गई तो दंडाधिकारी के बयान पर किसानों पर आईपीसी की धारा 188 के तहत मुकदमा किया जाएगा.
राज्य सरकार ने यह भी तय किया है कि फसल जलाने संबंधी घटनाओं की समीक्षा पंचायतों को दो समूहों में बांटकर की जाएगी. पहले समूह में ऐसे पंचायत होंगे, जहां से पूर्व से फसल अवशेष जलाने की घटनाएं ज्यादा होती रही है. दूसरे समूह में वैसे पंचायतों को रखा जाएगा, जहां फसल दिलाने की घटनाएं कम हुई है या नहीं हो रही है. कृषि समन्वयकों से प्रतिदिन रिपोर्ट ली जाएगी और इसके लिए कृषि समन्वयकों पर जवाबदेही तय की जाएगी. इसके साथ फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित कृषि यंत्रों का किसानों के बीच अधिक से अधिक उपलब्धता सुनिश्चित कराने का भी फैसला लिया गया है.
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