पटना: बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) में रोजगार (Employment) बड़ा मुद्दा बना था. तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के 10 लाख नौकरी के जवाब में तब बीजेपी ने 19 लाख रोजगार देने का वायदा कर दिया. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अगुवाई में सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट में 20 लाख रोजगार देने की स्वीकृति भी दे दी गई. अब जब चुनाव को 7 महीने से ज्यादा वक्त हो गया है, विपक्ष सरकार की मंशा पर सवाल उठाने लगा है.
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20 लाख रोजगार पर मुहर
सीएम नीतीश कुमार ने एनडीए के चुनावी वादे को निभाने की दिशा में पहली कोशिश कैबिनेट की पहली बैठक में की. कैबिनेट से अगले 5 वर्षों में 20 लाख रोजगार देने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई. इसके साथ ही कई घोषणाएं भी की गई है और उस पर काम भी शुरू है.
उद्यमी योजना की शुरुआत
हाल में ही नीतीश कुमार ने उद्यमी योजना की शुरुआत की है. महिला उद्यमी के साथ युवा उद्यमी योजना के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की तैयारी की गई है. 10 लाख रुपए इसके लिए मदद की जाएगी. जिसमें सिर्फ 5 लाख अनुदान होगा और 5 लाख पर ब्याज नहीं देना होगा.
योजनाओं के लिए आवेदन और राशि
हाल में मुख्यमंत्री ने युवा और महिला उद्यमी योजना की शुरुआत की है. इसके लिए अबतक 50 हजार से अधिक आवेदन आ चुके हैं. इस योजना के लिए 800 करोड़ रुपए स्वीकृत किया गया है. मुख्यमंत्री एससी-एसटी उद्यमी योजना के लिए 9500 आवेदन मिले हैं और 200 करोड़ राशि स्वीकृत हैं. मुख्यमंत्री अत्यंत पिछड़ा उद्यमी योजना के लिए 12450 आवेदन मिले हैं और 200 करोड़ राशि स्वीकृत हैं. वहीं, मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना के लिए 6500 आवेदन मिले हैं और 200 करोड़ राशि स्वीकृत हैं. इसके अलावे मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के लिए 22400 आवेदन आए हैं. जबकि इसके लिए 200 करोड़ राशि स्वीकृत है.
विभागों में नियक्ति प्रक्रिया
इसके अलावा शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, पथ निर्माण विभाग सहित कई विभागों में नियुक्ति भी शुरू हो रही है. बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में यह घोषणा भी हुई कि सवा लाख शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया चल रही है. इसके अलावे स्वास्थ्य विभाग में 30 हजार नई नियुक्तियों की प्रक्रिया चल रही है. जिन प्रमुख विभागों में नौकरी देने की तैयारी चल रही है, उनमें-
- शिक्षा विभाग में सवा लाख नौकरी
- स्वास्थ्य विभाग में 30,000 नौकरी
- उद्योग विभाग, पथ निर्माण विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, जल संसाधन और भवन निर्माण सहित कई विभाग शामिल हैं.
रोजगार बड़ी चुनौती
इन कोशिशों के बावजूद अभी भी रोजगार से जुड़ी योजनाओं को जमीन पर उतारना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है. आर्थिक विशेषज्ञ डॉ. विद्यार्थी विकास का कहना है कि रोजगार को लेकर सरकार को एक ब्लू प्रिंट तैयार करना चाहिए. किस सेक्टर में कितना रोजगार सरकार देगी. सरकारी क्षेत्र में कितना रोजगार देगी और स्वरोजगार कितना होगा, उसे तैयार करना चाहिए.
चुनावी वादा जरूर निभाएंगे
हालांकि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे का कहते हैं कि हम लोगों ने जो वादा किया है, उस पर तेजी से काम हो रहा है. अभी दारोगा बहाली का रिजल्ट निकला है. शिक्षक की बहाली हो रही है और स्वास्थ्य विभाग में भी बहाली चल रही है. इसके साथ कई विभागों में नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है.
रोजगार पर सरकार अग्रेसिव
वहीं, जेडीयू अल्पसंख्यक मोर्चा की अध्यक्ष अंजुम आरा का कहना है कि नीतीश कुमार जो वादा करते हैं, उसे पूरा करते रहे हैं. इस बार भी रोजगार के मुद्दे पर सरकार काफी अग्रेसिव है, उद्यमी योजना उसका उदाहरण है. सात निश्चय पार्ट-2 हमारा कमिटमेंट है और उसमें रोजगार भी शामिल है.
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महिला सशक्तिकरण पर जोर
सरकार का दावा है कि आर्थिक मोर्चे पर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी तेजी से काम हो रहा है. इसके तहत पुलिस में महिलाओं का कोटा 35 फीसदी, प्राथमिक शिक्षकों के लिए महिलाओं का कोटा 50 फीसदी, सामान्य नौकरी में महिलाओं का कोटा 35 फीसदी, माध्यमिक उच्च माध्यमिक में महिलाओं का कोटा 35 फीसदी तय कर दिया गया है.
'मोदी-नीतीश झूठे वादों में माहिर'
सत्ता पक्ष के दावों से इतर विपक्ष सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहा है. कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर कहते हैं कि वादा तो नरेंद्र मोदी की सरकार ने भी दो करोड़ रोजगार देने का किया था, लोगों को रोजगार मिला क्या?
कैसे दूर होगी बेरोजगारी?
वहीं, आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि तेजस्वी यादव ने वादा किया था कि सरकार बनते ही पहली कैबिनेट में 10 लाख सरकारी नौकरी लोगों को देंगे, लेकिन सरकार तो एनडीए की बन गई. अब बेरोजगारी कैसे दूर होगी, इसके बारे में सत्ता पक्ष के लोग कुछ भी नहीं बता रहे हैं.
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बेरोजगारी चुनाव का बड़ा मुद्दा
बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान नेता प्रतिपक्ष ने रोजगार को सबसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की थी. जिसका पहले चरण में काफी फायदा भी हुआ, लेकिन दूसरे और तीसरे चरण में बाकी मुद्दे हावी होते गए. बहरहाल उस चुनाव में आरजेडी 75 सीट लाकर सबसे बड़ी पार्टी बनी. वहीं दूसरे स्थान पर बीजेपी को 74 सीटें मिलीं. जबकि नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू 43 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी.