पटना : इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर ( एनआरएससी) द्वारा तैयार किए गए नाइट टाइम लाइट एटलस के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर बिजली के क्षेत्र में औसतन 43% की वृद्धि हुई है. जबकि बिहार में यह वृद्धि 474% की रही है. जो देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे आगे हैं. इसरो द्वारा तैयार किए गए सूचकांक को ऊर्जा विभाग ने जारी किया है. उल्लेखनीय है कि एनआरएससी के द्वारा नासा एवं नेशनल ओसियन एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के आंकड़ों के आधार पर उपरोक्त सूचकांकों तैयार किया गया है.
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विद्युतीकरण में बिहार यूपी से भी अव्वल: इसरो द्वारा जारी किए गए सूचकांक को बिहार ऊर्जा विभाग ने बिहार की यह असाधारण उपलब्धि बताते हुए इसे विद्युत क्षेत्र में पिछले एक दशक में सुदृढ़ीकरण एवं विस्तार के लिए व्यापक स्तर पर किए गए कार्यों का नतीजा है. बड़े राज्य में पिछले एक दशक में बिहार के बाद यह वृद्दि केरल में 119%, मध्यप्रदेश में 66%, उत्तर प्रदेश में 61% एवं गुजरात में 56% है. ये आंकड़ा स्पष्ट करते हैं कि बिहार ने पिछले एक दशक में रिकॉर्ड गति से विद्युत सुधार की दिशा में कार्य किया है.
नीतीश सरकार के सकारात्मक कदम: बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2012 में राज्य विद्युत बोर्ड को पुनर्गठित कर 5 विद्युत कंपनियों का गठन किया था. सरकार ने बिहार में विद्युत सुधार की योजनाओं को प्राथमिकता पर कार्यान्वित करने में ना केवल प्रशासनिक एवं वित्तीय सहायता प्रदान की सुविधाएं प्रदान किया, बल्कि विद्युत उपभोक्ताओं की सुविधाओं के लिए भी अनेक सकारात्मक कदम उठाए गए.
नाइट टाइम लाइट एटलस पर बिहार: ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव संजीव हंस ने कहा कि इसरो द्वारा जारी किए गए डिकेडल चेंज ऑफ लाइफ टाइम लाइट ओवर इंडिया फ्रॉम स्पेस 2012-2021 के आंकड़े वैज्ञानिक विश्लेषण के बाद तैयार किए गए हैं. बिहार के द्वारा जो 474% की वृद्धि प्रदर्शित किया गया है, यह स्पष्ट करता है कि राज्य में 24×7 विद्युत उपलब्धता के लिए राज्य की विद्युत कंपनियां लगातार काम कर रही हैं.
बिहार में बढ़ी बिजली की खपत: बिहार में सात निश्चय कार्यक्रम के तहत हर घर बिजली पहुंचाने का काम पूरा किया गया है. इसरो के सेटेलाइट पिक्चर से भी 2012 में जो बिहार की स्थिति थी 2021 में बिहार की स्थिति पूरी तरह बदली हुई दिखती है. बिहार में 2014-15 में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 203 किलो वाट से बढ़कर 2021-22 में 350 किलो वाट प्रति आवर हो चुकी है. बिजली की खपत भी 6000 मेगावाट से अधिक हो चुकी है.