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पटना: नौ महीने की बच्ची के पेट से निकला दो किलो का भ्रूण - news of bihar

पटना में एक सफल ऑपरेशन द्वारा 9 माह की बच्ची के पेट से तकरीबन 2 किलो का ट्यूमर निकाला गया. ऑपरेशन के बाद बच्ची पूरी तरह सुरक्षित है.

माता-पिता के साथ बच्ची
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Published : Aug 6, 2019, 12:22 PM IST

Updated : Aug 6, 2019, 5:34 PM IST

पटना: राजधानी के फुलवारीशरीफ स्थित एक निजी नर्सिंग होम में 9 माह की बच्ची के पेट से 2 किलो का भ्रूण निकाला गया.


डॅाक्टर ने बताया­
पटना एम्स रोड स्थित एक निजी अस्पताल के डॉक्टर शादाब ने बताया कि एक 9 माह की बच्ची के पेट से ट्यूमर की शक्ल में भ्रूण निकाला गया. जिसका वजन तकरीबन डेढ़ से दो किलो था. डॉ शादाब के मुताबिक मेडिकल टर्म में इसे फिट्स इन फिटू कहते है.


'काफी रेयर केस'
डॉक्टर ने पूरे मामले के बारे में कहा कि 5 से 10 लाख केस में कोई एक केस ऐसा होता है. जो काफी रेयर होता है. उन्होंने बताया कि यदि मां के गर्भ में ट्वीन बच्चा हो. एक बच्चा मां के यूट्रस में विकास न होकर उस दूसरे बच्चे के पेट में चला जाता है. उसे ही फिट्स इन फिटू कहते है. उन्होंने बताया कि ऐसे केस में बच्ची के पेट मे ट्रांसफर हुआ फिट्स पूरी तरह से विकास नहीं कर पाता है . बस कुछ भाग ही विकास कर पाता है. जो असामान्य विकास होता है. यह असामान्य विकास वाला भाग ही ट्यूमर का शक्ल ले लेता है. जो बाद में कैंसर का काम करने लगता है.

नौ माह की बच्ची के पेट से निकला ट्यूमर


माता-पिता हैं खुश
बच्ची के सफल ऑपरेशन से माता-पिता दोनो काफी खुश है. सफल ऑपरेशन से माता-पिता दोनो डॉ शादाब को धन्यवाद देते नही थक रहे. उनका कहना है कि कई जगह दिखाने के बाद वो थक हार कर डॉ. शादाब के पास आये थे. उन्होंने उनकी बच्ची की जान बचा ली.

पटना: राजधानी के फुलवारीशरीफ स्थित एक निजी नर्सिंग होम में 9 माह की बच्ची के पेट से 2 किलो का भ्रूण निकाला गया.


डॅाक्टर ने बताया­
पटना एम्स रोड स्थित एक निजी अस्पताल के डॉक्टर शादाब ने बताया कि एक 9 माह की बच्ची के पेट से ट्यूमर की शक्ल में भ्रूण निकाला गया. जिसका वजन तकरीबन डेढ़ से दो किलो था. डॉ शादाब के मुताबिक मेडिकल टर्म में इसे फिट्स इन फिटू कहते है.


'काफी रेयर केस'
डॉक्टर ने पूरे मामले के बारे में कहा कि 5 से 10 लाख केस में कोई एक केस ऐसा होता है. जो काफी रेयर होता है. उन्होंने बताया कि यदि मां के गर्भ में ट्वीन बच्चा हो. एक बच्चा मां के यूट्रस में विकास न होकर उस दूसरे बच्चे के पेट में चला जाता है. उसे ही फिट्स इन फिटू कहते है. उन्होंने बताया कि ऐसे केस में बच्ची के पेट मे ट्रांसफर हुआ फिट्स पूरी तरह से विकास नहीं कर पाता है . बस कुछ भाग ही विकास कर पाता है. जो असामान्य विकास होता है. यह असामान्य विकास वाला भाग ही ट्यूमर का शक्ल ले लेता है. जो बाद में कैंसर का काम करने लगता है.

नौ माह की बच्ची के पेट से निकला ट्यूमर


माता-पिता हैं खुश
बच्ची के सफल ऑपरेशन से माता-पिता दोनो काफी खुश है. सफल ऑपरेशन से माता-पिता दोनो डॉ शादाब को धन्यवाद देते नही थक रहे. उनका कहना है कि कई जगह दिखाने के बाद वो थक हार कर डॉ. शादाब के पास आये थे. उन्होंने उनकी बच्ची की जान बचा ली.

Intro:माँ के पेट के फिट्स यानी भ्रूण पलना एक आम आम बात है पर यदि 9 माह की बच्ची के पेट मे भ्रूण ये एक चौंका देने वाली ख़बर है। इसपर कोई विश्वास भी नही करेगा पर ये सच है। ये सच्चाई तब सामने आई जब पटना के फुलवारीशरीफ स्थित एक निजी नर्सिंग होम में हमारी ईटीवी भारत की टीम पहुंची।


Body:दरअसल हमारी टीम जब पटना एम्स रोड स्थित इस निजी अस्पताल में पहुंची तो यहां के डॉक्टर शादाब से पता चला कि उन्होंने एक 9 माह की बच्ची के पेट से ट्यूमर की शक्ल में भ्रूण निकाला हैं जिसका वजन तकरीबन डेढ़ से दो किलो है। डॉ शादाब के मुताबिक मेडिकल टर्म में इसे फिट्स इन फिटू कहते है। डॉ ने पूरे मामले को समझाते हुए कहा कि 5 से 10 लाख केस में कोई एक केस ऐसा होता है जो काफी रेयर होता है ,उन्होंने बताया कि यदि मां के गर्व में ट्विन बच्चा हो और एक बच्चा मां के यूट्रस में डेवलप न होकर उस दूसरे बच्चे के पेट मे ट्रांसफर हो जाता है तो उसे ही फिट्स इन फिटू कहते है। उन्होंने बताया कि ऐसे केस में बच्ची के पेट मे ट्रांसफर हुआ फिट्स पूरी तरह से इम्प्रुभ नही करता,बस कुछ पार्ट इम्प्रुभ होता है जो एब्नॉर्मल डेवलपमेंट होता है और ट्यूमर का शक्ल लेते हुए कैंसर का काम करने लगता है। डॉ शादाब ने बताया कि बच्ची के माता पिता हमारे अस्पताल में आये और बच्ची को ट्यूमर होने की बात बताई जिसके बाद जरूरी जांच के बाद बच्ची का ऑपरेशन कर दो किलो का ट्यूमर सफलता पूर्वक निकाल दिया गया । फिलहाल बच्ची पूरी तरह से स्वास्थ्य है।


Conclusion:अपनी बच्ची के सफल ऑपरेशन से खुश उसके मां बाप डॉ शादाब को धन्यवाद देते नही थकते। उनका कहना है कि कई जगह दिखाने के बाद वो थक हार कर डॉ शादाब के पास आये थे और उन्होंने उनकी बच्ची की जान बचा ली। अपनी बच्ची के साथ अस्पताल के बेड पर खेलते और खिलखिलाते इन मां पिता के चेहरे की खुशी ही बता सकती है कि उन्हें अपनी बच्ची की जिंदगी दोबारा मिली है।
बाइट - डॉ शादाब - यूरोलॉजी सर्जन - फुलवारीशरीफ
बाइट - राहुल कुमार - बच्ची के पिता

कुणाल सिंह....ईटीवी भारत...पटना
Last Updated : Aug 6, 2019, 5:34 PM IST
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