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गांधी मैदान ब्लास्ट मामला: जितनी सजा मिली, उससे ज्यादा वक्त से जेल में बंद है दोषी, कोर्ट में लगाई अर्जी - Blast convict spent more time in jail than sentence

पटना के गांधी मैदान में हुए ब्लास्ट मामले में सभी नौ दोषियों को कोर्ट ने सजा सुना दी है. वहीं सजा के ऐलान के बाद एक दोषी ने कोर्ट में आवेदन दाखिल किया है कि उसने सजा से ज्यादा समय जेल में गुजार लिया है. पढ़ें पूरी खबर.

गांधी मैदान ब्लास्ट के एक दोषी ने कोर्ट में लगाई अर्जी
गांधी मैदान ब्लास्ट के एक दोषी ने कोर्ट में लगाई अर्जी
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Published : Nov 3, 2021, 2:03 PM IST

Updated : Nov 3, 2021, 3:09 PM IST

पटना: राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में 27 अक्टूबर 2013 को हुंकार रैली के दौरान बम ब्लास्ट (Gandhi Maidan Bomb Blast Case) मामले में सभी 9 दोषियों को सजा मुकर्रर कर दी गई है. एनआईए की विशेष अदालत (NIA Special Court) ने ब्लास्ट मामले में चार आतंकियों को फांसी की सजा, दो को उम्रकैद, दो को 10-10 साल की सजा और एक आतंकी इफ्तेखार आलम को सात वर्ष की सजा सुनाई है.

ये भी पढ़ें:गांधी मैदान धमाका केस: 4 दोषियों को फांसी, 2 को आजीवन कारावास, 2 को 10-10 साल, 1 को 7 साल की जेल

कोर्ट से सजा का ऐलान होने के बाद एक दोषी इफ्तेखार आलम ने विशेष अदालत में आवेदन दाखिल किया है कि उसे सात वर्षों की सजा हुई है जबकि उसने सजा से अधिक दिनों से जेल में बंद है. लेकिन इसके बाद भी जेल के अधिकारी की ओर से उसे मुक्त नहीं किया गया है. बता दें कि एनआईए कोर्ट ने इस्तेखार आलम को साक्ष्य छुपाने के आरोप में 7 साल की कैद और दस हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है. जबकि दोषी 7 साल 1 माह न्यायिक हिरासत में बेऊर जेल में समय गुजर चुका है. ऐसे में उसके जेल से रिहा होने का रास्ता साफ दिख रहा है.

दोषी इफ्तिखार आलम पर आरोप था कि उसने मृत आतंकी तारीख के घर छापेमारी करने से पहले विस्फोटक पदार्थ को हटा दिया था. वहीं दोषी ठहराए गए अहमद हुसैन और फिरोज आलम को विस्फोटक अधिनियम के तहत 10-10 साल की कारावास और दस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है. इनकी गिरफ्तारी 2014 में की गई थी. तभी से यह दोनों न्यायिक हिरासत में जेल में सजा काट रहे हैं.

ऐसे में यह दोनों भी 7 साल जेल में बिता चुके हैं और 3 साल बाद ये दोनों भी जेल से रिहा हो सकते हैं. पटना हाई कोर्ट के सीनियर सरकारी वकील ललित किशोर की माने तो अमूमन ऐसा देखा जाता है कि न्यायालय द्वारा दी गई सजा से ज्यादा अगर कोई दोषी सजा काट चुका है तो उसे रिलीज किया जाता है. इस मामले में भी उम्मीद जताई जा रही है कि न्यायालय ऐसा ही कुछ निर्णय ले सकती है.

गांधी मैदान बम ब्लास्ट के दोषी इफ्तेखार आलम 11 जून 2014 से इस मामले में जेल में बंद है. जबकि न्यायालय द्वारा उसे 7 वर्षों की कैद और दस हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई गई है. जुर्माना की राशि अदा नहीं करने पर एक महीने की अलग से सजा भुगतने का आदेश दिया गया है. दरअसल जुर्माना की राशि अदा नहीं करने पर एक महीने की अलग से सजा भुगततान का आदेश न्यायालय द्वारा दिया गया है. जबकि दोषी सजा से ज्यादा कारावास में गुजार चुका है.

