पटना: संघीय व्यवस्था (Federal System) में केंद्र और राज्य कई मुद्दों पर आमने-सामने होते हैं. केंद्र प्रायोजित योजनाओं को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कई बार सवाल खड़े किए हैं. उनका मानना है कि केंद्र राज्यों को धन राशि के रूप में सहयोग करे और योजनाओं का क्रियान्वयन राज्य अपने हिसाब से करे. बिहार में भी ज्यादातर केंद्र प्रायोजित योजनाएं (Centrally Sponsored Scheme) लागू है, लेकिन नाम को लेकर मतभिन्नता साफ दिख रही है.
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दरअसल सीएम नीतीश कुमार केंद्र की योजनाओं को लागू तो करते हैं, लेकिन उसका नाम और स्वरूप बदल देते हैं. केंद्र और राज्य में बीजेपी (BJP) और जेडीयू (JDU) के बीच मजबूत गठबंधन है. दोनों जगहों पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार चल रही है. केंद्र में जहां नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) नेतृत्व कर रहे हैं, वहीं प्रदेश की बागडोर नीतीश कुमार ने संभाल रखी है. योजनाओं को लागू करने में दोनों दलों के बीच श्रेय लेने की होड़ लगी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के जरिए हर घर तक शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना था, लेकिन बिहार में योजना का नाम बदल दिया गया और बिहार में योजना का नाम 'हर घर नल का जल' योजना रख दिया गया. बिहार के 1 करोड़ 30 लाख घरों तक हर घर नल का जल योजना पहुंची.
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वहीं, केंद्र की ओर से प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना की शुरुआत की गई, लेकिन बिहार में योजना का नाम मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना रखा गया है. केंद्र की ओर से ऑपरेशन ग्रीन योजना की शुरुआत की गई थी, बिहार में योजना का नाम बदला गया और जल जीवन हरियाली योजना की शुरुआत की गई. केंद्र की ओर से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत की गई थी, लेकिन बिहार में योजना का स्वरूप बदला गया और मुख्यमंत्री फसल बीमा योजना पीएम मोदी के नाम से लागू किया गया.
विद्युतीकरण योजना केंद्र प्रायोजित योजना है. केंद्र सरकार ने हर गांव बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन बिहार में हर घर बिजली कनेक्शन नाम बदल कर रखा गया. प्रधानमंत्री आवास योजना केंद्र के द्वारा पूरे देश में लागू की गई है, लेकिन बिहार में योजना का नाम मुख्यमंत्री आवास योजना रखा गया है. केंद्र द्वारा पीएम कृषि सिंचाई योजना चलाई जा रही है, बिहार में योजना का स्वरूप बदला हुआ है और हर खेत तक पानी योजना के नाम से लागू किया जा रहा है. देश में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना चल रही है, लेकिन बिहार में योजना का नाम बदला हुआ है. बिहार में बिहार कौशल विकास योजना 2021 के नाम से चलाया जा रहा है.
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नाम बदलने की इस होड़ पर मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी (RJD) के प्रवक्ता एजाज अहमद कहते हैं कि बीजेपी और जेडीयू दोनों दलों के नेता नाम बदलने में माहिर हैं. बीजेपी शहर का नाम बदलती है तो जेडीयू योजनाओं का नाम बदल रहा है. दोनों दलों के नेता को जनता के हितों की चिंता नहीं है.
हालांकि जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा कहते हैं कि सीएम नीतीश कुमार पहले ही कह चुके हैं कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं की प्रासंगिकता नहीं है. उनके पास लंबा अनुभव है और वह उसका इस्तेमाल कर बिहार में योजनाओं को धरातल पर उतार रहे हैं.
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वहीं, बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा है कि 2014 में नरेंद्र मोदी जब सरकार में आए, तब से देश में विकास की गति बढ़ी है. कई लोक कल्याणकारी योजनाएं लागू हुईं. आज की तारीख में जो बदलाव दिख रहे हैं, वह नरेंद्र मोदी की बदौलत है.
बीजेपी और जेडीयू के इस मतभिन्नता पर वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का कहना है कि बिहार में विकास और राजनीति दोनों ही वोट बैंक के लिए होती है. बीजेपी नेता जहां केंद्र की योजनाओं का प्रचार कर रहे हैं, वहीं जेडीयू नेता नीतीश कुमार की योजनाओं को लेकर जनता के बीच आ रहे हैं. दोनों दलों के नेता योजनाओं को लेकर श्रेय लेना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें 5 साल बाद फिर जनता के बीच जाकर हिसाब देना है.