पटना: झारखंड के देवघर के त्रिकूट पर्वत रोपवे हादसा (deoghar ropeway accident) के बाद उसमें फंसे पर्यटकों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. इस घटना पर गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ( nityanand rai statement on deoghar ropeway accident ) ने कहा कि देवघर में रोपवे की दुर्घटना बहुत ही दुखद है. एनडीआरएफ, एयरफोर्स की टीम, आईटीबीपी की टीम लगातार अपने प्रयास से लोगों को सुरक्षित निकाली है. शेष जो बचे हैं उनको निकालने में टीम लगी है. स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर केंद्र की सारी एजेंसियां लोगों को सुरक्षित निकालने में लगी है.
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नित्यानंद ने देवघर की घटना को बताया दुखद: नित्यानंद राय ने कहा कि जो लोग ऊपर थे उनको दवा पहुंचाना, भोजन पहुंचाना से लेकर जो सुविधाएं उन्हें दी जा सकती हैं, सारी सुविधाएं मुहैया करायी गयी हैं. लेकिन वहां की जो भौगोलिक बनावट है, उस हिसाब से एनडीआरएफ, एयरफोर्स, आईटीबीपी और स्थानीय प्रशासन ने बहुत ही अच्छे ढंग से प्रयत्न किया है. देश के जांबाजों ने अपनी बहादुरी और साहस का परिचय देकर लोगों की जान को बचाया है.
किस हाल में हैं ट्रालियों में फंसे पर्यटक:अभी भी चार ट्रालियों में कुल 14 पर्यटक फंसे हुए हैं. सभी 10 अप्रैल की शाम से ही फंसे हुए हैं. अब सवाल है कि उन लोगों को पानी या किसी तरह के नाश्ता की व्यवस्था हो पाई है या नहीं. देवघर के जिलाधिकारी मंजूनाथ भजंत्री ने बताया कि रेस्क्यू के दौरान ही एयर फोर्स की टीम ट्रॉलियों में फंसे पर्यटकों को पानी और नाश्ता मुहैया कराती रही है. उन्होंने कहा कि हालांकि 11 अप्रैल की शाम तक सभी पर्यटकों को निकालने का टारगेट रखा गया था, जो संभव नहीं हो पाया. उन्होंने कहा कि पहाड़ की भौगोलिक बनावट ऐसी है कि रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने में बहुत परेशानी हो रही है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि 12 अप्रैल की सुबह ऑपरेशन शुरू होने के कुछ घंटे के भीतर ही शेष सभी पर्यटकों को सकुशल रेस्क्यू कर लिया जाएगा.
हादसा कब और कैसे हुआः 10 अप्रैल को रामनवमी के दिन बड़ी संख्या में लोग रोपवे के सहारे त्रिकूट पर्वत का भ्रमण करने पहुंचे थे. इसी बीच शाम के वक्त त्रिकुट पर्वत के टॉप प्लेटफार्म पर रोपवे का एक्सेल टूट गया. इसकी वजह से रोपवे ढीला पड़ गया और सभी 24 ट्रॉली का मूवमेंट रुक गया. रोपवे के ढीला पड़ने की वजह से दो ट्रोलिया या तो आपस में या चट्टान से टकरा गई. जिसकी वजह से एक महिला पर्यटक की मौत हो गई.
कब स्थापित हुआ था रोपवे सिस्टमः त्रिकूट पर्वत पर रोपवे सिस्टम की स्थापना साल 2009 में हुई थी. यह झारखंड का इकलौता और सबसे अनोखा रोपवे सिस्टम है. जमीन से पहाड़ी पर जाने के लिए 760 मीटर का सफर रोपवे के जरिए महज 5 से 10 मिनट में पूरा किया जाता है. कुल 24 ट्रालिया हैं. एक ट्रॉली में ज्यादा से ज्यादा 4 लोग बैठ सकते हैं. एक सीट के लिए 150रु देने पड़ते हैं और एक केबिन बुक करने पर 500 रु लगता है. इसकी देखरेख दामोदर रोपवेज एंड इंफ्रा लिमिटेड, कोलकाता की कंपनी करती है. यही कंपनी फिलहाल वैष्णो देवी,हीराकुंड और चित्रकूट में रोपवे का संचालन कर रही है. कंपनी के जनरल मैनेजर कमर्शियल महेश मोहता ने बताया कि कंपनी भी अपने स्तर से पूरे मामले की जांच कर रही है.
क्या है त्रिकूट पर्वतः झारखंड के देवघर जिला को दो वजहों से जाना जाता है. एक है रावणेश्वर ज्योतिर्लिंग और दूसरा त्रिकूट पर्वत पर बना रोपवे सिस्टम. इस पर्वत से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं हैं. कहा जाता है कि रामायण काल में रावण भी इस जगह पर रुका करते थे. इसी पर्वत पर बैठकर रावण रावणेश्वर ज्योतिर्लिंग को आरती दिखाया करते थे. इस पर्वत पर शंकर भगवान का मंदिर भी है. जहां नियमित रूप से पूजा भी की जाती है. इस रोपवे सिस्टम की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की रोजी-रोटी चल रही है.
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