पटना: मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल कांड (Muzaffarpur Eye Hospital Case) के कई पीड़ितों का इलाज पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) में चल रहा है. संस्थान के अधीक्षक मनीष मंडल ने बताया कि, भर्ती मरीजों में से दो का कॉर्निया ट्रांसप्लांट (Cornea Transplant Of Two Patients In IGIMS) किया गया है. वहीं जो लोग ठीक हो गए हैं उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी दी जा रही है.
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अधीक्षक मनीष मंडल ने बताया कि, अधिकांश लोगों को आंख में एलर्जी की शिकायत थी. ऐसे लोगों के आंखों का इलाज किया जा चुका है. कुल मिलाकर 8 मरीज ऐसे हैं जिन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है. अब घर पर ही उनका इलाज हो रहा है. लेकिन 15 मरीज अब भी ऐसे हैं जिनका अस्पताल में जारी है. आंखों के डॉक्टरों की टीम लगातार इन सभी पर नजर बनाए हुए है. उम्मीद है कि, उन लोगों की भी आंखों में जो इंफेक्शन है वह जल्द ही ठीक हो जाएगा.
"मुजफ्फरपुर में जो घटना हुई वह बहुत बड़ी थी. कई लोगों को अपनी आंखें गंवानी पड़ी. आईजीआईएमएस के डॉक्टरो ने चैलेंज के साथ इसका इलाज शुरू किया था. सीरियस इंफेक्शन वालों का हमने इलाज किया है. अब धीरे-धीरे इंफेक्शन कम हो रहा है. कई मरीजों को घर पर रहकर ही आंख में दवा डालने की सलाह दी गई है."- मनीष मंडल, अधीक्षक, आईजीआईएमएस पटना
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बता दें कि बीते 22 नवंबर को मुजफ्फरपुर मोतियाबिंद ऑपरेशन कैंप लगाया गया था. इस शिविर में 65 लोगों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था. आंख का ऑपरेशन कराए मरीजों ने बताया कि, ऑपरेशन का एक सप्ताह भी नहीं बीता था कि, उनकी आंखों में जलन, दर्द और नहीं दिखने जैसी समस्याएं होने लगी. इसके बाद इन लोगों ने जब इसकी शिकायत आई हॉस्पिटल पहुंचकर चेकअप कराया तो डॉक्टरों ने इंफेक्शन की बात कही. डॉक्टरों ने आंखें निकलवाने की सलाह दी. डॉक्टरों ने कहा कि, अगर आंख नहीं निकाली गई तो, दूसरा आंख भी खोना पड़ेगा. 16 लोगों की आंखें (Patients Eyes Removed In Muzaffarpur ) निकाल दी गईं.
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6 दिसंबर को इस मामले की फाइनल जांच रिपोर्ट सामने आई. जांच में ओटी में दो तरह के बैक्टीरिया (Two Types Of Bacteria Found In OT) मिलने की बात सामने आई. सीएस ने बताया कि 'आई हॉस्पिटल के ऑपरेशन थियेटर में सुडोमोनास और स्टेफायलोकोकस बैक्टीरिया पाया गया है. यह काफी खतरनाक बैक्टीरिया होता है. एक से दो दिन में ही यह आंख खराब कर देता है. एसकेएमसीएच में जिन लोगों की आंख निकाली गयी, उनमें भी यह बैक्टीरिया पाया गया है.'
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