पटना: नीतीश सरकार (Nitish Government) बिहार में तीन विश्वविद्यालय (Three Universities) बनाने जा रही है. मेडिकल, इंजीनियरिंग और खेल विश्वविद्यालय की पूरी तैयारी हो गई है. मानसून सत्र (Monsoon Session) में उसको लेकर विधेयक लाया जाएगा और उसकी तैयारी चल रही है. इन विश्वविद्यालयों में सबसे खास बात होगी कि इनमें छात्राओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित रहेगी. देश में अपने तरह का यह पहला प्रयोग होगा.
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विशेषज्ञ सरकार के प्रयास की तारीफ कर रहे हैं, लेकिन यह भी कह रहे हैं कि पहले से विश्वविद्यालय बिहार में है, उनकी स्थिति बहुत बेहतर नहीं है. विश्वविद्यालय का मकसद अधिक से अधिक रिसर्च होता है, सरकार को उस तरफ भी ध्यान रखना होगा. प्रदेश में खेल विश्वविद्यालय लाकर सरकार ने बड़ी पहल जरूर की है.
बिहार में उच्च शिक्षा में महिलाओं का प्रतिशत अभी भी काफी कम है. राष्ट्रीय औसत से भी बिहार काफी पीछे है और तकनीकी शिक्षा में तो और भी पीछे है. इसी को ध्यान में रखते हुए नीतीश सरकार ने इंजीनियरिंग, मेडिकल और खेल विश्वविद्यालय में एक तिहाई सीटें छात्राओं के लिए रिजर्व रखी हैं. विश्वविद्यालय के लिये विधेयक इस बार मानसून सत्र में लाया जाएगा.
बिहार में 38 जिलों में इंजीनियरिंग कॉलेज है और सभी कॉलेजों को इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय के अंतर्गत लाया जाएगा. वहीं, डेढ़ दर्जन से अधिक मेडिकल कॉलेजों को मेडिकल विश्वविद्यालय के अंतर्गत रखा जाएगा. बिहार खेल के मामले में भी काफी पिछड़ा है. अधिक से अधिक खिलाड़ी बिहार में तैयार हो, उन्हें बेहतर प्रशिक्षण मिले और राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिहार का नाम रोशन कर सकें, इसी उद्देश्य से खेल विश्वविद्यालय बनाया जा रहा है. राजगीर में यह स्थापित होगा.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सात निश्चय पार्ट-2 की घोषणा की थी. बिहार विधानसभा चुनाव में उसी घोषणा पर एनडीए ने चुनाव भी लड़ा है और अब सात निश्चय पार्ट-2 के तहत ही नए विश्वविद्यालय खोले जा रहे हैं. नए मेडिकल यूनिवर्सिटी में सभी मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, पारा मेडिकल संस्थान, डेंटल साइंस के साथ आयुष के सभी मेडिकल कॉलेजों को शामिल किया जाएगा.
वहीं, नए इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी में बिहार के सभी 38 जिलों में स्थापित इंजीनियर कॉलेज और सभी निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों को भी शामिल किया जाएगा. सभी तकनीकी संस्थानों को भी इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने की तैयारी है.
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खेल विश्वविद्यालय में सभी खेलों के विकास को लेकर रणनीति तैयार की जाएगी. प्रशिक्षण पर विशेष जोर होगा. प्रशिक्षण के लिए सभी जिलों में संस्थान खोले जाएंगे और विश्वविद्यालय के अंतर्गत उन्हें लाया जाएगा. विश्वविद्यालय से सभी खेलों को जोड़ा जाएगा.
ए एन सिन्हा शोध संस्थान के प्रोफेसर विद्यार्थी विकास का कहना है कि मेडिकल, इंजीनियरिंग और खेल विश्वविद्यालय अच्छी सोच है, लेकिन सरकार को यह भी देखना होगा कि पहले से जो बिहार में विश्वविद्यालय हैं उसकी स्थिति बहुत बेहतर नहीं है.
''बिहार में विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की काफी कमी है और शोध भी कम होते हैं. विश्वविद्यालय का काम अधिक से अधिक शोध करना होता है. नए विश्वविद्यालयों में इन सब पर ध्यान देने की जरूरत होगी. खेल विश्वविद्यालय से निश्चित रूप से बिहार की तस्वीर बदल सकती है, क्योंकि बिहार में प्रतिभा की कमी नहीं है. देश में जहां भी खेल विश्वविद्यालय है, उन राज्यों की स्थिति खेल में बेहतर है.''- डॉ. विद्यार्थी विकास, प्रो. ए एन सिन्हा, शोध संस्थान
''ये नीतीश कुमार की दूरगामी सोच है. मैं तो खुद स्पोर्ट्समैन रहा हूं और एक खिलाड़ी के लिए यह विश्वविद्यालय कितना जरूरी होगा मैं समझ सकता हूं. विश्वविद्यालय होने से कई तरह की ट्रेनिंग के कार्यक्रम चलेंगे, बेहतर प्रशिक्षण मिलेगा और हर तरह के खेल संभव हो सकेंगे. बिहार के बच्चों को बाहर नहीं जाना होगा. इसी तरह मेडिकल और इंजीनियरिंग के मामले में जिन राज्यों में स्थिति बेहतर है, वहां तकनीकी संस्थान या विश्वविद्यालय के रूप में उनकी अलग से पहचान दी गई.''- प्रोफेसर रणवीर नंदन, प्रवक्ता जदयू
''हम लोग तो ऑटोनॉमस मेडिकल कॉलेज की मांग करते रहे हैं, लेकिन अलग से विश्वविद्यालय आने से भी स्थिति बेहतर होगी''- डॉ. अजय कुमार, कार्यकारी अध्यक्ष, आईएमए बिहार
जानकारी के अनुसार नए विश्वविद्यालयों के लिए हर तरह की तैयारी की जा रही है. बड़े पैमाने पर इसमें नियुक्तियां भी होगी और उसमें भी 33% सीटें महिलाओं के लिए तीनों विश्वविद्यालयों में आरक्षित रखा जाएगा. ऐसे तो मेडिकल यूनिवर्सिटी की स्थापना को लेकर पिछले डेढ़ दशक से प्रयास हो रहा है. आर्यभट्ट विश्वविद्यालय का गठन भी किया गया लेकिन पूरी तरह सफल नहीं हुआ.
नीतीश सरकार को कई तरह की समस्याओं से सामना भी करना पड़ा, लेकिन नए विश्वविद्यालय में उस तरह की परेशानी ना हो इसकी कोशिश हो रही है. मेडिकल विश्वविद्यालय की स्थापना आर्यभट्ट विश्वविद्यालय परिसर में ही फिलहाल होगी.
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इसी तरह इंजीनियरिंग की शिक्षा लेने बड़ी संख्या में छात्र बाहर जाते हैं, इसी सोच को ध्यान में रखते हुए सभी जिलों में इंजीनियरिंग और अन्य तकनीकी संस्थान और कॉलेज खोले गए हैं और बड़ी संख्या में प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज की भी स्थापना हो रही है, सभी को एक जगह करने का प्रयास सरकार की तरफ से हो रहा है. खेल विश्वविद्यालय को भी युवाओं को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है. बिहार में फिलहाल नया प्रयोग है, देखना है इसमें नीतीश सरकार कितना सफल हो पाती है.