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सरकार एलिवेटेड रोड बनाएगी या धरोहर बचाएगी ? सरकारी आदेश का हो रहा विरोध - खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी में पांडुलिपियां

पटना में एलिवेटेड रोड के लिए खुदा बख्श लाइब्रेरी के एक हिस्से को तोड़ने का लगातार विरोध हो रहा है. एक तरफ जहां लाइब्रेरी के समर्थन में कई संस्थान खड़े हो गए हैं तो दूसरी तरफ पथ निर्माण विभाग की तरफ से सफाई दी जा रही है. जिसमें कहा जा रहा है कि जिस हिस्से को तोड़ा जाएगा वहां पर सरकारी खर्चे पर हॉल का निर्माण किया जाएगा. ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता कि सरकार धरोहर को बचाएगी या फिर एलिवेटेड रोड बनाएगी.

खुदा बख्श लाइब्रेरी
खुदा बख्श लाइब्रेरी
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Published : Apr 11, 2021, 10:54 PM IST

पटनाः नए फ्लाईओवर, नई सड़कों ने पटना को मेट्रोपॉलिटन सिटी के बराबर खड़ा कर दिया है. लेकिन ऐसे मेट्रोपॉलिटन सिटी में ही अपनी धरोहर पर खतरा मंडरा रहा है. वर्ष 1891 में खुले खुदा बख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी के एक हिस्से को तोड़े जाने का प्रस्ताव बिहार पुल निर्माण निगम ने पेश किया है. यह प्रस्ताव इसलिए पेश किया गया है क्योंकि अशोक राज पथ में एलिवेटेड रोड बनायी जाएगी. जिससे जाम की समस्या खत्म हो सकती है. इसके विरोध में पटना में कई लोग खड़े हो गए हैं. लाइब्रेरी के कर्जन रीडिंग रूम के आधे हिस्से को बचाने के कई उपाय भी दिए जा रहे हैं.

खुदा बख्श लाइब्रेरी
खुदा बख्श लाइब्रेरी

यह भी पढ़ें- 'कथा सम्राट' रेणु की 45वीं पुण्यतिथि पर जानें उनसे जुड़ी अनसुनी कहानियां

जमीन अधिग्रहण में जताई आपत्ति
राजधानी पटना के सबसे व्यस्त रोड अशोक राजपथ पर कारगिल चौक से एनआईटी तक सरकार ने एलिवेटेड रोड बनाने का फैसला लिया है. पिछले 3 सालों से इस पर चर्चा हो रही है. 300 करोड़ की लागत से बनने वाले एलिवेटेड रोड की डीपीआर भी अब स्वीकृत हो चुकी है. 2070 मीटर एलिवेटेड रोड का जल्द ही टेंडर निकलने वाला है. लेकिन जमीन अधिग्रहण बड़ी समस्या बनी हुई है. क्योंकि खुदा बख्श लाइब्रेरी के निदेशक ने आपत्ति जताई है.

देखें पूरी रिपोर्ट
एलिवेटेड रोड बनाम खुदा बख्श लाइब्रेरी
एलिवेटेड रोड बनाम खुदा बख्श लाइब्रेरी

कई संस्थाओं ने किया विरोध
दरअसल, एलिवेटेड रोड के रास्ते में पीएमसीएच, बीएन कॉलेज, साइंस कॉलेज के साथ खुदा बख्श लाइब्रेरी भी है. जिसके कर्जन रीडिंग रूम का आधा हिस्सा तोड़ा जाएगा और इसी का विरोध शुरू हो गया है. खुदा बख्श लाइब्रेरी की ओर से डीएम को पत्र भेजा गया है. उसकी कॉपी मुख्यमंत्री सहित केंद्र सरकार तक को भेजा गया है. कई संस्थाओं ने भी हेरिटेज खुदा बख्श लाइब्रेरी के हॉल के हिस्से को तोड़कर एलिवेटेड रोड बनाने का विरोध किया है.

