पटना: आजादी के 7 दशक बीतने के बाद भी महिलाओं की हालत जस की तस है. सरकार भले ही महिला सशक्तिकरण को लेकर कई दावे कर ले. लेकिन जब बात राजनीति की आती है, तो महिलाओं की भागीदारी के नाम पर सभी दलों के कदम ठिठक जाते हैं.
आगामी लोकसभा चुनाव में बिहार से 10 % से भी कम महिला सांसद हैं. मुंगेर से वीणा देवी, शिवहर से रामादेवी और सुपौल से रंजीत रंजन बिहार का नेतृत्व कर रही हैं. इस बार वीणा देवी चुनाव नहीं लड़ रही है. हालांकि लोजपा ने वैशाली से महिला उम्मीदवार को उतार इसकी भरपाई की है.
महिलाओं को नहीं मिल रही राजनीति में जगह
गौरतलब है कि संसद में महिला आरक्षण को लेकर कई बार आवाज उठाई गई. समय-समय पर विपक्ष इसके समर्थन में अपनी आवाज बुलंद जरूर करते रहे हैं. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इस मामले पर राजनीतिक दलों ने चुप्पी साध ली है.
कोई भी महिला उम्मीदवार को नहीं मिली टिकट
वर्तमान में कोई भी महिला उम्मीदवार अपने दम पर टिकट लेने में कामयाब नहीं है. सवाल यह है कि आखिर सामान्य महिला कार्यकर्ता को कोई भी राजनीतिक पार्टी टिकट देने से क्यों बच रही है.