ये भी पढ़ें:गांधी मैदान ब्लास्ट : आईपीएस विकास वैभव से जानें, 2013 में कैसे पकड़े गए थे दोषी

अब दोषी के द्वारा अदालत से इस संबंध में उचित आदेश पारित किए जाने की प्रार्थना की गई है. वहीं मिल रही जानकारी के अनुसार गांधी मैदान बम ब्लास्ट मामले में फांसी की सजा पाने वाले दोषियों के परिजन कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. दोषियों के परिजनों द्वारा अब हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाने का मन बनाया जा रहा है. कुछ दोषियों के परिजनों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट भी जाना पड़े तो वह इससे परहेज नहीं करेंगे.

पटना: राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में 27 अक्टूबर 2013 को हुंकार रैली के दौरान बम ब्लास्ट (Gandhi Maidan Bomb Blast Case) मामले में सभी 9 दोषियों को सजा मुकर्रर कर दी गई है. एनआईए की विशेष अदालत (NIA Special Court) ने ब्लास्ट मामले में चार आतंकियों को फांसी की सजा, दो को उम्रकैद, दो को 10-10 साल की सजा और एक आतंकी इफ्तेखार आलम को सात वर्ष की सजा सुनाई है.

ये भी पढ़ें:गांधी मैदान धमाका केस: 4 दोषियों को फांसी, 2 को आजीवन कारावास, 2 को 10-10 साल, 1 को 7 साल की जेल

कोर्ट से सजा का ऐलान होने के बाद एक दोषी इफ्तेखार आलम ने विशेष अदालत में आवेदन दाखिल किया है कि उसे सात वर्षों की सजा हुई है जबकि उसने सजा से अधिक दिनों से जेल में बंद है. लेकिन इसके बाद भी जेल के अधिकारी की ओर से उसे मुक्त नहीं किया गया है. बता दें कि एनआईए कोर्ट ने इस्तेखार आलम को साक्ष्य छुपाने के आरोप में 7 साल की कैद और दस हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है. जबकि दोषी 7 साल 1 माह न्यायिक हिरासत में बेऊर जेल में समय गुजर चुका है. ऐसे में उसके जेल से रिहा होने का रास्ता साफ दिख रहा है.

दोषी इफ्तिखार आलम पर आरोप था कि उसने मृत आतंकी तारीख के घर छापेमारी करने से पहले विस्फोटक पदार्थ को हटा दिया था. वहीं दोषी ठहराए गए अहमद हुसैन और फिरोज आलम को विस्फोटक अधिनियम के तहत 10-10 साल की कारावास और दस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है. इनकी गिरफ्तारी 2014 में की गई थी. तभी से यह दोनों न्यायिक हिरासत में जेल में सजा काट रहे हैं.

ऐसे में यह दोनों भी 7 साल जेल में बिता चुके हैं और 3 साल बाद ये दोनों भी जेल से रिहा हो सकते हैं. पटना हाई कोर्ट के सीनियर सरकारी वकील ललित किशोर की माने तो अमूमन ऐसा देखा जाता है कि न्यायालय द्वारा दी गई सजा से ज्यादा अगर कोई दोषी सजा काट चुका है तो उसे रिलीज किया जाता है. इस मामले में भी उम्मीद जताई जा रही है कि न्यायालय ऐसा ही कुछ निर्णय ले सकती है.

गांधी मैदान बम ब्लास्ट के दोषी इफ्तेखार आलम 11 जून 2014 से इस मामले में जेल में बंद है. जबकि न्यायालय द्वारा उसे 7 वर्षों की कैद और दस हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई गई है. जुर्माना की राशि अदा नहीं करने पर एक महीने की अलग से सजा भुगतने का आदेश दिया गया है. दरअसल जुर्माना की राशि अदा नहीं करने पर एक महीने की अलग से सजा भुगततान का आदेश न्यायालय द्वारा दिया गया है. जबकि दोषी सजा से ज्यादा कारावास में गुजार चुका है.

ये भी पढ़ें:गांधी मैदान ब्लास्ट : आईपीएस विकास वैभव से जानें, 2013 में कैसे पकड़े गए थे दोषी

अब दोषी के द्वारा अदालत से इस संबंध में उचित आदेश पारित किए जाने की प्रार्थना की गई है. वहीं मिल रही जानकारी के अनुसार गांधी मैदान बम ब्लास्ट मामले में फांसी की सजा पाने वाले दोषियों के परिजन कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. दोषियों के परिजनों द्वारा अब हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाने का मन बनाया जा रहा है. कुछ दोषियों के परिजनों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट भी जाना पड़े तो वह इससे परहेज नहीं करेंगे.

Last Updated : Nov 3, 2021, 3:09 PM IST
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