डीएम को दिए गए सुझाव
डीएम को दिए गए सुझाव

यह भी पढ़ें- 7700 करोड़ रुपए की लागत से बनेगा बिहार का पहला एक्सप्रेस वे, 190 किलोमीटर है लंबाई

एलाइनमेंट को लेकर हुई थी डीएम की बैठक
राजधानी पटना में लगने वाले जाम से छुटकारा के लिए सरकार ने कारगिल चौक से एनआईटी मोड़ तक एलिवेटेड रोड बनाने का फैसला पिछले साल लिया. 300 करोड़ की लागत से बनने वाले एलिवेटेड रोड का डीपीआर भी पास हो गया. पिछले दिनों डीएम ने बैठक कर इसके एलाइनमेंट में आने वाले खुदाबख्श लाइब्रेरी, उर्दू पुस्तकालय, पटना विश्वविद्यालय, पीएमसीएच, उर्दू अकेडमी, बिहार यंगमैन संस्थान की कुछ जमीन को लेकर अपर समाहर्ता राजस्व को संबंधित संस्थानों से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने का निर्देश दिया.

कर्जन रीडिंग रूम
कर्जन रीडिंग रूम
डीएम को लिखा गया पत्र
डीएम को लिखा गया पत्र
लिखा गया पत्र
लिखा गया पत्र

'एलिवेटेड रोड के कारण खुदा बख्श लाइब्रेरी का जो हिस्सा टूट रहा है, वह ऐतिहासिक है. लाइब्रेरी के मुख्य भवन का आगे का बड़ा हिस्सा लॉन एरिया है. छोटे बगीचे की तरह का है. वह हिस्सा एलिवेटेड रोड में चला जाएगा, तो लाइब्रेरी का आकर्षण भी खत्म हो जाएगा. इसीलिए इसका विरोध किया जा रहा है. हेरिटेज को बचाने के लिए डीएम को ऑप्शन भी बताया गया है.' -शाइस्ता बेदार, निदेशक, खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी

शाइस्ता बेदार, निदेशक, खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी
शाइस्ता बेदार, निदेशक, खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी

'लाइब्रेरी के हिस्से को तोड़कर एलिवेटेड रोड का निर्माण सही नहीं है. उसमें भी खुदा बख्श लाइब्रेरी जैसे हेरिटेज के किसी भाग को तोड़ना कहीं से भी सही नहीं है. इसके लिए दूसरा रास्ता निकालना चाहिए. क्योंकि इसका मैसेज पूरे देश में और देश से बाहर भी खराब जाएगा.' -विद्यार्थी विकास, प्रोफेसर, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट

विद्यार्थी विकास, प्रोफेसर, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट
विद्यार्थी विकास, प्रोफेसर, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट

'जल्द ही खुदा बख्श लाइब्रेरी के डायरेक्टर से मुलाकात करूंगा. इसके लिए रास्ता निकालने की प्रयास होगी. मैं मां के श्राद्ध कार्य में लगा हूं. पूरा होने के बाद इस मामले को जरूर सुलझाऊंगा.' -नितिन नवीन, मंत्री, पथ निर्माण विभाग

नितिन नवीन, मंत्री, पथ निर्माण विभाग
नितिन नवीन, मंत्री, पथ निर्माण विभाग
पुस्तकालय की किताबें
पुस्तकालय की किताबें

क्यों जरूरी है कर्जन रीडिंग रूम
1891 में जब खुदा बख्श लाइब्रेरी को खोला गया था, तब लाइब्रेरी अपनी तरह की पहली लाइब्रेरी थी. जिसमें आम लोग जा सकते थे. करीब 12 साल बाद भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन पटना में गंगा किनारे स्थित इस लाइब्रेरी का दौरा करने पहुंचे. उन्होंने इसमें संग्रहित पांडुलिपियों को देखा. वे इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने धन उपलब्ध कर इसका विकास करवाया. आभार जताने के लिए लाइब्रेरी की तरफ से 1905 में कर्जन रीडिंग हॉल की स्थापना की गई. तब से इस रीडिंग हॉल में हमेशा चहल-पहल रहता है. यहां दुनियाभर के छात्र, विद्वान और शोधकर्ता आते हैं.

