पटना: 1 फरवरी को केंद्रीय बजट आने वाला है. महामारी के चलते देश में आर्थिक संकट गहरा गया है. इस बार के केंद्रीय बजट में आम जनता के लिए क्या कुछ होगा इस पर सबकी निगाहें हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार के बजट में भी आम जनता के लिए कुछ खास नहीं होगा. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जिस तरह से लॉकडाउन के दौरान 20 लाख करोड़ के पैकेज हवा-हवाई निकला, बजट भी ऐसा ही हो.
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इस सरकार से कोई उम्मीद नहीं- प्रेम कुमार मनी
राजनीतिक विश्लेषक प्रेम कुमार मनी कहते हैं कि बजट आम आदमी से जुड़ा हो. अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिले. लेकिन केंद्र की वर्तमान सरकार से ऐसी कोई बजट की उम्मीद नहीं है. जिस तरह से देश के किसान और मजदूर वर्ग को लेकर सरकार ने अपना नजरिया पेश किया है. लेकिन उनकी मंशा से साफ जाहिर है कि उनसे कोई उम्मीद रखना बेमानी साबित होगी.केंद्र की वर्तमान सरकार चंद पूंजीपतियों के लिए काम कर रही है उन्हें देश की आम जनता का कोई फिक्र नहीं.
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निर्मला सीतारमण को लिए बजट पेश करना चुनौतियों भरा होगा- प्रोफेसर, डीएम दिवाकर
वहीं, आर्थिक मामलों के जानकार और अनुग्रह नारायण सिन्हा शोध संस्थान के सदस्य प्रोफ़ेसर डी एम दिवाकर ने कहा कि इस बार केन्द्रीय बजट पेश करना सरकार के लिए चुनौतियों से भरा होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए यह चुनौती भरा होगा. जिस तरह से देश की अर्थव्यवस्था लगातार गिरते हुए रसातल में पहुंच गई है. उसे वापस पटरी पर लाना सरकार के लिए काफी मुश्किल काम दिखता है.
'वर्तमान में देश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा कर्ज लेने या सरकार के उपक्रम बेचने के अलावा कोई रास्ता नहीं दिखता है. लेकिन पिछले दिनों सरकारी उपक्रम को बेचने में भी सरकार सफल नहीं दिखी है. एक ओर जहां देश की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है. तो वहीं दूसरी ओर कई उद्योगपतियों की कमाई में 35% का इजाफा देखने को मिल रहा है. सरकार के बजट में सभी लोगों पर ध्यान देने की जरूरत है'. - प्रोफेसर, डीएम दिवाकर