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Bihar Shikshak Niyojan: 'नई नियमावली में हो सुधार, नहीं तो आने वाले चुनाव में नैया पार नहीं होने देंगे' - Bihar Teacher Recruitment

बिहार में सातवें चरण में शिक्षक बहाली को लेकर नई नियमावली जारी हो चुका है, जिसका शिक्षक संघ ने विरोध करना भी शुरू कर दिया है. शिक्षक संघ का कहना है कि सरकार ने छलावा करने का काम किया है. अगर समय से इसमें सुधार नहीं किया गया तो आने वाले चुनाव में नैया पार नहीं होने देंगे. पढ़ें पूरी खबर...

शिक्षक संघ ने नई नियमावली का किया विरोध
शिक्षक संघ ने नई नियमावली का किया विरोध
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Published : Apr 11, 2023, 5:21 PM IST

Updated : Apr 12, 2023, 8:56 AM IST

शिक्षक संघ ने नई नियमावली का किया विरोध

पटना: शिक्षक बहाली की नई नियमावली जारी होने के बाद ही इसका विरोध शुरू हो गया है. राज्य के विभिन्न शिक्षक संघों ने खुलकर इसका विरोध करना शुरू कर दिया है. इन संघों का कहना है कि सरकार ने छलावा किया है. बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के राज्य अध्यक्ष बृजनंदन शर्मा ने कहा कि कुछ पार्ट का हम स्वागत करते हैं, कुछ पार्ट का विरोध कर रहे हैं. यह डिसीजन गलत डिसीजन है. सरकार को नई नियमावली में सुधार करना चाहिए वरना हम संघर्ष पर पहुंचेंगे. साथ ही शिक्षकों को शैक्षणिक कामों के अलावा अन्य कामों से मुक्त किया जाए.

यह भी पढ़ेंः Lalu Yadav के भक्त रामानुज यादव बेमियादी अनशन पर बैठे, बोले- '..यहीं अपना दम तोड़ देंगे'

सरकार ने नियमावली को ही बदल दियाः नव नियुक्त माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर गणेश शंकर पांडेय ने कहा है कि शिक्षक नियमावली 2023, पूर्व से बहाल शिक्षकों के लिए बड़ा धोखा और छलावा है. एक विज्ञप्ति जारी करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार के इस अव्यवहारिक निर्णय से पिछले 15 वर्षों से भी अधिक समय से अपनी सेवा देने वाले नियोजित शिक्षक हतप्रभ हैं. अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं. सूबे के नियोजित शिक्षक लंबे समय से वेतनमान और राज्य कर्मी का दर्जा की लड़ाई लड़ते रहे हैं. जब घोषणा की बात आई तो सरकार ने नियमावली को ही बदल दिया.

चुनावी नैया पार नहीं होने देंगेः शिक्षक संघ का कहना है कि सरकार शिक्षकों की समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं है. सिर्फ नयी-नयी नियमावली लाकर शिक्षकों के साथ-साथ शिक्षा व्यवस्था को उलझाना चाहती है. उन्होंने कहा कि ये राजनेता चुनाव पूर्व घोषणा कुछ करते हैं और चुनाव बाद कुछ करते हैं. इनके ढुलमुल नीति के कारण सूबे के नियोजित शिक्षकों का भविष्य एक बार फिर अधर में लटक गया है. सरकार यदि बिना शर्त नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी की घोषणा और पूर्ण वेतनमान की घोषणा शीघ्र नहीं करती है तो सूबे के नियोजित शिक्षक आगामी लोकसभा व विधानसभा चुनाव में सरकार की चुनावी नैया पार नहीं होने देंगे.

"हम कुछ पार्ट का विरोध करते हैं, लेकिन कुछ पार्ट सही भी है. लेकिन सरकार को यह आगे के लिए करना चाहिए था. नियोजित शिक्षकों के लिए यह ठीक नहीं है. साथ ही शिक्षकों को चुनाव सहित अन्य कामों से मुक्त करना चाहिए. शिक्षक को सिर्फ पढ़ाने के काम में लगाना चाहिए. नई नियमावली में सरकार को सुधार करना चाहिए नहीं तो हमलोग संघर्ष करेंगे." - बृजनंदन शर्मा, अध्यक्ष, बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ

शिक्षक संघ ने नई नियमावली का किया विरोध

पटना: शिक्षक बहाली की नई नियमावली जारी होने के बाद ही इसका विरोध शुरू हो गया है. राज्य के विभिन्न शिक्षक संघों ने खुलकर इसका विरोध करना शुरू कर दिया है. इन संघों का कहना है कि सरकार ने छलावा किया है. बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के राज्य अध्यक्ष बृजनंदन शर्मा ने कहा कि कुछ पार्ट का हम स्वागत करते हैं, कुछ पार्ट का विरोध कर रहे हैं. यह डिसीजन गलत डिसीजन है. सरकार को नई नियमावली में सुधार करना चाहिए वरना हम संघर्ष पर पहुंचेंगे. साथ ही शिक्षकों को शैक्षणिक कामों के अलावा अन्य कामों से मुक्त किया जाए.

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सरकार ने नियमावली को ही बदल दियाः नव नियुक्त माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर गणेश शंकर पांडेय ने कहा है कि शिक्षक नियमावली 2023, पूर्व से बहाल शिक्षकों के लिए बड़ा धोखा और छलावा है. एक विज्ञप्ति जारी करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार के इस अव्यवहारिक निर्णय से पिछले 15 वर्षों से भी अधिक समय से अपनी सेवा देने वाले नियोजित शिक्षक हतप्रभ हैं. अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं. सूबे के नियोजित शिक्षक लंबे समय से वेतनमान और राज्य कर्मी का दर्जा की लड़ाई लड़ते रहे हैं. जब घोषणा की बात आई तो सरकार ने नियमावली को ही बदल दिया.

चुनावी नैया पार नहीं होने देंगेः शिक्षक संघ का कहना है कि सरकार शिक्षकों की समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं है. सिर्फ नयी-नयी नियमावली लाकर शिक्षकों के साथ-साथ शिक्षा व्यवस्था को उलझाना चाहती है. उन्होंने कहा कि ये राजनेता चुनाव पूर्व घोषणा कुछ करते हैं और चुनाव बाद कुछ करते हैं. इनके ढुलमुल नीति के कारण सूबे के नियोजित शिक्षकों का भविष्य एक बार फिर अधर में लटक गया है. सरकार यदि बिना शर्त नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी की घोषणा और पूर्ण वेतनमान की घोषणा शीघ्र नहीं करती है तो सूबे के नियोजित शिक्षक आगामी लोकसभा व विधानसभा चुनाव में सरकार की चुनावी नैया पार नहीं होने देंगे.

"हम कुछ पार्ट का विरोध करते हैं, लेकिन कुछ पार्ट सही भी है. लेकिन सरकार को यह आगे के लिए करना चाहिए था. नियोजित शिक्षकों के लिए यह ठीक नहीं है. साथ ही शिक्षकों को चुनाव सहित अन्य कामों से मुक्त करना चाहिए. शिक्षक को सिर्फ पढ़ाने के काम में लगाना चाहिए. नई नियमावली में सरकार को सुधार करना चाहिए नहीं तो हमलोग संघर्ष करेंगे." - बृजनंदन शर्मा, अध्यक्ष, बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ

Last Updated : Apr 12, 2023, 8:56 AM IST
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