अहम है खुदा बख्श लाइब्रेरी
अहम है खुदा बख्श लाइब्रेरी

जानें, अपने धरोहर खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी को
लाइब्रेरी को 1891 में खान बहादुर मौलवी खुदा बख्श ने जनता के लिए खोला था. इससे पहले ही इसकी स्थापना हो गई थी. खुदा बख्श को अपने पिता से 1,400 पांडुलिपियां विरासत में मिली थीं. उन्होंने इन पांडुलिपियों के अलावा अन्य को जुटाने के लिए अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा उपमहाद्वीप की यात्रा में गुजार दिया. उन्होंने लगभग 4000 पांडुलिपियां एकत्र कर ली थीं. तब इसे एक ट्रस्ट के जरिये लोगों को समर्पित कर दिया गया.

पुस्तकालय की किताबों और पाडुलिपियों का संग्रहण
पुस्तकालय की किताबों और पाडुलिपियों का संग्रहण

यह पुस्‍तकालय पूर्व विरासत का एक अद्वितीय कोष है, जिसे कागज़, ताड़-पत्र, मृग चर्म,कपड़े और विविध सामग्रियों पर लिखित पांडुलिपियों के रूप में परिरक्षित किया गया है. साथ ही इसका स्‍वरूप आधुनिक है, जिसमें कुछेक जर्मन, फ्रेंच, पंजाबी, जापानी व रूसी पुस्‍तकों के अलावा अरबी, फारसी, उर्दू, अंग्रेजी और हिंदी में मुद्रित पुस्‍तकें भी रखी गई हैं.

अब यह डिजिटल पुस्‍तकालय के रूप में विकसित हो रहा है, जिसमें पुस्‍तकालय के भीतर डिजिटल प्रारूप में उपलब्‍ध 21000 से अधिक पांडुलिपियां मौजूद हैं.

1969 में भारत सरकार ने संसद में पारित एक विधेयक के जरिये खुदा बख्श लाइब्रेरी को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के तौर पर मान्यता दी. यह केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की तरफ से वित्त पोषित है.

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खुदा बख्श लाइब्रेरी के साथ कई संस्थान
एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों के साथ कई संस्थान भी एलिवेटेड रोड का विरोध करने लगी है. सीपीआई एमएलए की तरफ से भी विरोध किया जा रहा है. इंटक ने भी विरोध किया है और ऐतिहासिक धरोहर बचाने के लिए लगातार खुदा बख्श लाइब्रेरी के सपोर्ट में संस्थान आ रहे हैं. हालांकि सरकार की तरफ से अभी तक इसको लेकर कुछ भी साफ नहीं किया गया है. लेकिन पथ निर्माण विभाग ने सफाई में कहा है कि एलिवेटेड रोड पीएमसीएच के लिए बहुत जरूरी है. जहां तक बात है कि लाइब्रेरी के कुछ हिस्से तोड़ने की तो इससे लाइब्रेरी के मुख्य बिल्डिंग को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा. ऐसे में देखना है कि खुदा बख्श लाइब्रेरी के विरोध के बाद अब सरकार का क्या रुख होता है. क्योंकि एलिवेटेड रोड भी जरूरी है और खुदा बख्श लाइब्रेरी जैसे हेरिटेज को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे, इसका भी ध्यान रखना जरूरी है.

एलिवेटेड रोड का जारी हुआ वीडियो

पथ निर्माण विभाग ने जारी किया वीडियो
पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने कारगिल चौक से एनआईटी तक बनने वाले डबल डेकर एलिवेटेड रोड नक्शा का एनिमेटेड वीडियो जारी किया है. खुदा बख्श लाइब्रेरी की ओर से हो रहे विरोध पर प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से सफाई दी है. जानकारी देने की कोशिश की है कि खुदा बख्श लाइब्रेरी का मुख्य बिल्डिंग और नया बिल्डिंग पर किसी तरह का कोई असर नहीं पड़ने वाला है. पथ निर्माण विभाग ने यह भी कहा है कि कर्जन रीडिंग रूम का एक हिस्सा एलिवेटेड रोड में लिया जा रहा है लेकिन उसके स्थान पर विभाग सरकारी खर्चे पर अलग से हॉल बनाने वाला है. साथ ही यह एलिवेटेड रोड 5000 बेड के बनने वाले पीएमसीएच के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है.

देखें और समझें, कहां से बनेगी सड़क
देखें और समझें, कहां से बनेगी सड़क

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पटनाः नए फ्लाईओवर, नई सड़कों ने पटना को मेट्रोपॉलिटन सिटी के बराबर खड़ा कर दिया है. लेकिन ऐसे मेट्रोपॉलिटन सिटी में ही अपनी धरोहर पर खतरा मंडरा रहा है. वर्ष 1891 में खुले खुदा बख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी के एक हिस्से को तोड़े जाने का प्रस्ताव बिहार पुल निर्माण निगम ने पेश किया है. यह प्रस्ताव इसलिए पेश किया गया है क्योंकि अशोक राज पथ में एलिवेटेड रोड बनायी जाएगी. जिससे जाम की समस्या खत्म हो सकती है. इसके विरोध में पटना में कई लोग खड़े हो गए हैं. लाइब्रेरी के कर्जन रीडिंग रूम के आधे हिस्से को बचाने के कई उपाय भी दिए जा रहे हैं.

खुदा बख्श लाइब्रेरी
खुदा बख्श लाइब्रेरी

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जमीन अधिग्रहण में जताई आपत्ति
राजधानी पटना के सबसे व्यस्त रोड अशोक राजपथ पर कारगिल चौक से एनआईटी तक सरकार ने एलिवेटेड रोड बनाने का फैसला लिया है. पिछले 3 सालों से इस पर चर्चा हो रही है. 300 करोड़ की लागत से बनने वाले एलिवेटेड रोड की डीपीआर भी अब स्वीकृत हो चुकी है. 2070 मीटर एलिवेटेड रोड का जल्द ही टेंडर निकलने वाला है. लेकिन जमीन अधिग्रहण बड़ी समस्या बनी हुई है. क्योंकि खुदा बख्श लाइब्रेरी के निदेशक ने आपत्ति जताई है.

देखें पूरी रिपोर्ट
एलिवेटेड रोड बनाम खुदा बख्श लाइब्रेरी
एलिवेटेड रोड बनाम खुदा बख्श लाइब्रेरी

कई संस्थाओं ने किया विरोध
दरअसल, एलिवेटेड रोड के रास्ते में पीएमसीएच, बीएन कॉलेज, साइंस कॉलेज के साथ खुदा बख्श लाइब्रेरी भी है. जिसके कर्जन रीडिंग रूम का आधा हिस्सा तोड़ा जाएगा और इसी का विरोध शुरू हो गया है. खुदा बख्श लाइब्रेरी की ओर से डीएम को पत्र भेजा गया है. उसकी कॉपी मुख्यमंत्री सहित केंद्र सरकार तक को भेजा गया है. कई संस्थाओं ने भी हेरिटेज खुदा बख्श लाइब्रेरी के हॉल के हिस्से को तोड़कर एलिवेटेड रोड बनाने का विरोध किया है.

डीएम को दिए गए सुझाव
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एलाइनमेंट को लेकर हुई थी डीएम की बैठक
राजधानी पटना में लगने वाले जाम से छुटकारा के लिए सरकार ने कारगिल चौक से एनआईटी मोड़ तक एलिवेटेड रोड बनाने का फैसला पिछले साल लिया. 300 करोड़ की लागत से बनने वाले एलिवेटेड रोड का डीपीआर भी पास हो गया. पिछले दिनों डीएम ने बैठक कर इसके एलाइनमेंट में आने वाले खुदाबख्श लाइब्रेरी, उर्दू पुस्तकालय, पटना विश्वविद्यालय, पीएमसीएच, उर्दू अकेडमी, बिहार यंगमैन संस्थान की कुछ जमीन को लेकर अपर समाहर्ता राजस्व को संबंधित संस्थानों से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने का निर्देश दिया.

