पटना: बिहार में छठे चरण के प्राथमिक शिक्षक नियोजन (Primary Teacher Recruitment) में अभ्यर्थियों की लाख कोशिशों के बावजूद ना तो काउंसलिंग (Counseling) हो रही है. ना ही नियुक्ति पत्र को लेकर कोई गतिविधि आगे बढ़ पा रही है. शिक्षक अभ्यर्थी सरकार से बार-बार नियुक्ति प्रक्रिया जल्द पूरी करने की मांग कर रहे हैं. दूसरी तरफ सरकार फर्जीवाड़े को लेकर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है. इधर, विपक्ष ने भी शिक्षक नियोजन (Bihar Shikshak Niyojan) में देरी को लेकर सरकार पर हमला बोला है.
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छठे चरण के प्राथमिक शिक्षक नियोजन में 90 हजार से ज्यादा पदों पर शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया वर्ष 2019 में शुरू हुई थी. कई बार कोर्ट में मामला जाने के बाद आखिरकार इस वर्ष जुलाई महीने से काउंसलिंग शुरू हो पाई.
'शिक्षा मंत्री बार-बार झूठ बोल रहे हैं. विपक्ष का आरोप है कि 15 अगस्त तक सभी शिक्षक अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने की घोषणा शिक्षा मंत्री ने की थी. लाखों की संख्या में बिहार के स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं. यह बात खुद सरकार स्वीकार करती है. जाहिर तौर पर इससे सरकारी स्कूलों में पढ़ाई पर बड़ा असर पड़ रहा है. लेकिन शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया सरकार ने अटका रखी है. अभ्यर्थियों की काउंसलिंग में देरी हो रही है और उन्हें नियुक्ति पत्र देने में भी सरकार आनाकानी कर रही है.' -चितरंजन गगन, प्रदेश प्रवक्ता, राजद
'सरकार की मंशा क्या है, यह समझ में नहीं आ रहा है. आखिर सरकार अभ्यर्थियों का ओरिजिनल सर्टिफिकेट लेकर कितने दिन तक जांच के नाम पर उन्हें अपने पास रख सकती है. सरकार को चाहिए कि वह जल्द से जल्द काउंसलिंग की प्रक्रिया पूरी कराए और इस दौरान जिन शिक्षकों का चयन हो चुका है, उनके सर्टिफिकेट की जांच अविलंब कराते हुए चयनित शिक्षकों को नियुक्ति दे दी जाए.' -पप्पू कुमार, शिक्षक अभ्यर्थी
शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक बक्सर में एक सौ से ज्यादा, नालंदा में दो दर्जन से ज्यादा चयनित अभ्यर्थियों के टेट/सीटेट सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए हैं. इसके अलावा सासाराम और बांका समेत कई जिलों में बड़ी संख्या में चयनित अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए हैं. जिसने शिक्षा विभाग को सोचने पर मजबूर कर दिया है.
अधिकारियों के मुताबिक स्थानीय स्तर पर मिलीभगत के बिना इतने बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा नहीं हो सकता है. इसलिए सरकार कदम फूंक-फूंक कर रख रही है. लेकिन मजे की बात यह है कि फर्जीवाड़ा मिलने के बावजूद अब तक किसी नियोजन इकाई के खिलाफ मामला दर्ज होने की जानकारी शिक्षा विभाग ने नहीं दी है.
जबकि यह तय है कि बिना नियोजन इकाई के सदस्यों की मिलीभगत के फर्जी सर्टिफिकेट पर बहाली नहीं हो सकती. शिक्षा विभाग की तरफ से पहले यह निर्देश भी जारी हुआ था कि चयन प्रक्रिया के दौरान ही काउंसलिंग में उपस्थित अधिकारी अभ्यर्थियों के टीईटी और सीटीईटी सर्टिफिकेट की ऑनलाइन जांच करेंगे. लेकिन उस पर अमल नहीं होने के कारण यह तमाम गड़बड़ियां अब उजागर हो रही हैं.
अब देखना है कि शिक्षा विभाग अगले राउंड की काउंसलिंग को लेकर क्या फैसला करता है. क्योंकि अब बाढ़ का समय समाप्त है और शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों से पूछा है कि वे अपने जिले में काउंसलिंग कब करा सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक पंचायत चुनाव को लेकर भी काउंसलिंग में परेशानी हो सकती है. क्योंकि तमाम पदाधिकारी और कर्मचारी चुनाव कार्यों में व्यस्त हैं.
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