कर्जन रीडिंग रूम
कर्जन रीडिंग रूम
डीएम को लिखा गया पत्र
डीएम को लिखा गया पत्र
लिखा गया पत्र
लिखा गया पत्र

'एलिवेटेड रोड के कारण खुदा बख्श लाइब्रेरी का जो हिस्सा टूट रहा है, वह ऐतिहासिक है. लाइब्रेरी के मुख्य भवन का आगे का बड़ा हिस्सा लॉन एरिया है. छोटे बगीचे की तरह का है. वह हिस्सा एलिवेटेड रोड में चला जाएगा, तो लाइब्रेरी का आकर्षण भी खत्म हो जाएगा. इसीलिए इसका विरोध किया जा रहा है. हेरिटेज को बचाने के लिए डीएम को ऑप्शन भी बताया गया है.' -शाइस्ता बेदार, निदेशक, खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी

शाइस्ता बेदार, निदेशक, खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी
शाइस्ता बेदार, निदेशक, खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी

'लाइब्रेरी के हिस्से को तोड़कर एलिवेटेड रोड का निर्माण सही नहीं है. उसमें भी खुदा बख्श लाइब्रेरी जैसे हेरिटेज के किसी भाग को तोड़ना कहीं से भी सही नहीं है. इसके लिए दूसरा रास्ता निकालना चाहिए. क्योंकि इसका मैसेज पूरे देश में और देश से बाहर भी खराब जाएगा.' -विद्यार्थी विकास, प्रोफेसर, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट

विद्यार्थी विकास, प्रोफेसर, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट
विद्यार्थी विकास, प्रोफेसर, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट

'जल्द ही खुदा बख्श लाइब्रेरी के डायरेक्टर से मुलाकात करूंगा. इसके लिए रास्ता निकालने की प्रयास होगी. मैं मां के श्राद्ध कार्य में लगा हूं. पूरा होने के बाद इस मामले को जरूर सुलझाऊंगा.' -नितिन नवीन, मंत्री, पथ निर्माण विभाग

नितिन नवीन, मंत्री, पथ निर्माण विभाग
नितिन नवीन, मंत्री, पथ निर्माण विभाग
पुस्तकालय की किताबें
पुस्तकालय की किताबें

क्यों जरूरी है कर्जन रीडिंग रूम
1891 में जब खुदा बख्श लाइब्रेरी को खोला गया था, तब लाइब्रेरी अपनी तरह की पहली लाइब्रेरी थी. जिसमें आम लोग जा सकते थे. करीब 12 साल बाद भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन पटना में गंगा किनारे स्थित इस लाइब्रेरी का दौरा करने पहुंचे. उन्होंने इसमें संग्रहित पांडुलिपियों को देखा. वे इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने धन उपलब्ध कर इसका विकास करवाया. आभार जताने के लिए लाइब्रेरी की तरफ से 1905 में कर्जन रीडिंग हॉल की स्थापना की गई. तब से इस रीडिंग हॉल में हमेशा चहल-पहल रहता है. यहां दुनियाभर के छात्र, विद्वान और शोधकर्ता आते हैं.

अहम है खुदा बख्श लाइब्रेरी
अहम है खुदा बख्श लाइब्रेरी

जानें, अपने धरोहर खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी को
लाइब्रेरी को 1891 में खान बहादुर मौलवी खुदा बख्श ने जनता के लिए खोला था. इससे पहले ही इसकी स्थापना हो गई थी. खुदा बख्श को अपने पिता से 1,400 पांडुलिपियां विरासत में मिली थीं. उन्होंने इन पांडुलिपियों के अलावा अन्य को जुटाने के लिए अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा उपमहाद्वीप की यात्रा में गुजार दिया. उन्होंने लगभग 4000 पांडुलिपियां एकत्र कर ली थीं. तब इसे एक ट्रस्ट के जरिये लोगों को समर्पित कर दिया गया.

पुस्तकालय की किताबों और पाडुलिपियों का संग्रहण
पुस्तकालय की किताबों और पाडुलिपियों का संग्रहण

यह पुस्‍तकालय पूर्व विरासत का एक अद्वितीय कोष है, जिसे कागज़, ताड़-पत्र, मृग चर्म,कपड़े और विविध सामग्रियों पर लिखित पांडुलिपियों के रूप में परिरक्षित किया गया है. साथ ही इसका स्‍वरूप आधुनिक है, जिसमें कुछेक जर्मन, फ्रेंच, पंजाबी, जापानी व रूसी पुस्‍तकों के अलावा अरबी, फारसी, उर्दू, अंग्रेजी और हिंदी में मुद्रित पुस्‍तकें भी रखी गई हैं.

अब यह डिजिटल पुस्‍तकालय के रूप में विकसित हो रहा है, जिसमें पुस्‍तकालय के भीतर डिजिटल प्रारूप में उपलब्‍ध 21000 से अधिक पांडुलिपियां मौजूद हैं.

1969 में भारत सरकार ने संसद में पारित एक विधेयक के जरिये खुदा बख्श लाइब्रेरी को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के तौर पर मान्यता दी. यह केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की तरफ से वित्त पोषित है.

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खुदा बख्श लाइब्रेरी के साथ कई संस्थान
एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों के साथ कई संस्थान भी एलिवेटेड रोड का विरोध करने लगी है. सीपीआई एमएलए की तरफ से भी विरोध किया जा रहा है. इंटक ने भी विरोध किया है और ऐतिहासिक धरोहर बचाने के लिए लगातार खुदा बख्श लाइब्रेरी के सपोर्ट में संस्थान आ रहे हैं. हालांकि सरकार की तरफ से अभी तक इसको लेकर कुछ भी साफ नहीं किया गया है. लेकिन पथ निर्माण विभाग ने सफाई में कहा है कि एलिवेटेड रोड पीएमसीएच के लिए बहुत जरूरी है. जहां तक बात है कि लाइब्रेरी के कुछ हिस्से तोड़ने की तो इससे लाइब्रेरी के मुख्य बिल्डिंग को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा. ऐसे में देखना है कि खुदा बख्श लाइब्रेरी के विरोध के बाद अब सरकार का क्या रुख होता है. क्योंकि एलिवेटेड रोड भी जरूरी है और खुदा बख्श लाइब्रेरी जैसे हेरिटेज को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे, इसका भी ध्यान रखना जरूरी है.

एलिवेटेड रोड का जारी हुआ वीडियो

पथ निर्माण विभाग ने जारी किया वीडियो
पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने कारगिल चौक से एनआईटी तक बनने वाले डबल डेकर एलिवेटेड रोड नक्शा का एनिमेटेड वीडियो जारी किया है. खुदा बख्श लाइब्रेरी की ओर से हो रहे विरोध पर प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से सफाई दी है. जानकारी देने की कोशिश की है कि खुदा बख्श लाइब्रेरी का मुख्य बिल्डिंग और नया बिल्डिंग पर किसी तरह का कोई असर नहीं पड़ने वाला है. पथ निर्माण विभाग ने यह भी कहा है कि कर्जन रीडिंग रूम का एक हिस्सा एलिवेटेड रोड में लिया जा रहा है लेकिन उसके स्थान पर विभाग सरकारी खर्चे पर अलग से हॉल बनाने वाला है. साथ ही यह एलिवेटेड रोड 5000 बेड के बनने वाले पीएमसीएच के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है.

देखें और समझें, कहां से बनेगी सड़क
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